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Saturday, July 5, 2025 4:05:51 PM

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न होता यूं तो क्या होता! व्यंग्य

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न होता यूं तो क्या होता! व्यंग्य

भई पब्लिक की ये बात ठीक नहीं है। पहले अच्छे दिनों के लिए कब आएंगे, कब आएंगे पूछ-पूछकर, मोदी जी को इतना परेशान किया, इतना परेशान किया कि उन्होंने आजिज आकर अच्छे दिनों का आर्डर ही कैंसिल कर दिया और नये इंडिया का आर्डर दे दिया। पर मोदी जी के नये इंडिया का आर्डर देने […]

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कर्नाटक के हिजाब घटना की ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन द्वारा कड़ी निंदा

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कर्नाटक के हिजाब घटना की ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन द्वारा कड़ी निंदा

कर्नाटक में मुस्लिम छात्राएं  हिजाब पहनती रही हैं और कक्षाओं में भाग लेती रही हैं। लेकिन अब वहाँ हिजाब पहने मुस्लिम छात्राओं को स्कूल मे नहीं आने दिया जा रहा। भगवा स्कार्फ पहने और जय श्री राम के नारे लगा रहा लड़कों के झुंड कॉलेज मे छात्राओं के आने का विरोध कर रहे हैं।अल्पसंख्यक समुदाय को […]

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थैंक यू मोदी जी–हम कम से कम एशिया गुरु तो हुए! व्यंग्य…

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थैंक यू मोदी जी–हम कम से कम एशिया गुरु तो हुए! व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा

विपक्ष वालों ने ये क्या हद्द ही नहीं कर दी! मोदी जी के विरोध के चक्कर में अब क्या भारत के पिछड़ने का भी जश्न मनाया जाएगा? बेचारे भगवाइयों ने गांधी जी को गोली लगने पर जरा सी मिठाइयां वगैरह क्या बांट दी थीं, सत्तर-पहचत्तर साल बाद भी बेचारों को ताने सुनने पड़ते हैं। हरेक […]

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फासिस्टी मनोरोग के एप्प्स : बुल्लीबाई और सुल्ली डील्स

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फासिस्टी मनोरोग के एप्प्स : बुल्लीबाई और सुल्ली डील्स

नए साल की शुरुआत हिन्दुस्तानी फासिस्टों के एक और घिनौने कर्म के उजागर होने के साथ हुयी। जनवरी की पहली तारीख को ही सोशल मीडिया के जरिये जहरीले काम कर रहा “बुल्ली बाई” एप्प पकड़ा गया। यह अपराध तब सामने आया, जब कुछ मुस्लिम महिलाओं ने यह पाया कि एक एप्प के जरिये उनकी “नीलामी” […]

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हरिद्वार से चंपावत से रायपुर तक : बेनकाब होता हिन्दुत्व

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हरिद्वार से चंपावत से रायपुर तक : बेनकाब होता हिन्दुत्व

हरिद्वार के अधर्म हिन्दुत्वी जमावड़े में जो हुआ और भिन्न तीव्रता के साथ जिसे छत्तीसगढ़ के रायपुर में हुयी ऐसी एक शोर भरी जमावट में दोहराया गया, वह आजाद भारत में अभूतपूर्व और असाधारण बात है। हरिद्वार में “उनकी जनसंख्या को हमें खत्म करना है।”, “अगर हम सौ सैनिक बन गए और इनके 20 लाख […]

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किसान आंदोलन : अन्त नहीं, आरम्भ

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किसान आंदोलन : अन्त नहीं, आरम्भ

रिपोर्ट : बादल सरोज 11 दिसम्बर को सारे डेरे, तम्बू समेट कर सिंघु बॉर्डर से किसानो का आख़िरी जत्था भी नाचते-गाते अपने-अपने घरों के लिए वापस लौट गया। कोई 380 दिन के अनवरत चले पड़ाव का सुखद विजयी स्थगन जीत के उल्लास में साफ़ दिखाई दे रहा था। हठी के अहंकार को तोड़ने का विजयोल्लास […]

