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Saturday, July 5, 2025 5:19:05 AM

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संघी कुनबे का संविधान हत्या दिवस : गली में क़त्ल कर चौराहे…

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संघी कुनबे का संविधान हत्या दिवस : गली में क़त्ल कर चौराहे पर रोने का स्वांग

रिपोर्ट : बादल सरोज   11 जुलाई के दिन इधर गृह मंत्रालय के एक संयुक्त सचिव की तरफ से एक गजट अधिसूचना जारी हुयी, उधर पहले गृहमंत्री उसके बाद प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया। इस अधिसूचना और चहकते हुए उसे ट्विटियाने में कहा गया है कि : “जबकि 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा की […]

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महाराज’ : अंधभक्ति, अविवेक और धर्म-सत्ता — 1

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महाराज’ : अंधभक्ति, अविवेक और धर्म-सत्ता — 1

रिपोर्ट : जवरीमल्ल पारख   ओटीटी प्लेटफार्म ‘नेटफ्लिक्स’ पर 21 जून 2024 को यशराज फ़िल्म्स की महाराज फ़िल्म रिलीज़ हुई है। यह फ़िल्म पहले 14 जून 2024 को रिलीज़ होने वाली थी, लेकिन गुजरात उच्च न्यायालय ने इसके प्रदर्शन पर अस्थायी रोक लगा दी थी। यह गुजराती पत्रकार और लेखक सौरभ शाह के इसी नाम […]

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एक ही सुर के गायक — हिंदू-मुस्लिम!

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एक ही सुर के गायक — हिंदू-मुस्लिम!

रिपोर्ट : राजेंद्र शर्मा   कहावत है, पूत के पांव पालने में ही दीख जाते हैं। मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल के पहले करीब पचास दिनों में ही, अपने पांव बखूबी दिखा दिए हैं। और ये पांव बताते हैं कि हरेक संकट से उबरने का उसे एक ही रास्ता दिखाई देता है — सांप्रदायिक […]

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हिंदू बहुसंख्यकवाद के ख़तरों और चुनौतियों की शिनाख्त़ करती एक ज़रूरी किताब

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हिंदू बहुसंख्यकवाद के ख़तरों और चुनौतियों की शिनाख्त़ करती एक ज़रूरी किताब

रिपोर्ट : संजीव कुमार   ज्यादा दिन नहीं हुए, ‘द स्क्रॉल’ में एक दिलचस्प लेख पढ़ा था — Civil Society Emerges as Quiet but Formidable Challenger to Modi Govt in the 2024 Elections. लेख की मुख्य स्थापना यह थी कि भाजपा अगर इस चुनाव में हारती है, तो यह मुख्यतः नागरिक समाज की कोशिशों की […]

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राजेंद्र शर्मा के दो व्यंग्य 1. हिंदू पानी, मुसलमान पानी!

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राजेंद्र शर्मा के दो व्यंग्य 1. हिंदू पानी, मुसलमान पानी!

देखा, देखा, सेकुलर वालों का चंटपना देखा। मोदी जी, योगी जी कुछ भी करें, कितना ही शुद्धता-पवित्रता का ख्याल करें, ये पट्ठे हर चीज को घुमा देते हैं और उसमें सेकुलर-कम्युनल वाला एंगल घुसा देते हैं।   अब बताइए, योगी जी की पुलिस ने मुजफ्फरनगर जिले में जो आर्डर निकाला था कि ठेले-खोमचे वालों से […]

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आपातकाल : घोषित और अघोषित के बीच

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आपातकाल : घोषित और अघोषित के बीच

रिपोर्ट : मज़्कूर आलम   आह! एक दिन पहले देश आपातकाल की घोषणा के पचासवें साल में प्रवेश कर गया। 26 जून 1975 की सुबह देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो से यह घोषणा की थी कि राष्ट्र पर आंतरिक अशांति का ख़तरा है ; इसी आधार पर राष्ट्रपति फख़रुद्दीन अली […]

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राजेंद्र शर्मा के तीन व्यंग्य – 1. राम नाम पर लूट है

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राजेंद्र शर्मा के तीन व्यंग्य – 1. राम नाम पर लूट है

1. राम नाम पर लूट है   कौन जानता था कि ये राम विरोधी इतने गिर जाएंगे। बताइए, पहले मोदी जी का विरोध करते-करते, राम का विरोध करने लगे। पर अब तो ये राम तो राम, रामकृपा का भी विरोध करने तक चले गए हैं। कहते हैं कि राम मंदिर बनने से पहले, राम की […]

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गिर रहे हैं और भी पुल, और बहुत सारे!!

