
नई दिल्ली। हरिशंकर परसाई का लेखन हमारे समय और समाज के लिए आज भी सर्वथा प्रासंगिक बना हुआ है। नियमित लिखने और दैनिंदिन दबावों के बावजूद उनके लेखन में प्राय: दुहराव नहीं मिलता। “परसाई का मन” उनके लेखन और विचार को गहराई से समझने में महत्त्वपूर्ण सिद्ध होगी। विख्यात आलोचक पुरुषोत्तम अग्रवाल ने प्रगति मैदान […]