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नेपाली सेना ने भारतीय रक्षा प्रमुख बिपिन रावत के निधन पर दुख…

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नेपाली सेना ने भारतीय रक्षा प्रमुख बिपिन रावत के निधन पर दुख व्यक्त किया

नेपालगन्ज।भारतीय रक्षा प्रमुख विपिन रावत के निधनप्रति नेपाली सेनाले दुःख व्यक्त किया है। एक प्रेस नोट जारी कर के नेपाली सेना ने अपने मानार्थ महारथी जनरल रावत सहित उनकी पत्नी एव अन्य ११ सेना के कर्मचारी हेलिकप्टर दुर्घटना मे निधनप्रति दुःख व्यक्त किया है।नेपाली सेना के प्रधान सेनापति प्रभुराम शर्मा ने बताया कि भारत के […]

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मुनव्वर से बरास्ते वीर दास, कुणाल तक : गहरे होते अँधेरे, मुक़ाबिल…

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मुनव्वर से बरास्ते वीर दास, कुणाल तक : गहरे होते अँधेरे, मुक़ाबिल होते उजाले

पिछले सात साल में दो मामलों में मार्के का विकास हुआ है।एक : मोदी राज की उमर बढ़ी है, बढ़कर दूसरे कार्यकाल का भी आधा पूरा कर चुकी है। दो : रचनात्मकता को कुचल देने और सर्जनात्मकता को मार डालने की योजनाबद्ध हरकतें बढ़ते-बढ़ते एक ख़ास नीचाई तक पहुँच गयी हैं। स्टैंडअप कॉमेडियन्स मुनव्वर फारुकी, […]

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65 साल बाद भी जीवंत और प्रासंगिक बाबा साहब

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65 साल बाद भी जीवंत और प्रासंगिक बाबा साहब

1956 में – 6 दिसंबर को – नहीं रहे थे बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर। मगर कमाल का ही है उनका व्यक्तित्व और कृतित्व, जिसके चलते वे आज साढ़े छः दशक बाद भी न सिर्फ जीवंत और प्रासंगिक है, बल्कि एजेंडा निर्धारित कर कर रहे हैं। उन्हें विशेष रूप से याद करने के अनेक कारण […]

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वे तो शहीद हुए हैं, मरा तो कुछ और है!! –कृषि मंत्री…

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वे तो शहीद हुए हैं, मरा तो कुछ और है!! –कृषि मंत्री के चुनिंदा स्मृति-लोप की क्रोनोलॉजी

तीन कृषि कानूनों की वापसी के लिए लड़ते-लड़ते किसान आंदोलन में शहीद हुए सातेक सौ किसानों के बारे में संसद में दिए जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि : “कृषि मंत्रालय के पास इस बारे में कोई रिकॉर्ड नहीं है, ऐसे में वित्तीय सहायता देने का सवाल नहीं उठता।” […]

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गाँव बसने से पहले ही आ पहुँचे उठाईगीरे : क़ानून वापसी के…

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गाँव बसने से पहले ही आ पहुँचे उठाईगीरे : क़ानून वापसी के साथ-साथ कानूनों की पुनर्वापसी की जाहिर की मंशा

19 नवम्बर की भाषणजीवी प्रधानमंत्री के तीनो कानूनों को वापस लेने की मौखिक घोषणा पर कैबिनेट ने 5 दिन बाद 24 नवम्बर को मोहर लगाई और संसद में बिना कोई चर्चा कराये 29 नवम्बर को उन्हें संसद के दोनों सदनों में भी रिपील कराने का बिल पारित करा लिया गया। यह देश ही नहीं, दुनिया […]

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जीत के बाद भी जारी है देश का किसान आंदोलन

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जीत के बाद भी जारी है देश का किसान आंदोलन

देश भर में जिस अभूतपूर्व, असाधारण, ऐतिहासिक किसान आंदोलन ने कल एक वर्ष पूरा किया है, उसने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली कारपोरेट बंधुआ सरकार को निर्णायक रूप से पराजित किया है। प्रधानमंत्री मोदी को अंततः उन तीन कृषि क़ानूनों को वापस लेने की घोषणा करनी पड़ी है, जो भारत देश की खेती और खाद्यान्नों […]

