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Thursday, July 3, 2025 9:16:48 PM

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आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी के समक्ष आरएसएस की समर्पणकारी भूमिका

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आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी के समक्ष आरएसएस की समर्पणकारी भूमिका

रिपोर्ट : सवेरा अनुवाद : संजय पराते आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर, उन काले दिनों को याद करते हुए भाजपा और आरएसएस धार्मिक उत्साह से भरे हुए हैं। वे इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मना रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने एक पुस्तक का विमोचन किया है, जिसमें इस बात […]

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बतौर एक नागरिक : राजनैतिक परिक्रमा

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बतौर एक नागरिक : राजनैतिक परिक्रमा

रिपोर्ट : संजय पराते 1. संघ-भाजपा : दिल की बात फिर जुबां पर! संघी गिरोह की चड्डी एक बार फिर खिसक गई है। पिछले लोकसभा चुनाव में उसने 400 पार का नारा दिया था, ताकि संविधान को बदल सके। लेकिन मतदान में आम जनता ने उनका नाड़ा ही ढीला कर दिया। इससे भी उसने सबक […]

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बरिंदा से रीता तक का सफर : आपातकाल के झंझावात में दीये…

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बरिंदा से रीता तक का सफर : आपातकाल के झंझावात में दीये की टिमटिमाती लौ के सहारे भूमिगत प्रतिरोध की कहानी

रिपोर्ट  : बृंदा करात अनुवाद : संजय पराते पचास साल पहले, स्वतंत्र भारत को तानाशाही का पहला अनुभव हुआ था। इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल की घोषणा, मौलिक अधिकारों के निलंबन, सभी प्रकार की असहमतियों का निर्मम दमन और एक लाख से अधिक लोगों की गिरफ़्तारी जैसे कार्यों ने हमारे संविधान और न्यायपालिका सहित सभी संस्थानों […]

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अथ संघ सरेंडर गाथा : आँखों देखा इमरजेंसी अध्याय

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अथ संघ सरेंडर गाथा : आँखों देखा इमरजेंसी अध्याय

रिपोर्ट : बादल सरोज संघ के संग सरेंडर की संलग्नता सनातन है, इतनी सतत और सुदीर्घ है कि हिंदी के व्याकरण में एक अक्षर से शुरू होने वाले शब्दों के अलंकारों में एक नया अलंकार सृजित कर सकती है। यह सरेंडर दक्षता 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक के कुख्यात आपातकाल में पूरे परवान पर […]

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जनगणना और आदिवासी पहचान का सवाल

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जनगणना और आदिवासी पहचान का सवाल

रिपोर्ट  : बृंदा करात अनुवाद : संजय पराते जनगणना 2027 के लिए गजट अधिसूचना में जो इतनी ज्यादा देर की गई है, उसकी हो रही आलोचना पूरी तरह से सही है, क्योंकि वादा किया गया था कि जनगणना के साथ ही जाति जनगणना की जाएगी। लेकिन गजट अधिसूचना में इस मामले में स्पष्टता का अभाव […]

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भारत में गरीबी कम होने का दावा एक क्रूर मज़ाक है

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भारत में गरीबी कम होने का दावा एक क्रूर मज़ाक है

रिपोर्ट : विमल कुमार अनुवाद : संजय पराते विश्व बैंक ने भारत के 2022-23 के घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण पर आधारित एक नई रिपोर्ट जारी की है, जिसमें उसने घोषणा की है कि भारत ने लगभग अत्यधिक गरीबी को समाप्त कर दिया है और अब केवल 2.3 प्रतिशत आबादी ही अत्यधिक गरीबी रेखा से नीचे […]

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आपातकाल : दमन और प्रतिरोध का युग

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आपातकाल : दमन और प्रतिरोध का युग

रिपोर्ट : एम ए बेबी अनुवाद : संजय पराते जब आंतरिक आपातकाल 50 साल पहले घोषित किया गया था, उस समय मैं स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया का केरल राज्य अध्यक्ष था और कोल्लम के श्री नारायण कॉलेज में राजनीति विज्ञान का छात्र था। आपातकाल की घोषणा के एक सप्ताह से भी कम समय में, हमने […]

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बदहाल मनरेगा : रोजगार नहीं, निराशा की गारंटी

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बदहाल मनरेगा : रोजगार नहीं, निराशा की गारंटी

