रिपोर्ट : मोहित त्यागी
स्वतंत्र पत्रकार
चीन और तुर्की , भारत के बाजार और ट्यूरिज्म से कमा रहे अरबों डॉलर – सीटीआई
दिल्ली के 700 व्यापारी संगठनों से सीटीआई की अपील – चीन और तुर्की से सभी तरह का आयात निर्यात बंद करें
CTI ने कश्मीरी गेट मार्केट में चलाया अभियान
दिल्ली के 100 से ज्यादा बाजारों में सीटीआई चलाएगा अभियान
चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) चेयरमैन बृजेश गोयल ने कहा कि अब चीन और तुर्किए को सबक सिखाने की जरूरत है, भारत-पाक संघर्ष में चीन और तुर्किए ने दुश्मन का साथ दिया है।
चीन के लिए भारत बड़ा बाजार है। अधिकतर व्यापार में चीनी माल इंपोर्ट हो रहा है। व्यक्तिगत और व्यवसायिक हितों को दरकिनार कर चीनी सामान का पुरजोर विरोध करना होगा। वहीं तुर्किए के साथ भी सभी तरह का व्यापार बंद करना होगा। तुर्किए के टूरिज्म और अर्थव्यवस्था में भारत का अहम रोल है। 2024 में भारत के 2.75 लाख लोगों ने तुर्किए की यात्रा की है। 2024 में भारत और तुर्की के बीच 12.5 बिलियन डॉलर का कारोबार हुआ।
सीटीआई महासचिव गुरमीत अरोड़ा और विष्णु भार्गव ने बताया कि भारत सरकार को फौरन चीन से आयात होने वाले सामानों पर रोक लगानी चाहिए।
भारतीय बाजारों से पैसा कमाने वाला चीन हमें ही आंख दिखाने की जुर्रत कर रहा है , चीन को सबक सिखाने के लिए उसकी अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ना बहुत जरूरी है ।
सीटीआई ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि इंपोर्ट और ई-कॉमर्स पॉलिसी को सख्त किया जाए।
बाहर से आने वाले सामानों में कस्टम के नियमों का भी पालन नहीं हो रहा है।
कई उत्पादों पर कंट्री ऑफ ऑरिजन नहीं लिखा होता।
इससे उपभोक्ताओं को पता ही नहीं चलता कि किस देश में बने सामान को वह यूज कर रहा है?
लोग चाहकर भी चीनी और तुर्की सामान का बहिष्कार नहीं कर पा रहे हैं।
बृजेश गोयल ने कहा कि सरकार दीर्घकालीक योजना बनाए।
जो सामान भारत में बन सकता है, उसके इंपोर्ट की जरूरत नहीं है। टेक्नोलॉजी संबंधी उत्पादों का दूसरे फेज में आयात रोका जाए, तब तक अपने देश में वैकल्पिक प्रबंध हो। कई सालों से व्यापारी और उद्यमी आवाज उठाते रहे हैं, लेकिन सरकार गंभीर नहीं है। आखिर, कब तक ये सब चलता रहेगा? देश में कुछ आयात का 14 प्रतिशत माल चीन से आता है।
चीनी उत्पादों की निर्भरता कम करने का उचित समय
कच्चे माल के लिए अन्य देशों का विकल्प तलाशे भारत सरकार
चीन से भारत में कैमिकल, फार्मा, मेडिकल, मशीनरी रॉ मैटेरिटेल , इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिकल, खिलौने, से सेनिटरी एवं बाथ फिटिंग, हार्डवेयर, लैपटॉप एवं कंप्यूटर, ऑटोमोबाइल पार्ट्स आदि सामान ज्यादा आता है।
अब समय आ गया है कि भारत सरकार चाइनीज माल के विकल्प पर फोकस करे
देश में ही प्रोडक्शन बढ़ाना होगा। यदि कोई माल अपने यहां नहीं बनता है, तो चीन को छोड़कर दूसरे देशों से आयात करना होगा।
बृजेश गोयल ने कहा कि वैसे भी चीन से कारोबार करना भारत के लिए ठीक नहीं है।
चीन को सबक सिखाना होगा। चीनी निर्भरता कम होगी और देश में माल बनेगा, तो हिन्दुस्तान आर्थिक तौर पर भी मजबूत होगा।
भारत सरकार को चीनी उत्पादों की निर्भरता खत्म करनी चाहिए और अन्य देशों का विकल्प तैयार करना चाहिए,
सीटीआई वरिष्ठ उपाध्यक्ष दीपक गर्ग और उपाध्यक्ष राहुल अदलखा ने बताया कि तुर्की से भारत मिनरल फ्यूल एवं ऑयल, प्लास्टरिंग उत्पाद, इनऑर्गेनिक केमिकल, नेचुरल एवं महंगे पर्ल , मीट एवं डेयरी उत्पाद, काॅटन, सिल्क, फाइबर्स, होम फर्निशिंग सामान, आयरन आदि सामान का आयात करता है,
वहीं दूसरी तरफ भारत से तुर्की को जिन वस्तुओं का निर्यात होता है उनमें इंजिनियरिंग सामान, पेट्रोलियम उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक सामान, सभी तरह के केमिकल, यार्न, दवाइयां एवं फार्मास्युटिकल, कपड़े आदि प्रमुख हैं
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