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Tuesday, June 3, 2025 9:35:21 PM

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गाँव बसने से पहले ही आ पहुँचे उठाईगीरे : क़ानून वापसी के…

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गाँव बसने से पहले ही आ पहुँचे उठाईगीरे : क़ानून वापसी के साथ-साथ कानूनों की पुनर्वापसी की जाहिर की मंशा

19 नवम्बर की भाषणजीवी प्रधानमंत्री के तीनो कानूनों को वापस लेने की मौखिक घोषणा पर कैबिनेट ने 5 दिन बाद 24 नवम्बर को मोहर लगाई और संसद में बिना कोई चर्चा कराये 29 नवम्बर को उन्हें संसद के दोनों सदनों में भी रिपील कराने का बिल पारित करा लिया गया। यह देश ही नहीं, दुनिया […]

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जीत के बाद भी जारी है देश का किसान आंदोलन

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जीत के बाद भी जारी है देश का किसान आंदोलन

देश भर में जिस अभूतपूर्व, असाधारण, ऐतिहासिक किसान आंदोलन ने कल एक वर्ष पूरा किया है, उसने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली कारपोरेट बंधुआ सरकार को निर्णायक रूप से पराजित किया है। प्रधानमंत्री मोदी को अंततः उन तीन कृषि क़ानूनों को वापस लेने की घोषणा करनी पड़ी है, जो भारत देश की खेती और खाद्यान्नों […]

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कॉर्पोरेट विरोधी संयुक्त संघर्ष की ऐतिहासिक जीत! 700 से अधिक किसानों की…

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कॉर्पोरेट विरोधी संयुक्त संघर्ष की ऐतिहासिक जीत! 700 से अधिक किसानों की शहादत के लिए नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार जिम्मेदार, सब कुछ याद रखा जाएगा : किसान सभा

अखिल भारतीय किसान सभा ने कहा है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली अहंकारी भाजपा सरकार को हार स्वीकार करने और तीन किसान विरोधी, जन विरोधी और कॉर्पोरेट समर्थक कानूनों को निरस्त करने की घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इसके लिए किसान सभा देश के उन लाखों किसानों, खेत मजदूरों और कामगारों […]

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रानी कमलापति या आदिवासियों का धृतराष्ट्र-आलिंगन? : पुरानी है भाजपा की आदिवासियों…

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रानी कमलापति या आदिवासियों का धृतराष्ट्र-आलिंगन? : पुरानी है भाजपा की आदिवासियों से नफरत! !

संघी कुनबे को भारत के मुक्ति आंदोलन के असाधारण नायक बिरसा मुण्डा की याद उनकी शहादत के 122वें वर्ष में आयी। अंग्रेजो से लड़ते हुए और इसी दौरान आदिवासी समाज को कुरीतियों से मुक्त कराते हुए महज 24 साल की उम्र में रांची की जेल में फांसी पर लटका दिए गए बिरसा मुण्डा के जन्मदिन […]

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ध्रुवीकरण, विभाजन और उन्माद ही भाजपा के अंतिम अस्त्र

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ध्रुवीकरण, विभाजन और उन्माद ही भाजपा के अंतिम अस्त्र

उर्दू के शायर सदा नेवतनवी साहब का शेर है कि : “अब है तूफ़ान मुक़ाबिल तो ख़ुदा याद आया हो गया दूर जो साहिल तो खुदा याद आया !!” इन दिनों यह शेर पूरी तरह यदि किसी पर लागू होता है, तो वे हैं नरेंद्र मोदी के बाद भाजपा में – गिनती जहाँ पूरी हो […]

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राष्ट्र को समर्पण या आत्मसमर्पण? : सरकारी आयुध निर्माणियों की सेल की…

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राष्ट्र को समर्पण या आत्मसमर्पण? : सरकारी आयुध निर्माणियों की सेल की धूर्तता पर गर्व का गरबा करते मोदी

प्रचलन में यह है कि दशहरे के दिन अस्त्र-शस्त्रों की पूजा होती है। मगर जैसा कि विश्वामित्र कह गए हैं : “कलियुग में सब उलटा पुलटा हो जाता है।” वही हो रहा है। इस दशहरे पर मोदी जीno – हिन्दू धर्म के स्वयंभू संरक्षक मोदी जी, राष्ट्रवाद की होलसेल डीलरशिप लिए बैठे संघ के प्रचारक […]

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गांधी को समझना है, तो उन्हें भी उस समय की परिस्थितियों के…

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गांधी को समझना है, तो उन्हें भी उस समय की परिस्थितियों के साथ जोड़कर देखना होगा

गाँधी का देशकाल *(गांधी जयंती पर बादल सरोज का विशेष आलेख)* *एक* किसी भी व्यक्ति या विचार का मूल्यांकन करने का सही तरीका उसे उसके देश-काल में – टाइम एंड स्पेस में – बांधकर समझना है। गांधी को समझना है, तो उन्हें भी उस समय की परिस्थितियों के साथ जोड़कर देखना होगा। गांधी की एक […]