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कॉर्पोरेट विरोधी संयुक्त संघर्ष की ऐतिहासिक जीत! 700 से अधिक किसानों की…

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कॉर्पोरेट विरोधी संयुक्त संघर्ष की ऐतिहासिक जीत! 700 से अधिक किसानों की शहादत के लिए नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार जिम्मेदार, सब कुछ याद रखा जाएगा : किसान सभा

अखिल भारतीय किसान सभा ने कहा है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली अहंकारी भाजपा सरकार को हार स्वीकार करने और तीन किसान विरोधी, जन विरोधी और कॉर्पोरेट समर्थक कानूनों को निरस्त करने की घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इसके लिए किसान सभा देश के उन लाखों किसानों, खेत मजदूरों और कामगारों […]

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रानी कमलापति या आदिवासियों का धृतराष्ट्र-आलिंगन? : पुरानी है भाजपा की आदिवासियों…

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रानी कमलापति या आदिवासियों का धृतराष्ट्र-आलिंगन? : पुरानी है भाजपा की आदिवासियों से नफरत! !

संघी कुनबे को भारत के मुक्ति आंदोलन के असाधारण नायक बिरसा मुण्डा की याद उनकी शहादत के 122वें वर्ष में आयी। अंग्रेजो से लड़ते हुए और इसी दौरान आदिवासी समाज को कुरीतियों से मुक्त कराते हुए महज 24 साल की उम्र में रांची की जेल में फांसी पर लटका दिए गए बिरसा मुण्डा के जन्मदिन […]

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ध्रुवीकरण, विभाजन और उन्माद ही भाजपा के अंतिम अस्त्र

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ध्रुवीकरण, विभाजन और उन्माद ही भाजपा के अंतिम अस्त्र

उर्दू के शायर सदा नेवतनवी साहब का शेर है कि : “अब है तूफ़ान मुक़ाबिल तो ख़ुदा याद आया हो गया दूर जो साहिल तो खुदा याद आया !!” इन दिनों यह शेर पूरी तरह यदि किसी पर लागू होता है, तो वे हैं नरेंद्र मोदी के बाद भाजपा में – गिनती जहाँ पूरी हो […]

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राष्ट्र को समर्पण या आत्मसमर्पण? : सरकारी आयुध निर्माणियों की सेल की…

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राष्ट्र को समर्पण या आत्मसमर्पण? : सरकारी आयुध निर्माणियों की सेल की धूर्तता पर गर्व का गरबा करते मोदी

प्रचलन में यह है कि दशहरे के दिन अस्त्र-शस्त्रों की पूजा होती है। मगर जैसा कि विश्वामित्र कह गए हैं : “कलियुग में सब उलटा पुलटा हो जाता है।” वही हो रहा है। इस दशहरे पर मोदी जीno – हिन्दू धर्म के स्वयंभू संरक्षक मोदी जी, राष्ट्रवाद की होलसेल डीलरशिप लिए बैठे संघ के प्रचारक […]

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गांधी को समझना है, तो उन्हें भी उस समय की परिस्थितियों के…

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गांधी को समझना है, तो उन्हें भी उस समय की परिस्थितियों के साथ जोड़कर देखना होगा

गाँधी का देशकाल *(गांधी जयंती पर बादल सरोज का विशेष आलेख)* *एक* किसी भी व्यक्ति या विचार का मूल्यांकन करने का सही तरीका उसे उसके देश-काल में – टाइम एंड स्पेस में – बांधकर समझना है। गांधी को समझना है, तो उन्हें भी उस समय की परिस्थितियों के साथ जोड़कर देखना होगा। गांधी की एक […]

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17 बनाम 27 सितम्बर : तानाशाही के हाईवे पर लोकतंत्र की प्रतिरोध…

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17 बनाम 27 सितम्बर : तानाशाही के हाईवे पर लोकतंत्र की प्रतिरोध शिला