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गिर रहे हैं और भी पुल, और बहुत सारे!!

रिपोर्ट : बादल सरोज   कुछ हजार करोड़ में बने और अभी-अभी प्राण-प्रतिष्ठित बताये जाने वाले अयोध्या के मन्दिर की रिसन और उसकी ओर जाने वाली सड़कों का पाताल में समाना रुका भी नहीं था कि पुल गिरने लगे। ऐसे गिरे कि गिरते ही जा रहे हैं और “खरबूजे को देखकर खरबूजे रंग बदलते हैं” […]

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संविधान विरोधी छवि को बदलने की कवायद

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संविधान विरोधी छवि को बदलने की कवायद

रिपोर्ट : राजेंद्र शर्मा) इससे मुखर विडंबना दूसरी नहीं होगी। जिस दिन अखबारों की सुर्खियों में मोदी सरकार के इसके फैसले की खबर छपी कि, ‘अब हर साल 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाया जाएगा’, उसी दिन के अखबारों में एक और बड़ी सुर्खी दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट द्वारा कथित शराब […]

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भारत में मैकार्थीवाद : शहरी नक्सलवाद की वापसी!

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भारत में मैकार्थीवाद : शहरी नक्सलवाद की वापसी!

रिपोर्ट : सुभाष गाताडे, अंग्रेजी से अनुवाद : संजय पराते   1. ‘भारत पुलिस राज के लिए जागेगा’!   मुझे पंडित नेहरू का भाषण याद आ रहा है — “आधी रात को भारत स्वतंत्रता के लिए जागेगा।”   इंदिरा जयसिंह का ट्वीट है : “1 जुलाई 2024 की आधी रात को भारत पुलिस राज के […]

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विष्णु नागर के दो व्यंग्य

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विष्णु नागर के दो व्यंग्य

1. भये प्रकट कृपाला दीन दयाला, अडानी हितकारी!   उन्होंने सही कहा कि 2014 से पहले इस देश में कुछ नहीं था। न‌ सड़कें थीं, न पुल थे। न बिजली थी, न पानी था। न कारखाने थे, न फैक्ट्रियां थीं। न बसें थीं, न ट्रेनें थीं। ‌न बिल्डिगें थीं, न घर थे। न आईआईटी थे, […]

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न न्याय, न सुरक्षा : बदलना एक ‘लोकतांत्रिक’ राज्य का ‘पुलिस स्टेट’…

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न न्याय, न सुरक्षा : बदलना एक ‘लोकतांत्रिक’ राज्य का ‘पुलिस स्टेट’ में!

रिपोर्ट : संजय पराते   पिछली संसद में 20 दिसंबर 2023 को 146 निलंबित विपक्षी सदस्यों, जो इस देश की 24 करोड़ जनता का प्रतिनिधित्व करते थे, की अनुपस्थिति में बिना बहस पारित कराए गए तीन नए आपराधिक कानूनों ने 1 जुलाई 2024 से पुराने कानूनों की जगह ले ली है। इन तीन कानूनों के […]

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एमएसपी, ऋण माफी और फसल बीमा : क्या अपेक्षा है देश के…

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एमएसपी, ऋण माफी और फसल बीमा : क्या अपेक्षा है देश के किसानों की आगामी बजट से

रिपोर्ट :  संजय पराते    भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को देश के कृषि क्षेत्रों में लोकसभा चुनावों में भारी झटका लगा है। भाजपा को पांच राज्यों में कम से कम 38 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा, जहां नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ किसानों का आंदोलन मजबूत […]

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दूसरो की रोशनी चुराकर चमकने की निर्लज्ज चाहतें

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दूसरो की रोशनी चुराकर चमकने की निर्लज्ज चाहतें

रिपोर्ट : बादल सरोज   अभी तक देशों के अपने राष्ट्रीय पशु, पक्षी, पेड़, पर्वत, झंडे और दीगर प्रतीक चिन्ह होने के रिवाज प्रचलन में हुआ करते थे । मोदी राज में इनमें खूब इजाफे हुए हैं, कई-कई नयी चीजें जुडी हैं। इन्हीं में से एक है राष्ट्रीय विवाह, जो मार्च से शुरू हुआ है […]

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महामानव जी, देश को थोड़ा तो बख्श दो!