रिपोर्ट  : डॉ. विक्रम सिंह   पिछले दिनों मीडिया में छपी खबरों के अनुसार, सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत खर्च पर कुछ पाबंदियाँ लगाई हैं। 10 जून को ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली छमाही के लिए मनरेगा […]

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आपदा की इस घड़ी में सरकार शोक-संतप्त परिवारों के साथ कंधे से…

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आपदा की इस घड़ी में सरकार शोक-संतप्त परिवारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है – असीम अरुण

रिपोर्ट : मोहित त्यागी स्वतंत्र पत्रकार     हम सभी जनप्रतिनिधि इस दुख की घड़ी में पीड़ित परिवारों के साथ हैं और समुचित सहायता सुनिश्चित कर रहे – अजीत पाल त्यागी     गाजियाबाद। समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं जनपद गाजियाबाद के प्रभारी मंत्री असीम अरुण ने 21 मई 2025 को आए आंधी-तूफान के […]

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इतने तनहा तो हम कभी भी न थे!!

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इतने तनहा तो हम कभी भी न थे!!

रिपोर्ट  : बादल सरोज   1948 की बात है : दूसरे विश्वयुद्ध के बाद बना संयुक्त राष्ट्रसंघ अभी ताजा-ताजा ही था। कश्मीर के सवाल को लेकर एक ऐसा प्रस्ताव लाया गया, जो इसके भारत में विलय की असलियत को झुठलाने वाला और इस तरह भारत के खिलाफ था। तबके समाजवादी सोवियत संघ ने उसे ‘वीटो’ […]

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खून पर भारी सिंदूर-व्यापार

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खून पर भारी सिंदूर-व्यापार

रिपोर्ट  : संजय पराते याद कीजिए हमारे प्रधानमंत्री मोदी का वह भाषण : मेरे खून में व्यापार है। कल राजस्थान में पाकिस्तान की सीमा से सटे बाड़मेर की जन सभा में उन्होंने कहा : मेरी रगों में सिंदूर बह रहा है। सभी सुधिजन इस बात को समझ रहे हैं कि वे भारत सरकार के निर्देश […]

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भारत में कृषि संकट और खेत मज़दूरों की बदलती प्रकृति

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भारत में कृषि संकट और खेत मज़दूरों की बदलती प्रकृति

रिपोर्ट  : विक्रम सिंह   महाराष्ट्र के नांदेड जिले की मुखेड तालुका के अंबुलगा गाँव के खेत मज़दूर माणिक घोंसटेवाड को साल के कुछ महीनों में ही खेतों में काम मिलता है। उनको जून-जुलाई में सोयाबीन या कपास की बुआई, अगस्त-सितंबर में निराई (हाथ से या कीटनाशकों से), और दिसंबर-जनवरी में कटाई के दौरान ही […]

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आतंकवाद के खिलाफ एकता और भाजपा का पाखंड

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आतंकवाद के खिलाफ एकता और भाजपा का पाखंड

रिपोर्ट  : राजेंद्र शर्मा) विदेश सेवा के अधिकारियों के मुकाबले, इन सांसदों/ राजनीतिक नेताओं का वजन विदेशी मोर्चे पर भी इसीलिए अधिक माना जा रहा है कि वे अपनी राजनीतिक पार्टियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो भारतीय जनता की राय का प्रतिनिधित्व करती हैं। लेेकिन, सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी की आंतरिक दिक्कतों का फायदा उठाने […]

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राजनैतिक व्यंग्य-समागम

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राजनैतिक व्यंग्य-समागम

1. ऑपरेशन सिंदूर की क़ीमत तुम क्या जानो विपक्षी बाबू! : राजेंद्र शर्मा   ये विपक्ष वाले जब राष्ट्रभक्ति ही नहीं समझते हैं, तो ऑपरेशन सिंदूर की कीमत क्या जानेंगे? वर्ना ऑपरेशन सिंदूर में अपने अर्णव गोस्वामियों, गौरव सामंतों, नाविका कुमारों, अंजना ओम कश्यपों, अशोक श्रीवास्तवों आदि, आदि के वीरतापूर्ण कारनामों के गुण गा रहे […]

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संथारा : 3 साल की बच्ची की मौत लंबे समय तक क्यों…

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संथारा : 3 साल की बच्ची की मौत लंबे समय तक क्यों सालती रहेगी?

