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Wednesday, May 14, 2025 5:32:07 AM

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भोपालियों के बहाने : अविवेकी फतवे से विवेक न खोयें प्लीज!

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भोपालियों के बहाने : अविवेकी फतवे से विवेक न खोयें प्लीज!

एक स्टुपिड, मीडियाकर, उथला व्यक्ति भोपाल के बारे में कोई भी झाड़ूमार बयान झाड़ दे, यह बेहूदगी है, यह उसका अज्ञान और मूर्खों की संगत से हासिल बड़े वाला ओवरकॉन्फीडेंस है। विवेक रंजन अग्निहोत्री का भोपाल के बारे में बोला गया कथन कि “भोपाल समलैंगिकों का शहर है” सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए दिया गया […]

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सुंदरता का पता नहीं, लेकिन अच्छे दिन देखने वाले की आंखों में…

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सुंदरता का पता नहीं, लेकिन अच्छे दिन देखने वाले की आंखों में बसते हैं

इंडिया यहीं तो मार खा जाता है। माना कि आठ साल पहले मोदी जी ने अच्छे दिन लाने का प्रॉमिस किया था, जरूर किया था। लेकिन, उसके बाद आठ साल में मोदी जी ने पब्लिक को क्या-क्या ऑफर नहीं दिया है। स्वच्छ भारत भी। मेक इन इंडिया भी। न्यू इंडिया भी। स्वस्थ भारत भी। पांच […]

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हरियाणा से कोलकाता होते हुए मध्यप्रदेश तक : निशाने पर क्यों हैं…

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हरियाणा से कोलकाता होते हुए मध्यप्रदेश तक : निशाने पर क्यों हैं महिलायें!!

दुनिया के साथ जम्बू द्वीपे रेवा खण्डे इंडिया दैट इज भारत की औरतें जब अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की तैयारियों में जुटी थीं, ठीक उस वक़्त हरियाणा के पंचकूला में उनकी माँ, बहिनों और बेटियों को बाल खींच कर घसीट-घसीट कर खदेड़ा जा रहा था। गिरफ्तार कर आलू की बोरियों की तरह पुलिस की गाड़ियों […]

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आपदा में अवसर’ का भौंडा तमाशा

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आपदा में अवसर’ का भौंडा तमाशा

कोविड की महामारी के संकट के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने ‘आपदा में अवसर’ खोजने-बनाने का जो आह्वान किया था, उसके पूरे अर्थ अभी खुल ही रहे हैं। फिर भी यूक्रेन-रूस युद्घ के बीच फंस गए करीब बीस हजार भारतीयों को, जिनमें से अधिकांश खारकीव, कीव, सुमी आदि यूक्रेन के प्रमुख शिक्षा केंद्रों में मेडीकल व […]

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शिवरात्रि पर स्वामी दयानंद की कथा और आर्य समाज की शोकांतिका!!

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शिवरात्रि पर स्वामी दयानंद की कथा और आर्य समाज की शोकांतिका!!

शिव का व्यक्तित्व हमेशा आकर्षित करता है। वे अकेले अनार्य देवता है, जिनकी ठसक इतनी जोरदार और आदिम समाज के जमाने से जमी जड़ें इतनी मजबूत थी कि लिखा-पढ़ी में उनकी निंदा और भर्त्सना करने वाले आर्यों को भी उन्हें न केवल स्वीकार करना पड़ा, बल्कि महा-देव की पदवी देने के लिए भी मजबूर होना […]

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गोबर-धन को आने दो!

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गोबर-धन को आने दो!

आवश्यकता आविष्कार की जननी है, बचपन से सुनते-पढ़ते आए थे। स्कूल में निबंध भी लिखा था। पर छोटी बुद्धि — हमेशा ज्यादा जोर इसी पर रहा कि आवश्यकता नहीं हो, तो आविष्कार भी पैदा नहीं होगा। कभी बड़ा सोचा होता, तो कम से कम दिल से इसके लिए तैयार होते कि आवश्यकता ऐसे-ऐसे आविष्कार भी […]

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अम्बानी-अडानी की पूजा के आव्हान के पीछे क्या है?

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अम्बानी-अडानी की पूजा के आव्हान के पीछे क्या है?

