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Friday, July 4, 2025 7:03:58 PM

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एम.एस. गोलवलकर : ‘निराशा के गुरु!

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एम.एस. गोलवलकर : ‘निराशा के गुरु!

रिपोर्ट : शुभम शर्मा – धीरेन्द्र के. झा द्वारा लिखित ‘गोलवलकर : द मिथ बिहाइंड द मैन, द मैन बिहाइंड द मशीन’ की समीक्षा, अनुवाद : संजय पराते   पानीपत के तीसरे युद्ध में मराठों और दुर्रानी के बीच टकराव अपरिहार्य लग रहा था। इसके ठीक एक वर्ष पहले, करहाड़े जाति के ब्राह्मणों के एक […]

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जब न्यायाधीश ही हत्यारों की अगुवाई करने लगे!

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जब न्यायाधीश ही हत्यारों की अगुवाई करने लगे!

रिपोर्ट : महेंद्र मिश्र संविधान ही नहीं, अब समय देश बचाने का है। पिछले दस सालों में इस सरकार ने देश को जो जख्म दिए हैं, अब वे मवाद बनकर फूटने लगे हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस शेखर यादव की घटना उसी का एक रूप है। न्याय की वेदी पर बैठा एक शख्स, जिसके लिए […]

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बाबरी से मुरादाबाद वाया रतलाम : बाड़ाबंदी का अभियान

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बाबरी से मुरादाबाद वाया रतलाम : बाड़ाबंदी का अभियान

रिपोर्ट : बादल सरोज   हादसे वक्त के गुजरने के साथ अपने आप बेअसर नहीं होते, जख्म खुद-ब-खुद नहीं भरते। इसका उलट जरूर होता है, गुनाह अगर सही तरीके से, बिना कोई रू-रियायत किये हिसाब में नहीं लिए जाएँ, तो उनके ढेर से उठने वाली सड़ांध सिर्फ बदबू ही नहीं फैलाती, अनगिनत बीमारियों के संक्रमण […]

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महात्मा गांधी के अंतिम दिन : एक मज़ार की तीर्थ यात्रा

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महात्मा गांधी के अंतिम दिन : एक मज़ार की तीर्थ यात्रा

रिपोर्ट : क़ुरबान अली   आज जब हर मस्जिद के नीचे मंदिर तलाश करने की साज़िश रची जा रही है, ऐसे में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की याद आती है कि वह आज होते, तो क्या करते और आज़ाद हिंदुस्तान में मात्र साढ़े पांच माह जीवित रहने के दौरान उन्होंने क्या किया और हिंदू-मुस्लिम एकता और […]

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बगलबच्चा पूंजीवाद से माई-बाप पूंजीवाद तक

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बगलबच्चा पूंजीवाद से माई-बाप पूंजीवाद तक

रिपोर्ट : राजेंद्र शर्मा   क्या क्रोनी कैपीटलिज्म यानी बगलबच्चा पूंजीवाद की संज्ञा पुरानी नहीं पड़ गयी है? क्या विशेष रूप से भारत में हालात अब बगलबच्चा पूंजीवाद से आगे नहीं निकल गए हैं? आम तौर पर देश के राजनीतिक मंच पर और खासतौर पर संसद में पिछले कुछ समय से जो कुछ हो रहा […]

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श्रम की गरिमा बनाम भीख की संस्कृति

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श्रम की गरिमा बनाम भीख की संस्कृति

रिपोर्ट  : जवरीमल्ल पारख   1954 में एक फ़िल्म बनी थी, जिसका नाम था बूट पालिश। इस फ़िल्म का संबंध महानगर की झुग्गी बस्तियों में रहने वाले उन गरीबों से है, जो या तो भीख मांगकर अपना जीवनयापन करते हैं या छोटे-मोटे काम करके, जिन्हें आमतौर पर भारत में निम्न समझी जाने वाली जातियां ही […]

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1. चलो बुलावा आया है, राष्ट्र सेठ ने बुलाया है!

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1. चलो बुलावा आया है, राष्ट्र सेठ ने बुलाया है!