रिपोर्ट  : संजय पराते   “मनुष्य कभी भी बुराई का खुशी से पालन नहीं करता, जब तक कि वह धार्मिक विश्वास से प्रेरित न हो।” — ब्लेज़ पास्कल (1623–1662), फ्रांसीसी गणितज्ञ, भौतिक विज्ञानी, आविष्कारक, दार्शनिक और कैथोलिक लेखक।   इंदौर के आईटी प्रोफेशनल की तीन वर्षीया बेटी नम्रता (बदला हुआ नाम) की मौत हो गई […]

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जाति जनगणना की सुध : तमाशा, झांसा, पांसा या तीनों!

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जाति जनगणना की सुध : तमाशा, झांसा, पांसा या तीनों!

रिपोर्ट : बादल सरोज   अपने कुनबे के संगपरस्तों, पक्के भक्तों और पाले पोसे एंकर–एन्करानियों तक को चौंकाने, हैरत में डालने और मुंह छुपाने के लिए कोना तलाशने की गत में पहुंचाते हुए मोदी सरकार के मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समिति (सीसीपीए) ने 30 अप्रैल को ऐलान कर दिया कि अगली जनगणना के साथ […]

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ऑपरेशन सिंदूर : एक पूर्व-सुनिश्चित नाकामी का रोजनामचा

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ऑपरेशन सिंदूर : एक पूर्व-सुनिश्चित नाकामी का रोजनामचा

रिपोर्ट : राजेंद्र शर्मा   जैसा कि आसानी से अनुमान लगाया जा सकता था, ऑपरेशन सिंदूर के अचानक पटाक्षेप के बाद, उसे ‘कामयाब’ साबित करने की विभिन्न स्तरों पर कोशिशें शुरू हो गयी हैं। बेशक, खुद प्रधानमंत्री ही नहीं, उनके बाद दूसरे-तीसरे नंबर के दावेदार राजनीतिक नेताओं ने भी, पहले चरण में चुप रह कर, […]

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चीनी सामान, तुर्की सामान का बहिष्कार हो – सीटीआई

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चीनी सामान, तुर्की सामान का बहिष्कार हो – सीटीआई

रिपोर्ट : मोहित त्यागी स्वतंत्र पत्रकार   चीन और तुर्की , भारत के बाजार और ट्यूरिज्म से कमा रहे अरबों डॉलर – सीटीआई दिल्ली के 700 व्यापारी संगठनों से सीटीआई की अपील – चीन और तुर्की से सभी तरह का आयात निर्यात बंद करें CTI ने कश्मीरी गेट मार्केट में चलाया अभियान दिल्ली के 100 से […]

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इसे कहते हैं सेना को युद्ध की भट्टी में झोंकना!

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इसे कहते हैं सेना को युद्ध की भट्टी में झोंकना!

रिपोर्ट : संजय पराते जब बिना किसी सुविचारित नीति के चुनाव को नजर में रखकर युद्धोन्माद फैलाया जाता है और फिर जनता को संतुष्ट करने और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को मजबूत करने के लिए युद्ध की ‘रचना’ की जाती है, तो उसका वही हश्र होता है, जो कल हमें दिखा। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद […]

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माचो राष्ट्रवाद!

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माचो राष्ट्रवाद!

रिपोर्ट  : अरुण माहेश्वरी   सीमा पर जब गोलियाँ चलती हैं, बंकर ध्वस्त होते हैं या कुछ सैनिक शहीद होते हैं, कुछ नागरिकों की भी जानें जाती है तो यह सब सीमा पर होने वाली झड़प कहलाते हैं। पर जब वही झड़प सामाजिक चेतना में एक जगह घेरने लगती है, मीडिया में राजनीति का ‘चक्रव्यूह’ […]

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अखिल भारतीय सांस्कृतिक प्रतिरोध अभियान ‘हम देखेंगे’ की ओर से जारी बयान

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अखिल भारतीय सांस्कृतिक प्रतिरोध अभियान ‘हम देखेंगे’ की ओर से जारी बयान

युद्ध नहीं, आतंक नहीं ; सबके लिए न्याय और शांति पहलगाम की दुखद घटना के बाद देश शोक में डूबा है। भावनाएं चरम पर हैं, दुख गहरा है, और हर भारतीय दिल उस वेदना को महसूस कर रहा है। लेकिन इस पीड़ा के बीच एक और ख़तरनाक लहर उठ रही है — युद्ध की भूख, […]