राज्यसभा में भाजपा के सांसद के जे एल्फोन्स साहब ने अम्बानी और अडानी की पूजा करने का आव्हान किया है। वे देश में रिकॉर्ड तोड़ती बेरोजगारी पर संसद में हुयी बहस में हिस्सा लेते हुए बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अम्बानी और अडानी अगर कमाई कर रहे हैं, तो नौकरियाँ भी तो पैदा कर […]

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सोशल मीडिया के उपयोग-दुरुपयोग के बीच जन्मती सूचना सभ्यता

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सोशल मीडिया के उपयोग-दुरुपयोग के बीच जन्मती सूचना सभ्यता

दो दिन पहले – 12 फरवरी को – दुनियां ने उस महान वैज्ञानिक चार्ल्स डारविन की जयंती मनायी, जिसने मानव के विकास की प्रक्रिया को समझ कर बताया था कि किस तरह दुनियां में प्राणियों की उत्पत्ति और विकास हुआ। इस विकास क्रम में दुनियां के अलग-अलग हिस्सों में मानवता अलग-अलग तरीके से विकसित हुयी […]

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न होता यूं तो क्या होता! व्यंग्य

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न होता यूं तो क्या होता! व्यंग्य

भई पब्लिक की ये बात ठीक नहीं है। पहले अच्छे दिनों के लिए कब आएंगे, कब आएंगे पूछ-पूछकर, मोदी जी को इतना परेशान किया, इतना परेशान किया कि उन्होंने आजिज आकर अच्छे दिनों का आर्डर ही कैंसिल कर दिया और नये इंडिया का आर्डर दे दिया। पर मोदी जी के नये इंडिया का आर्डर देने […]

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कर्नाटक के हिजाब घटना की ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन द्वारा कड़ी निंदा

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कर्नाटक के हिजाब घटना की ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन द्वारा कड़ी निंदा

कर्नाटक में मुस्लिम छात्राएं  हिजाब पहनती रही हैं और कक्षाओं में भाग लेती रही हैं। लेकिन अब वहाँ हिजाब पहने मुस्लिम छात्राओं को स्कूल मे नहीं आने दिया जा रहा। भगवा स्कार्फ पहने और जय श्री राम के नारे लगा रहा लड़कों के झुंड कॉलेज मे छात्राओं के आने का विरोध कर रहे हैं।अल्पसंख्यक समुदाय को […]

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थैंक यू मोदी जी–हम कम से कम एशिया गुरु तो हुए! व्यंग्य…

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थैंक यू मोदी जी–हम कम से कम एशिया गुरु तो हुए! व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा

विपक्ष वालों ने ये क्या हद्द ही नहीं कर दी! मोदी जी के विरोध के चक्कर में अब क्या भारत के पिछड़ने का भी जश्न मनाया जाएगा? बेचारे भगवाइयों ने गांधी जी को गोली लगने पर जरा सी मिठाइयां वगैरह क्या बांट दी थीं, सत्तर-पहचत्तर साल बाद भी बेचारों को ताने सुनने पड़ते हैं। हरेक […]

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फासिस्टी मनोरोग के एप्प्स : बुल्लीबाई और सुल्ली डील्स

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फासिस्टी मनोरोग के एप्प्स : बुल्लीबाई और सुल्ली डील्स

नए साल की शुरुआत हिन्दुस्तानी फासिस्टों के एक और घिनौने कर्म के उजागर होने के साथ हुयी। जनवरी की पहली तारीख को ही सोशल मीडिया के जरिये जहरीले काम कर रहा “बुल्ली बाई” एप्प पकड़ा गया। यह अपराध तब सामने आया, जब कुछ मुस्लिम महिलाओं ने यह पाया कि एक एप्प के जरिये उनकी “नीलामी” […]

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हरिद्वार से चंपावत से रायपुर तक : बेनकाब होता हिन्दुत्व

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हरिद्वार से चंपावत से रायपुर तक : बेनकाब होता हिन्दुत्व

हरिद्वार के अधर्म हिन्दुत्वी जमावड़े में जो हुआ और भिन्न तीव्रता के साथ जिसे छत्तीसगढ़ के रायपुर में हुयी ऐसी एक शोर भरी जमावट में दोहराया गया, वह आजाद भारत में अभूतपूर्व और असाधारण बात है। हरिद्वार में “उनकी जनसंख्या को हमें खत्म करना है।”, “अगर हम सौ सैनिक बन गए और इनके 20 लाख […]

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किसान आंदोलन : अन्त नहीं, आरम्भ

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किसान आंदोलन : अन्त नहीं, आरम्भ

रिपोर्ट : बादल सरोज 11 दिसम्बर को सारे डेरे, तम्बू समेट कर सिंघु बॉर्डर से किसानो का आख़िरी जत्था भी नाचते-गाते अपने-अपने घरों के लिए वापस लौट गया। कोई 380 दिन के अनवरत चले पड़ाव का सुखद विजयी स्थगन जीत के उल्लास में साफ़ दिखाई दे रहा था। हठी के अहंकार को तोड़ने का विजयोल्लास […]

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नेपाली सेना ने भारतीय रक्षा प्रमुख बिपिन रावत के निधन पर दुख…

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नेपाली सेना ने भारतीय रक्षा प्रमुख बिपिन रावत के निधन पर दुख व्यक्त किया