रिपोर्ट : राजेंद्र शर्मा    इन अमरीकियों ने क्या हद्द ही नहीं कर रखी है। चोरी तो चोरी, ऊपर से सीनाजोरी और। बताइए, मोदी जी की सरकार के ही खिलाफ षडयंत्र रच रहे हैं। षडयंत्र भी कोई ऐसा-वैसा नहीं। सिर्फ बदनाम करने या शर्मिंदा करने का षडयंत्र नहीं। बाकायदा सरकार को अस्थिर करने का षडयंत्र। […]

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अडानी के बचाव में बीजेपी ने सारे घोड़े खोल दिए हैं

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अडानी के बचाव में बीजेपी ने सारे घोड़े खोल दिए हैं

रिपोर्ट : रविंद्र पटवाल यह एक ऐसा मुद्दा बनता जा रहा है, जिस पर देश में एक ऐसी जंग छिड़ गई है, जिसका कोई ओर-छोर नजर नहीं आ रहा। भारतीय मीडिया और संसद के भीतर सरकार के रुख को देखकर तो सहसा यही यकीन होता है कि हिंडनबर्ग के खुलासे की तरह इस बार भी […]

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संभल मस्जिद, अजमेर दरगाह : आखिर हम कितने पीछे जाएंगे?

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संभल मस्जिद, अजमेर दरगाह : आखिर हम कितने पीछे जाएंगे?

रिपोर्ट : राम पुनियानी   सन 1980 के दशक में देश में शांति-व्यवस्था और प्रगति पर गम्भीर हमले हुए। साम्प्रदायिक ताकतों के हाथ एक नया औज़ार लग गया। वे देश के पूजास्थलों के कथित अतीत का उपयोग साम्प्रदायिकता भड़काने के लिए करने लगे। लालकृष्ण आडवाणी ने रथयात्रा निकाली। उनकी मुख्य मांग यह थी कि जिस […]

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नफरती उन्माद को अंधड़ में बदलने की बदहवासी

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नफरती उन्माद को अंधड़ में बदलने की बदहवासी

रिपोर्ट  : बादल सरोज देश में सीधे-सीधे फांक करना, जनता के समूहों के बीच अलगाव की खाई खोद कर उसे लगातार चौड़े से और अधिक चौड़ा करना, एक दूसरे के प्रति नफरती उन्माद को कटु से कटुतर, तीव्र से तीव्रतर और शाब्दिक हिंसा से सीधे हमलावर बनाया जाना हमारे समकाल की लाक्षणिक पहचान बनती जा […]

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राजेंद्र शर्मा के तीन व्यंग्य

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राजेंद्र शर्मा के तीन व्यंग्य

1. गहरा न खोदियो कोय मोदी जी, योगी जी, भागवत जी, आदि जी लोग गलत नहीं कहते हैं। उनके राज के बाद भी हिंदुत्व की राह आसान नहीं है। हिंदुत्व की राह में खतरे ही खतरे हैं। बल्कि उनके राज में हिंदुत्व के लिए खतरे जितने हो गए हैं, पहले कभी भी नहीं थे। सब […]

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नफरती भाषणों और अल्पसंख्यकों के दानवीकरण का तेजी से बढ़ता ग्राफ

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नफरती भाषणों और अल्पसंख्यकों के दानवीकरण का तेजी से बढ़ता ग्राफ

रिपोर्ट : : राम पुनियानी आरएसएस-भाजपा और उनसे जुड़े संगठन हर मौके का उपयोग अल्पसंख्यकों के दानवीकरण के लिए करते आए हैं। यद्यपि नफरत फैलाने वाले भाषण देना अपराध है और उसके लिए सजा का प्रावधान भी है, मगर अधिकांश मामलों में दोषियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती। पिछले एक दशक से एक सांप्रदायिक पार्टी […]

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संसद को ठप्प कौन कर रहा है?

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संसद को ठप्प कौन कर रहा है?

रिपोर्ट : राजेंद्र शर्मा   क्या संसद का शीतकालीन सत्र उसी रास्ते जा रहा है, जिस रास्ते पिछले कई सत्र गए हैं। कुल तीन हफ्तों के सत्र में पहले हफ्ते संसद के लगातार ठप्प होने के बाद, दूसरे हफ्ते की भी शुरूआत उसके ठप्प रहने का सिलसिला जारी रहने से हो गयी है। संसद के […]

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कराहते बुन्देलखण्ड में उन्माद भड़काने की मुहिम

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कराहते बुन्देलखण्ड में उन्माद भड़काने की मुहिम

रिपोर्ट : बादल सरोज   इन पंक्तियों के लिखे जाने के समय तक बागेश्वर धाम के धामाधीश धीरेन्द्र शास्त्री की कथित यात्रा चलायमान है। कहने को इसे हिन्दू धर्म के प्रचार और हिन्दुओं के एकीकरण की धार्मिक उद्देश्यों वाली यात्रा बताया जा रहा है, मगर अपने सार और रूप, संदेश और उदघोष, हर मामले में […]