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युद्ध और आम आदमी

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युद्ध और आम आदमी

रिपोर्ट : जवरीमल्ल पारख 1965 के भारत-पाक युद्ध में इस्तेमाल की जाने वाली टेक्नॉलजी के साथ आज की स्थितियों की तुलना नहीं हो सकती, पर युद्ध से जुड़ी आशंकाएँ, अफ़वाहें, दहशत और अनिश्चितताएँ आज भी वैसी ही हैं। यह संस्मरण पहली बार 18 जुलाई, 2020 को लिखा गया था। उस समय अपने बचपन की यादें […]

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शांति का कोई विकल्प नहीं

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शांति का कोई विकल्प नहीं

रिपोर्ट : संजय पराते 7-8 मई की मध्य रात्रि को भारतीय वायु सेना ने पाक अधिकृत कश्मीर सहित पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में कुल 9 ठिकानों पर मिसाइल हमला किया। भारत सरकार का दावा है कि उसने पाक स्थित आतंकी प्रशिक्षण केन्द्रों को अपना निशाना बनाया है। इस हमले में 90 आतंकियों के ढेर होने […]

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शुरुआत पाकिस्तान ने की थी, अंत हिंदुस्तान करेगा – जनरल वीके सिंह

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शुरुआत पाकिस्तान ने की थी, अंत हिंदुस्तान करेगा – जनरल वीके सिंह

मिज़ोरम के वर्तमान महामहिम राज्यपाल डॉ. जनरल वीके सिंह जी ने मंगलवार की देर रात पहलगाम हमले के जवाब में भारतीय सेना की पाकिस्तान में लक्षित स्थानों पर हुई कार्रवाई की तारीफ की, भारतीय सेना का उत्साह बढ़ाया और पाकिस्तान को चेतावनी दी। डॉ. जनरल वीके सिंह जी ने कहा कि भारतीय सेना ने नापाक […]

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जाति गणना पर संंघ-भाजपा की पल्टी

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जाति गणना पर संंघ-भाजपा की पल्टी

जाति गणना पर संंघ-भाजपा की पल्टी रिपोर्ट : राजेन्द्र शर्मा आखिरकार, नरेंद्र मोदी की सरकार ने जाति जनगणना कराने का एलान कर दिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल के ताजातरीन फैसले के अनुसार, आने वाली आम जनगणना के साथ जाति गणना भी करायी जाएगी। लेकिन, यह आम जनगणना कब करायी जाएगी, यह अभी स्पष्ट नहीं है। जनगणना […]

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तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण और मुंबई 26/11 का आतंकी हमला

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तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण और मुंबई 26/11 का आतंकी हमला

रिपोर्ट : सुभाष गाताडे, अनुवाद : संजय पराते 26/11 के आतंकी हमले में अपनी भूमिका का सामना करने के लिए तहव्वुर राणा को भारत में प्रत्यर्पित किया जाना मीडिया में बड़ी खबर है। कोई भी गंभीरता से यह उम्मीद कर सकता है कि 26/11 के हमलों के लिए मुकदमे का सामना करने वाले एकमात्र दूसरे […]

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मोदी की चुप्पी, मोदी के बोल

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मोदी की चुप्पी, मोदी के बोल

रिपोर्ट : राजेंद्र शर्मा आखिरकार, पहलगाम की आतंकवादी जघन्यता के करीब हफ्ते भर बाद, रविवार 27 अप्रैल की अपनी मासिक ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसका ख्याल आया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए, देशवासियों की एकता कितनी जरूरी है। बेशक, प्रधानमंत्री की इस आयोजन की खबरों की सुर्खियां बनने वाली […]

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भूल जाइए पहलगाम, आइए बद्रीधाम

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भूल जाइए पहलगाम, आइए बद्रीधाम

रिपोर्ट : राकेश अचल घटनाएं-दुर्घटनाएं भूलने के लिए ज्यादा, याद रखने के लिए कम होती हैं। आपको भी सरकार की तरह 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हत्याकांड को भूलकर अपने काम धंधे पर लग जाना चाहिए। किसी हादसे से दुनिया रुक नहीं जाती। हिरोशिमा-नागासाकी से पहलगाम हत्याकांड के बीच दुर्दिनों की लंबी फेहरिश्त है। किस-किस […]

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