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महामानव जी, देश को थोड़ा तो बख्श दो!

रिपोर्ट : विष्णु नागर   महामानव जी, देश की और हम-सब की, आपसे जितनी तरह से और भी जितनी बार ऐसी-तैसी हो सके, करना ; बस एक काम करना, ‘विकसित भारत’ बनाने का संकल्प तज देना। भारत को ‘वर्ल्ड क्लास इन्फ्रास्ट्रक्चर’ देना हमेशा के लिए भूल जाना।   मैं देश का दो कौड़ी का नागरिक, […]

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उत्तरप्रदेश चुनाव के नतीजे और राष्ट्रीय विपक्ष के लिए संदेश

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उत्तरप्रदेश चुनाव के नतीजे और राष्ट्रीय विपक्ष के लिए संदेश

रिपोर्ट : सुभाषिणी अली, अंग्रेजी से अनुवाद : संजय पराते   2024 के लोकसभा चुनाव से पहले, मतदाताओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर काफी बहस हुई थी। व्यापक रूप से यह माना जाता था कि राम मंदिर के उद्घाटन का मतदाताओं पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। आम धारणा यह भी थी कि भाजपा की संगठनात्मक […]

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संसद : खिलाड़ी बनते रेफरी

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संसद : खिलाड़ी बनते रेफरी

रिपोर्ट : राजेंद्र शर्मा   ओम बिड़ला ने स्पीकर के रूप में अपने पहले कार्यकाल में, अपने सत्तापक्ष का सक्रिय हिस्सा बने रहने का ही सबूत दिया था। सत्रहवीं लोकसभा के आखिरी सत्रों में उन्होंने विपक्षी सांसदों के थोक निष्कासन तथा विपक्षी सांसदों के भाषणों के अंश निकालने से लेकर संसद सदस्यता तक खत्म कराने […]

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पिछले 10 साल की तुलना किसी और दौर से नहीं की जा…

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पिछले 10 साल की तुलना किसी और दौर से नहीं की जा सकती

रिपोर्ट : राम पुनियानी   लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला तरह-तरह के विवादों के घेरे में रहे हैं। हाल में लोकसभा अध्यक्ष बतौर अपने दूसरे कार्यकाल में पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद उन्होंने आपातकाल के विरुद्ध एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया। आपातकाल तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी द्वारा 1975 में लगाया गया था। इसकी पृष्ठभूमि में था […]

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राजेंद्र शर्मा के तीन व्यंग्य 1. हिंदू खतरे में हैं !

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राजेंद्र शर्मा के तीन व्यंग्य 1. हिंदू खतरे में हैं !

रिपोर्ट : राजेंद्र शर्मा के तीन व्यंग्य 1. हिंदू खतरे में हैं !   अब सेकुलर वाले क्या कहेंगे? क्या हिंदू अब भी खतरे में नहीं है? क्या हिंदुओं के खतरे में होने बात सिर्फ अफवाह है, जो हिंदुओं के खतरे में होने की दुकान चलाने वालों ने फैलायी है? अगर हिंदुओं के खतरे में […]

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रूस-भारतीय मैत्री समाज “दिशा” के अध्यक्ष डॉ. रमेश्वर सिंह और उनकी पूरी…

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रूस-भारतीय मैत्री समाज “दिशा” के अध्यक्ष डॉ. रमेश्वर सिंह और उनकी पूरी टीम को मोदी के रूस आगमन का बेसब्री से इंतजार

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 जुलाई से 9 जुलाई 2024 तक रूस का दौरा करेंगे मॉस्को, रूस। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 जुलाई से 9 जुलाई 2024 तक रूस का महत्वपूर्ण दौरा करने के लिए तैयार हैं। यह दौरा विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहला रूस दौरा होगा जब से […]

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इतिहास के पुनर्लेखन की कोशिश में भाजपा : आरएसएस ने अंबेडकर को…

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इतिहास के पुनर्लेखन की कोशिश में भाजपा : आरएसएस ने अंबेडकर को तुच्छ बताया था और विवेकानंद ने कट्टरता को

रिपोर्ट : जॉन ब्रिटास अंग्रेजी से अनुवाद : संजय पराते   मोदी और उनकी टीम एक ऐसी विरासत को हथियाने के खेल में लगी हुई है, जिस पर उनका कोई दावा नहीं है। धार्मिक और जातीय राष्ट्रवादी एक ही पैटर्न दोहराते हैं : अपने पूर्वजों के इर्द-गिर्द एक आभामंडल बनाने के लिए एक काल्पनिक अतीत […]