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संविधान की 75वीं वर्षगांठ और अंबेडकर की चेतावनी

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संविधान की 75वीं वर्षगांठ और अंबेडकर की चेतावनी

रिपोर्ट : एस एन साहू   26 नवंबर को भारत के संविधान को अपनाने और लागू करने की 75वीं वर्षगांठ मनाते समय, बीआर अंबेडकर द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है, ताकि संविधान को भारतीय समाज के लिए अधिक प्रासंगिक बनाया जा सके, जो लगातार सामाजिक और आर्थिक असमानताओं से ग्रस्त […]

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पुचकारने से नहीं मानते भेड़िये

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पुचकारने से नहीं मानते भेड़िये

रिपोर्ट : बादल सरोज   ‘देर आयद’ की कहावत के पहले दो शब्दों को व्यवहार में उतारते हुए आखिरकार देश की सबसे बड़ी अदालत ने बुलडोजर अन्याय पर अपना फैसला दे दिया। 13 नवंबर को सुनाए अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कार्यपालिका केवल इस आधार पर किसी व्यक्ति का घर नहीं गिरा […]

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राजेंद्र शर्मा के तीन व्यंग्य

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राजेंद्र शर्मा के तीन व्यंग्य

1. सनातनी घूस, घूस न भवति! कहां हैं, कहां हैं, कहां हैं, मोदी जी के ‘एक रहोगे तो सेफ रहोगे’ के सूत्र में बंटवारा खोजने वाले। अब तो महाराष्ट्र में जनता ने भी मोदी जी के सूत्र को फॉलो कर के दिखा दिया है। देखा नहीं कैसे सेफ रहने के लिए ही करीब-करीब सारी सीटें […]

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संविधान दिवस: अगर देश आरएसएस के मुताबिक़ चलता रहा, तो हमारा संवैधानिक…

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संविधान दिवस: अगर देश आरएसएस के मुताबिक़ चलता रहा, तो हमारा संवैधानिक ढांचा क्या रहेगा?रिपोर्ट

रिपोर्ट :  क़ुरबान अली भारतीय संविधान सभा द्वारा पारित किए गए संविधान को 74 वर्ष पूरे हो गए हैं और अगले वर्ष 26 जनवरी, 2025 को इसके 75 बरस पूरे हो जाएंगे। मैग्नाकार्टा या ‘ग्रेट चार्टर’ पर बिर्तानी सम्राट द्वारा किए गए हस्ताक्षर के 735 वर्ष बाद भारतीय संविधान मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बनाया […]

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75 की दहलीज पर हमारा संविधान

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75 की दहलीज पर हमारा संविधान

रिपोर्ट : बृंदा करात अनुवाद : संजय पराते   75 साल की दहलीज पर हमारा संविधान चर्चा का विषय बना हुआ है। संसदीय बहसों में, चुनावों में एक मुद्दे के रूप में और विभिन्न दलों के राजनीतिक नेताओं के भाषणों में, यह बहस का केंद्रीय बिंदु है। यह संविधान का मसौदा तैयार करने वाले संस्थापक […]

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कहां फंसी है महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों की पेंच?

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कहां फंसी है महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों की पेंच?

रिपोर्ट : महेंद्र मिश्र चुनाव कवरेज के दौरान जब मैं नागपुर में था तो एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि महाविकास अघाड़ी और महायुति के बीच अंतर तो क्रमश: 60 और 40 का है और अगर इतना नहीं तो 55 और 45 का निश्चित रूप से है। लेकिन सरकार-प्रशासन, चुनाव आयोग और दूसरी रहस्यमय शक्तियों […]

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जनतंत्र की सौतेली मां!

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जनतंत्र की सौतेली मां!