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17 बनाम 27 सितम्बर : तानाशाही के हाईवे पर लोकतंत्र की प्रतिरोध…

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17 बनाम 27 सितम्बर : तानाशाही के हाईवे पर लोकतंत्र की प्रतिरोध शिला

चारण और भाटों ने कसीदे काढ़े, नई-नई उपमा और विशेषण गढ़े, “आसमां पै है खुदा (नहीं-नहीं, ईश्वर) और जमीं पै ये”– मार्का प्रचार के तूमार खड़े करने के लिए पूरी अक्षौहिणी सेना झोंक दी, कर्ज में डूबे, दिवालिया होने की कगार पर पहुंचे सरकारी खजाने को खोलकर दरबारियों में खैरात, ईनाम- इकराम और जागीरें बँटी, […]

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खेतिहर समाज संकट की जकड़ में : डॉ. अशोक ढवले

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खेतिहर समाज संकट की जकड़ में : डॉ. अशोक ढवले

अखिल भारतीय किसान सभा देश का सबसे बड़ा किसान संगठन है तथा पिछले तीन दशकों में पूरे देश में किसान आंदोलन के विस्तार में उसका अभूतपूर्व योगदान है। डॉ. अशोक ढवले किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं तथा आज वे संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख चेहरों में गिने जाते हैं। भारत के किसानों को सशक्त […]

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अल्ला हू अकबर’ और ‘हर हर महादेव’ के युग्म से इतना क्यों…

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अल्ला हू अकबर’ और ‘हर हर महादेव’ के युग्म से इतना क्यों डर गए हुक्मरान?

5 सितम्बर के मुज़फ्फरनगर के इतवार की खासियतें इस बार कारपोरेट गोदी मीडिया के एक हिस्से को भी दर्ज करनी पड़ी। लगभग हरेक ने माना कि पिछली 25 वर्षों में — जबसे इस इलाके में किसानों के बड़े-बड़े जमावड़ों की शुरुआत हुयी है — यह सबसे बड़ी रैली थी। संयुक्त किसान मोर्चे ने ठीक ही […]

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हिंदुस्तानी सभ्यता को अफगानिस्तान बनाने वाले संघी गिरोह की बर्बरता

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हिंदुस्तानी सभ्यता को अफगानिस्तान बनाने वाले संघी गिरोह की बर्बरता

 बीस साल तक सौ जूते और सौ प्याज खाकर, खिलाकर सब कुछ तबाह और खंड-खंड करके अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिका वापस चला ही गया। संयुक्त राज्य अमेरिका नाम के देश की सचमुच की खासियत यह है कि जो भी उसके साथ गया या जिसके भी वो पास गया, वह कहीं का नहीं रहा। न तंत्र बचा […]

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किसान आंदोलन के नौ माह : भाजपा के छल, छद्म और पाखण्ड…

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किसान आंदोलन के नौ माह : भाजपा के छल, छद्म और पाखण्ड के विरुद्ध खड़ा भारत

26 अगस्त को नौ महीने पूरे करने वाले किसान आंदोलन ने भाजपा के ब्रह्मास्त्र आईटी सैल और पाले-पोसे कारपोरेट मीडिया के जरिये किये जाने वाले दुष्प्रचार और उसके जरिये उगाई जाने वाली नफरती भक्तों की खरपतवार की जड़ों में भी, काफी हद तक, मट्ठा डाला है। भारतीय जनता पार्टी और उसके रिमोट के कंट्रोलधारी आरएसएस […]

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किसान आन्दोलन की ऐतिहासिक जन कार्यवाहियां

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किसान आन्दोलन की ऐतिहासिक जन कार्यवाहियां

दिल्ली के चारों तरफ सीमाओं पर किसान पिछले नौ महीनों से बैठे है और किसान विरोधी तीन काले कानूनों का विरोध कर रहे हैं। हाल फ़िलहाल में किसानो द्वारा कई बड़ी राष्ट्रव्यापी कार्यवाहियां हुई हैं, जिनमें हज़ारों किसानों ने भागेदारी की है। किसानों द्वारा इस दौरान महत्वपूर्ण दिवसों को भी मनाया गया। *26 मई की […]

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किसान आंदोलन के नौ महीने : भारत के जनांदोलनों के इतिहास के…

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किसान आंदोलन के नौ महीने : भारत के जनांदोलनों के इतिहास के असाधारण संग्राम की विशेषताएं

26 अगस्त को नौ महीने पूरे कर रहे किसान आंदोलन को किसी परिचय या भूमिका की आवश्यकता नहीं है। यहां सीधे इसकी कुछ विशेषताओं पर आते हैं। इस असाधारण किसान आन्दोलन की इन सबसे भी कहीं ज्यादा बुनियादी और दूरगामी छाप छोड़ने वाली विशेषतायें पाँच हैं। *पहली* है : इस लड़ाई का नीतिगत सवालों पर […]

