
राजेंद्र शर्मा के तीन व्यंग्य1. भगवान के फ़ैसले में देर है, अंधेर नहीं! चूड़चंद्र ने हठ न छोड़ा। बीते नब्बे दिनों की तरह, इक्यानबे वें दिन भी जब उसने अपने आराध्य के आगे डिक्टाफोन किया और प्रार्थना करने लगा कि प्रभु देश को संकट से बचाएं, अयोध्या केस का फैसला डिक्टेट कराएं, तो […]
Read More… from राजेंद्र शर्मा के तीन व्यंग्य1. भगवान के फ़ैसले में देर है, अंधेर नहीं!