रिपोर्ट  : राजेन्द्र शर्मा – इस बार के चुनाव में और खासतौर पर महाराष्ट्र के चुनाव में जितना पैसा बहाया गया है, इससे पहले कभी नहीं बहाया गया था। चुनाव आयोग द्वारा चुनाव प्रक्रिया के दौरान, पिछले चुनाव के मुकाबले सात गुना ज्यादा पैसा पकड़ा जाना इसी की ओर इशारा करता है। महाराष्ट्र की राजनीति […]

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विष्णु नागर के तीन व्यंग्य 1. बंटेंगे तो कटेंगे, एक हैं तो…

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विष्णु नागर के तीन व्यंग्य 1. बंटेंगे तो कटेंगे, एक हैं तो सेफ हैं

विष्णु नागर के तीन व्यंग्य 1. बंटेंगे तो कटेंगे, एक हैं तो सेफ हैं मोदी-अडानी एक हैं, तो मोदी जी भी सेफ हैं और अडानी जी भी सेफ हैं। मोदी और अडानी सेफ हैं, तो अडानी को कर्ज पर कर्ज देने वाली बैंकें भी सेफ हैं।अडानी की कंपनी में पैसा लगाने वाली, तमाम इधर-उधर के […]

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‘कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना’ साधते सीकरी के असाधु और असंत

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‘कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना’ साधते सीकरी के असाधु और असंत

रिपोर्ट : बादल सरोज कुनबे की हड़बड़ी कुछ ज्यादा ही बढ़ी दिख रही है ; उन्मादी ध्रुवीकरण को तेज से तेजतर और उसके तरीकों को अशिष्ट से अभद्रतम तक पहुंचाया जा रहा है। यूपी की फिसलन के बाद बिगड़ा सरोदा संभाले नहीं संभल रहा है ; ‘कटेंगे तो बंटेंगे’ का फरसा भांजने के बाद भी […]

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बुलडोज़र गाथा

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बुलडोज़र गाथा

रिपोर्ट : संजीव कुमार   इंडियन एक्सप्रेस (18 नवंबर, 2024) में सुहास पलसीकर लिखते हैं : “हमारे लोकतंत्र के साथ जो गड़बड़ी है, बुलडोज़र उसका एक अभिलक्षण है। अदालत ने आख़िरकार भौतिक बुलडोज़र पर ग़ौर फ़रमाया है और इसके ग़ैर-क़ानूनी इस्तेमाल को रोकने की कोशिश की है। लेकिन अवधारणा और विचारधारा के स्तर पर बुलडोज़र […]

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अयोध्या विवाद : किन्हें, क्यों और कैसे याद आएंगे चंद्रचूड़?

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अयोध्या विवाद : किन्हें, क्यों और कैसे याद आएंगे चंद्रचूड़?

रिपोर्ट  : कृष्ण प्रताप सिंह देश के 50वें चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत (डीवाई) चंद्रचूड़ अंततः इस ‘चिंता’ के साथ सेवानिवृत्त हो गए कि क्या पता, भावी इतिहास (उनके द्वारा जस्टिस व चीफ जस्टिस के तौर पर निभाई गई भूमिका के लिए) उन्हें किस रूप में याद करेगा। यों, होना यह चाहिए था कि अपनी […]

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बदलाव का तूफान

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बदलाव का तूफान

रिपोर्ट : बादल सरोज   इस टिप्पणी के साथ दिए गये ग्राफ़िक्स श्रीलंका के नक्शे पर वहाँ की संसद के लिए हुए 3 चुनावों के नतीजों के आधार पर हुए बदलाव को दर्ज करते हैँ।   1994 में जो वाम शब्दशः हाशिये पर था, 2015 में हाशिये से भी बाहर हो गया था, उसने 2024 […]

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राजेंद्र शर्मा के चार व्यंग्य 1. हंगामा क्यों बरपा, सरकार ही तो…

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राजेंद्र शर्मा के चार व्यंग्य 1. हंगामा क्यों बरपा, सरकार ही तो बनाई-गिराई है!

  भई अडानी जी के साथ तो बहुत ही अन्याय हो रहा है। पहले भी बेबात उनके नाम पर हल्ला होता रहता था। बेचारे हवाई अड्डा खरीदें, तो इसका शोर कि सारे हवाई अड्डे अडानी के नाम क्यों कर दिए। बंदरगाह खरीदें, तो इस पर शोर कि सारे बंदरगाह एक ही बंदे के नाम क्यों […]

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व्हाइट हाउस में जचकी उधर और सोहर का शोर इधर

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व्हाइट हाउस में जचकी उधर और सोहर का शोर इधर

रिपोर्ट : बादल सरोज   इस बार 5 नवम्बर को सभी को चौंकाते हुए, जो आदमी, अमरीका के राष्ट्रपति का चुनाव जीता है, यह निर्लज्ज नस्लवादी, अंग्रेजी में बोले तो रेसिस्ट बन्दा है और जैसा कि नियम है, इस तरह के लोग विकृत – परवर्ट – और हर मामले में हर तरह से भ्रष्ट – […]

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