चारण और भाटों ने कसीदे काढ़े, नई-नई उपमा और विशेषण गढ़े, “आसमां पै है खुदा (नहीं-नहीं, ईश्वर) और जमीं पै ये”– मार्का प्रचार के तूमार खड़े करने के लिए पूरी अक्षौहिणी सेना झोंक दी, कर्ज में डूबे, दिवालिया होने की कगार पर पहुंचे सरकारी खजाने को खोलकर दरबारियों में खैरात, ईनाम- इकराम और जागीरें बँटी, […]

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खेतिहर समाज संकट की जकड़ में : डॉ. अशोक ढवले

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खेतिहर समाज संकट की जकड़ में : डॉ. अशोक ढवले

अखिल भारतीय किसान सभा देश का सबसे बड़ा किसान संगठन है तथा पिछले तीन दशकों में पूरे देश में किसान आंदोलन के विस्तार में उसका अभूतपूर्व योगदान है। डॉ. अशोक ढवले किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं तथा आज वे संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख चेहरों में गिने जाते हैं। भारत के किसानों को सशक्त […]

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अल्ला हू अकबर’ और ‘हर हर महादेव’ के युग्म से इतना क्यों…

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अल्ला हू अकबर’ और ‘हर हर महादेव’ के युग्म से इतना क्यों डर गए हुक्मरान?

5 सितम्बर के मुज़फ्फरनगर के इतवार की खासियतें इस बार कारपोरेट गोदी मीडिया के एक हिस्से को भी दर्ज करनी पड़ी। लगभग हरेक ने माना कि पिछली 25 वर्षों में — जबसे इस इलाके में किसानों के बड़े-बड़े जमावड़ों की शुरुआत हुयी है — यह सबसे बड़ी रैली थी। संयुक्त किसान मोर्चे ने ठीक ही […]

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हिंदुस्तानी सभ्यता को अफगानिस्तान बनाने वाले संघी गिरोह की बर्बरता

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हिंदुस्तानी सभ्यता को अफगानिस्तान बनाने वाले संघी गिरोह की बर्बरता

 बीस साल तक सौ जूते और सौ प्याज खाकर, खिलाकर सब कुछ तबाह और खंड-खंड करके अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिका वापस चला ही गया। संयुक्त राज्य अमेरिका नाम के देश की सचमुच की खासियत यह है कि जो भी उसके साथ गया या जिसके भी वो पास गया, वह कहीं का नहीं रहा। न तंत्र बचा […]

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किसान आंदोलन के नौ माह : भाजपा के छल, छद्म और पाखण्ड…

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किसान आंदोलन के नौ माह : भाजपा के छल, छद्म और पाखण्ड के विरुद्ध खड़ा भारत

26 अगस्त को नौ महीने पूरे करने वाले किसान आंदोलन ने भाजपा के ब्रह्मास्त्र आईटी सैल और पाले-पोसे कारपोरेट मीडिया के जरिये किये जाने वाले दुष्प्रचार और उसके जरिये उगाई जाने वाली नफरती भक्तों की खरपतवार की जड़ों में भी, काफी हद तक, मट्ठा डाला है। भारतीय जनता पार्टी और उसके रिमोट के कंट्रोलधारी आरएसएस […]

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किसान आन्दोलन की ऐतिहासिक जन कार्यवाहियां

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किसान आन्दोलन की ऐतिहासिक जन कार्यवाहियां

दिल्ली के चारों तरफ सीमाओं पर किसान पिछले नौ महीनों से बैठे है और किसान विरोधी तीन काले कानूनों का विरोध कर रहे हैं। हाल फ़िलहाल में किसानो द्वारा कई बड़ी राष्ट्रव्यापी कार्यवाहियां हुई हैं, जिनमें हज़ारों किसानों ने भागेदारी की है। किसानों द्वारा इस दौरान महत्वपूर्ण दिवसों को भी मनाया गया। *26 मई की […]

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किसान आंदोलन के नौ महीने : भारत के जनांदोलनों के इतिहास के…