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धर्मनिरपेक्षता पर संकट : भारतीय मुसलमानों के लिए चुनाव के बाद की…

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धर्मनिरपेक्षता पर संकट : भारतीय मुसलमानों के लिए चुनाव के बाद की वास्तविकताएँ

रिपोर्ट : नदीम खान   भारतीय मुसलमानों ने 18वीं लोकसभा के चुनावों में विपक्षी दलों या इंडिया ब्लॉक के लिए काफ़ी समर्थन दिखाया। इस समर्थन ने चरम हिंदुत्व दल को 240 सीटों पर रोकने में अहम भूमिका निभाई, जो सरकार बनाने के लिए ज़रूरी 272 सीटों से कम है। नतीजतन, भाजपा को अब एनडीए सहयोगियों […]

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आफतकाल लाने वालों के बीते आपातकाल पर बरसते घड़ियाली आंसू

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आफतकाल लाने वालों के बीते आपातकाल पर बरसते घड़ियाली आंसू

रिपोर्ट : बादल सरोज   नयी संसद की शुरुआत की रस्म से पहले ही मोदी और उनके कुनबे ने 49 साल पहले लगी इमरजेंसी को लेकर तूमार-सा खड़ा करना शुरू कर दिया। संसद भवन के परिसर में पुनर्नियुक्त प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार पहुँचने पर खुद मोदी इसकी कहानी सुनाने लगे, उनके बाकी नेता […]

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नान बायोलॉजिकल जी का पेड़ अभियान

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नान बायोलॉजिकल जी का पेड़ अभियान

रिपोर्ट : विष्णु नागर   नान बायोलॉजिकल जी पिछले दस साल में लाखों पेड़ों की बलि लेने के बाद अब ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान लेकर आए हैं। फिर भी पेड़ तो कटेंगे ही और लाखों में ही कटेंगे।   अभी दिल्ली में ही सर्वोच्च स्तर पर पेड़ कटाई का एक दिलचस्प मामला सामने […]

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अप्रासंगिक होती प्रतियोगी परीक्षाएं और ढहती शिक्षा प्रणाली

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अप्रासंगिक होती प्रतियोगी परीक्षाएं और ढहती शिक्षा प्रणाली

रिपोर्ट : संजय पराते   नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनएटी) की निष्पक्ष तरीके से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं को आयोजित कर पाने की असफलता ने न केवल इसमें घुसे भ्रष्टाचार को उजागर किया है, बल्कि हमारी समूची शिक्षा प्रणाली के ढहने की ओर भी इशारा किया है ; जिसे नई शिक्षा नीति से सबको संस्कारित करने और […]

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इमरजेंसी : घोषित और अघोषित

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इमरजेंसी : घोषित और अघोषित

रिपोर्ट  : राजेंद्र शर्मा   इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि अठारहवीं लोकसभा के जिस पहले सत्र की शुरूआत, सत्ता पक्ष द्वारा पचासवीं सालगिरह के नाम पर (जबकि गणित के हिसाब से यह 49वीं सालगिरह ही थी), श्रीमती इंदिरा गांधी की 1975 की 25-26 जून की मध्यरात्रि की आंतरिक इमरजेंसी की घोषणा को जी भरकर […]

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शाश्वत सतर्कता की आवश्यकता

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शाश्वत सतर्कता की आवश्यकता

रिपोर्ट : मैथ्यू जॉन   एक दशक पहले, हम नींद में ही पकड़े गए और इससे पहले कि हम कुछ समझ पाते, “खतरनाक जुड़वाँ” ने हमारी आज़ादी छीन ली। फिर अचानक और तमाम मुश्किलों — विरोधियों को परेशान करने वाली शिकारी एजेंसियाँ, पूरी तरह से समझौता करने वाला भारतीय चुनाव आयोग (इसीआई), सत्ताधारी पार्टी के […]

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चोरी की जीत के सिकंदर?

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चोरी की जीत के सिकंदर?

रिपोर्ट : राजेंद्र शर्मा बेशक, 4 जून की मतगणना के बाद, नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बावजूद, इस चुनाव के जनादेश की प्रकृति पर और संघ-भाजपा के जीत के दावों पर, गंभीर सवाल उठे हैं और अब तक बने हुए हैं। ये सभी सवाल, जो संघ-भाजपा के ‘जो जीता वही सिकंदर’ के […]

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