नेपालगन्ज।भारतीय रक्षा प्रमुख विपिन रावत के निधनप्रति नेपाली सेनाले दुःख व्यक्त किया है। एक प्रेस नोट जारी कर के नेपाली सेना ने अपने मानार्थ महारथी जनरल रावत सहित उनकी पत्नी एव अन्य ११ सेना के कर्मचारी हेलिकप्टर दुर्घटना मे निधनप्रति दुःख व्यक्त किया है।नेपाली सेना के प्रधान सेनापति प्रभुराम शर्मा ने बताया कि भारत के […]

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मुनव्वर से बरास्ते वीर दास, कुणाल तक : गहरे होते अँधेरे, मुक़ाबिल…

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मुनव्वर से बरास्ते वीर दास, कुणाल तक : गहरे होते अँधेरे, मुक़ाबिल होते उजाले

पिछले सात साल में दो मामलों में मार्के का विकास हुआ है।एक : मोदी राज की उमर बढ़ी है, बढ़कर दूसरे कार्यकाल का भी आधा पूरा कर चुकी है। दो : रचनात्मकता को कुचल देने और सर्जनात्मकता को मार डालने की योजनाबद्ध हरकतें बढ़ते-बढ़ते एक ख़ास नीचाई तक पहुँच गयी हैं। स्टैंडअप कॉमेडियन्स मुनव्वर फारुकी, […]

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65 साल बाद भी जीवंत और प्रासंगिक बाबा साहब

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65 साल बाद भी जीवंत और प्रासंगिक बाबा साहब

1956 में – 6 दिसंबर को – नहीं रहे थे बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर। मगर कमाल का ही है उनका व्यक्तित्व और कृतित्व, जिसके चलते वे आज साढ़े छः दशक बाद भी न सिर्फ जीवंत और प्रासंगिक है, बल्कि एजेंडा निर्धारित कर कर रहे हैं। उन्हें विशेष रूप से याद करने के अनेक कारण […]

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वे तो शहीद हुए हैं, मरा तो कुछ और है!! –कृषि मंत्री…

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वे तो शहीद हुए हैं, मरा तो कुछ और है!! –कृषि मंत्री के चुनिंदा स्मृति-लोप की क्रोनोलॉजी

तीन कृषि कानूनों की वापसी के लिए लड़ते-लड़ते किसान आंदोलन में शहीद हुए सातेक सौ किसानों के बारे में संसद में दिए जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि : “कृषि मंत्रालय के पास इस बारे में कोई रिकॉर्ड नहीं है, ऐसे में वित्तीय सहायता देने का सवाल नहीं उठता।” […]

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गाँव बसने से पहले ही आ पहुँचे उठाईगीरे : क़ानून वापसी के…

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गाँव बसने से पहले ही आ पहुँचे उठाईगीरे : क़ानून वापसी के साथ-साथ कानूनों की पुनर्वापसी की जाहिर की मंशा

19 नवम्बर की भाषणजीवी प्रधानमंत्री के तीनो कानूनों को वापस लेने की मौखिक घोषणा पर कैबिनेट ने 5 दिन बाद 24 नवम्बर को मोहर लगाई और संसद में बिना कोई चर्चा कराये 29 नवम्बर को उन्हें संसद के दोनों सदनों में भी रिपील कराने का बिल पारित करा लिया गया। यह देश ही नहीं, दुनिया […]

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जीत के बाद भी जारी है देश का किसान आंदोलन

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जीत के बाद भी जारी है देश का किसान आंदोलन

देश भर में जिस अभूतपूर्व, असाधारण, ऐतिहासिक किसान आंदोलन ने कल एक वर्ष पूरा किया है, उसने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली कारपोरेट बंधुआ सरकार को निर्णायक रूप से पराजित किया है। प्रधानमंत्री मोदी को अंततः उन तीन कृषि क़ानूनों को वापस लेने की घोषणा करनी पड़ी है, जो भारत देश की खेती और खाद्यान्नों […]

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कॉर्पोरेट विरोधी संयुक्त संघर्ष की ऐतिहासिक जीत! 700 से अधिक किसानों की…

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कॉर्पोरेट विरोधी संयुक्त संघर्ष की ऐतिहासिक जीत! 700 से अधिक किसानों की शहादत के लिए नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार जिम्मेदार, सब कुछ याद रखा जाएगा : किसान सभा

अखिल भारतीय किसान सभा ने कहा है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली अहंकारी भाजपा सरकार को हार स्वीकार करने और तीन किसान विरोधी, जन विरोधी और कॉर्पोरेट समर्थक कानूनों को निरस्त करने की घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इसके लिए किसान सभा देश के उन लाखों किसानों, खेत मजदूरों और कामगारों […]

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रानी कमलापति या आदिवासियों का धृतराष्ट्र-आलिंगन? : पुरानी है भाजपा की आदिवासियों…

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रानी कमलापति या आदिवासियों का धृतराष्ट्र-आलिंगन? : पुरानी है भाजपा की आदिवासियों से नफरत! !