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किसान आंदोलन के नौ महीने : भारत के जनांदोलनों के इतिहास के असाधारण संग्राम की विशेषताएं

26 अगस्त को नौ महीने पूरे कर रहे किसान आंदोलन को किसी परिचय या भूमिका की आवश्यकता नहीं है। यहां सीधे इसकी कुछ विशेषताओं पर आते हैं। इस असाधारण किसान आन्दोलन की इन सबसे भी कहीं ज्यादा बुनियादी और दूरगामी छाप छोड़ने वाली विशेषतायें पाँच हैं। *पहली* है : इस लड़ाई का नीतिगत सवालों पर […]

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विभाजन विभीषिका स्मृति के बहाने हॉरर के रौरव की तैयारी

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विभाजन विभीषिका स्मृति के बहाने हॉरर के रौरव की तैयारी

जो आपदा में कमाई और लूट के अवसर ढूंढ सकते हैं, अकाल मौतों को छुपाने में राहत महसूस कर सकते हैं, बर्बादी और विनाश में आल्हाद देख सकते हैं, वे भला उत्सव और समारोहों के मौकों को भी त्रासद और विभाजन का जरिया बनाने से क्यों बाज आने लगे!! ठीक यही काम, अपने नाम ‘डिवाइडर […]

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हाल के दौर में जमकर लड़ी है देश की जनता, इन संघर्षों…

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हाल के दौर में जमकर लड़ी है देश की जनता, इन संघर्षों को आगे बढ़ाना ही होगा : शैली स्मृति व्याख्यान में बोले डॉ. ढवले

“आदरांजलि देने का काम सिर्फ शब्दों से नहीं किया जाता। सच्ची आदरांजलि उस रास्ते पर चलकर दी जाती है, जिसे दिखाकर शैली हमारे बीच से गए हैं। यह रास्ता कैसे भी हालात हों, उनमे संघर्ष तेज करने, उसे आगे बढ़ाने और उसके आधार पर वामपंथी विकल्प तैयार करने तथा उसके अनुरूप संगठन बनाने का है।” […]

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लुप्त होती पत्रकारिता और छीजता मीडिया : भारतीय मीडिया मुनाफे की तिजोरी…

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लुप्त होती पत्रकारिता और छीजता मीडिया : भारतीय मीडिया मुनाफे की तिजोरी का बंदी, यह सिस्टम की विफलता नहीं है, बल्कि यही सिस्टम है : पी साईनाथ

शैलेन्द्र शैली स्मृति व्याख्यान-2021 में देश के सिद्ध और दुनिया के प्रसिद्ध पत्रकार पी साईनाथ ने “लुप्त होती पत्रकारिता और छीजता मीडिया” विषय पर दर्शकों-श्रोताओं को अपनी अनोखी सूचनाओं और असाधारण विश्लेषण से अवगत कराया। ‘लोकजतन’ द्वारा अपने संस्थापक सम्पादक की स्मृति में पखवाड़े भर तक चलाई जाने वाले व्याख्यानमाला में छात्र आंदोलन में शैली […]

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शैली स्मृति व्याख्यान में बोले संजय पराते : मोदी मतलब मर्डर ऑफ…

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शैली स्मृति व्याख्यान में बोले संजय पराते : मोदी मतलब मर्डर ऑफ डेमोक्रेटिक इंडिया, कार्पोरेटी हिंदुत्व लोकतांत्रिक भारत की हत्या कर रहा है, लोकतंत्र को लाठीतंत्र में बदल रहा है

शैली स्मृति व्याख्यान में बोले संजय पराते : मोदी मतलब मर्डर ऑफ डेमोक्रेटिक इंडिया, कार्पोरेटी हिंदुत्व लोकतांत्रिक भारत की हत्या कर रहा है, लोकतंत्र को लाठीतंत्र में बदल रहा है “कार्पोरेटी हिंदुत्व लोकतांत्रिक भारत की हत्या कर रहा है। संवैधानिक मूल्यों को ध्वस्त किया जा रहा है। असहमति रखने वाले व्यक्तियों और संगठनों को फासीवादी […]

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