संघी कुनबे को भारत के मुक्ति आंदोलन के असाधारण नायक बिरसा मुण्डा की याद उनकी शहादत के 122वें वर्ष में आयी। अंग्रेजो से लड़ते हुए और इसी दौरान आदिवासी समाज को कुरीतियों से मुक्त कराते हुए महज 24 साल की उम्र में रांची की जेल में फांसी पर लटका दिए गए बिरसा मुण्डा के जन्मदिन […]

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ध्रुवीकरण, विभाजन और उन्माद ही भाजपा के अंतिम अस्त्र

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ध्रुवीकरण, विभाजन और उन्माद ही भाजपा के अंतिम अस्त्र

उर्दू के शायर सदा नेवतनवी साहब का शेर है कि : “अब है तूफ़ान मुक़ाबिल तो ख़ुदा याद आया हो गया दूर जो साहिल तो खुदा याद आया !!” इन दिनों यह शेर पूरी तरह यदि किसी पर लागू होता है, तो वे हैं नरेंद्र मोदी के बाद भाजपा में – गिनती जहाँ पूरी हो […]

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राष्ट्र को समर्पण या आत्मसमर्पण? : सरकारी आयुध निर्माणियों की सेल की…

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राष्ट्र को समर्पण या आत्मसमर्पण? : सरकारी आयुध निर्माणियों की सेल की धूर्तता पर गर्व का गरबा करते मोदी

प्रचलन में यह है कि दशहरे के दिन अस्त्र-शस्त्रों की पूजा होती है। मगर जैसा कि विश्वामित्र कह गए हैं : “कलियुग में सब उलटा पुलटा हो जाता है।” वही हो रहा है। इस दशहरे पर मोदी जीno – हिन्दू धर्म के स्वयंभू संरक्षक मोदी जी, राष्ट्रवाद की होलसेल डीलरशिप लिए बैठे संघ के प्रचारक […]

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गांधी को समझना है, तो उन्हें भी उस समय की परिस्थितियों के…

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गांधी को समझना है, तो उन्हें भी उस समय की परिस्थितियों के साथ जोड़कर देखना होगा

गाँधी का देशकाल *(गांधी जयंती पर बादल सरोज का विशेष आलेख)* *एक* किसी भी व्यक्ति या विचार का मूल्यांकन करने का सही तरीका उसे उसके देश-काल में – टाइम एंड स्पेस में – बांधकर समझना है। गांधी को समझना है, तो उन्हें भी उस समय की परिस्थितियों के साथ जोड़कर देखना होगा। गांधी की एक […]

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17 बनाम 27 सितम्बर : तानाशाही के हाईवे पर लोकतंत्र की प्रतिरोध…

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17 बनाम 27 सितम्बर : तानाशाही के हाईवे पर लोकतंत्र की प्रतिरोध शिला

चारण और भाटों ने कसीदे काढ़े, नई-नई उपमा और विशेषण गढ़े, “आसमां पै है खुदा (नहीं-नहीं, ईश्वर) और जमीं पै ये”– मार्का प्रचार के तूमार खड़े करने के लिए पूरी अक्षौहिणी सेना झोंक दी, कर्ज में डूबे, दिवालिया होने की कगार पर पहुंचे सरकारी खजाने को खोलकर दरबारियों में खैरात, ईनाम- इकराम और जागीरें बँटी, […]

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खेतिहर समाज संकट की जकड़ में : डॉ. अशोक ढवले

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खेतिहर समाज संकट की जकड़ में : डॉ. अशोक ढवले

अखिल भारतीय किसान सभा देश का सबसे बड़ा किसान संगठन है तथा पिछले तीन दशकों में पूरे देश में किसान आंदोलन के विस्तार में उसका अभूतपूर्व योगदान है। डॉ. अशोक ढवले किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं तथा आज वे संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख चेहरों में गिने जाते हैं। भारत के किसानों को सशक्त […]

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अल्ला हू अकबर’ और ‘हर हर महादेव’ के युग्म से इतना क्यों…

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अल्ला हू अकबर’ और ‘हर हर महादेव’ के युग्म से इतना क्यों डर गए हुक्मरान?

5 सितम्बर के मुज़फ्फरनगर के इतवार की खासियतें इस बार कारपोरेट गोदी मीडिया के एक हिस्से को भी दर्ज करनी पड़ी। लगभग हरेक ने माना कि पिछली 25 वर्षों में — जबसे इस इलाके में किसानों के बड़े-बड़े जमावड़ों की शुरुआत हुयी है — यह सबसे बड़ी रैली थी। संयुक्त किसान मोर्चे ने ठीक ही […]

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