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विभाजन विभीषिका स्मृति के बहाने हॉरर के रौरव की तैयारी

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विभाजन विभीषिका स्मृति के बहाने हॉरर के रौरव की तैयारी

जो आपदा में कमाई और लूट के अवसर ढूंढ सकते हैं, अकाल मौतों को छुपाने में राहत महसूस कर सकते हैं, बर्बादी और विनाश में आल्हाद देख सकते हैं, वे भला उत्सव और समारोहों के मौकों को भी त्रासद और विभाजन का जरिया बनाने से क्यों बाज आने लगे!! ठीक यही काम, अपने नाम ‘डिवाइडर […]

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हाल के दौर में जमकर लड़ी है देश की जनता, इन संघर्षों…

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हाल के दौर में जमकर लड़ी है देश की जनता, इन संघर्षों को आगे बढ़ाना ही होगा : शैली स्मृति व्याख्यान में बोले डॉ. ढवले

“आदरांजलि देने का काम सिर्फ शब्दों से नहीं किया जाता। सच्ची आदरांजलि उस रास्ते पर चलकर दी जाती है, जिसे दिखाकर शैली हमारे बीच से गए हैं। यह रास्ता कैसे भी हालात हों, उनमे संघर्ष तेज करने, उसे आगे बढ़ाने और उसके आधार पर वामपंथी विकल्प तैयार करने तथा उसके अनुरूप संगठन बनाने का है।” […]

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लुप्त होती पत्रकारिता और छीजता मीडिया : भारतीय मीडिया मुनाफे की तिजोरी…

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लुप्त होती पत्रकारिता और छीजता मीडिया : भारतीय मीडिया मुनाफे की तिजोरी का बंदी, यह सिस्टम की विफलता नहीं है, बल्कि यही सिस्टम है : पी साईनाथ

शैलेन्द्र शैली स्मृति व्याख्यान-2021 में देश के सिद्ध और दुनिया के प्रसिद्ध पत्रकार पी साईनाथ ने “लुप्त होती पत्रकारिता और छीजता मीडिया” विषय पर दर्शकों-श्रोताओं को अपनी अनोखी सूचनाओं और असाधारण विश्लेषण से अवगत कराया। ‘लोकजतन’ द्वारा अपने संस्थापक सम्पादक की स्मृति में पखवाड़े भर तक चलाई जाने वाले व्याख्यानमाला में छात्र आंदोलन में शैली […]

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शैली स्मृति व्याख्यान में बोले संजय पराते : मोदी मतलब मर्डर ऑफ…

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शैली स्मृति व्याख्यान में बोले संजय पराते : मोदी मतलब मर्डर ऑफ डेमोक्रेटिक इंडिया, कार्पोरेटी हिंदुत्व लोकतांत्रिक भारत की हत्या कर रहा है, लोकतंत्र को लाठीतंत्र में बदल रहा है

शैली स्मृति व्याख्यान में बोले संजय पराते : मोदी मतलब मर्डर ऑफ डेमोक्रेटिक इंडिया, कार्पोरेटी हिंदुत्व लोकतांत्रिक भारत की हत्या कर रहा है, लोकतंत्र को लाठीतंत्र में बदल रहा है “कार्पोरेटी हिंदुत्व लोकतांत्रिक भारत की हत्या कर रहा है। संवैधानिक मूल्यों को ध्वस्त किया जा रहा है। असहमति रखने वाले व्यक्तियों और संगठनों को फासीवादी […]

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विग्रहों और विभाजनों को धो पोंछकर पैना करके एक दूसरे के खिलाफ…

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विग्रहों और विभाजनों को धो पोंछकर पैना करके एक दूसरे के खिलाफ खड़े करने के जतन

“ज्यों-ज्यों दिन की बात की गयी, त्यों-त्यों तो रात हुयी” की तर्ज पर पिछले चार दिनों में दो बड़ी और चिंताजनक घटनाएं घटी हैं। पहली : असम और मिजोरम की “सीमा” पर दोनों प्रदेशों (देशों नहीं, प्रदेशों) के सशस्त्र बलों में मुठभेड़ हो गयी। मेघालय के मुख्यमंत्री के मुताबिक़ असम ने एक आईजी पुलिस की […]

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दैनिक भास्कर : मसला सेठ का नहीं, प्रेस का है

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दैनिक भास्कर : मसला सेठ का नहीं, प्रेस का है

आखिरकार पिछले पखवाड़े देश के प्रमुख हिंदी अखबार दैनिक भास्कर पर मोदी-शाह के इनकम टैक्स और सीबीडीटी के छापे पड़ ही गए। पिछले कुछ महीनों से इस तरह की आशंका जताई जा रही थी। आम तौर से सत्तासमर्थक और खासतौर से भाजपा हमदर्द माने जाने वाले इस अख़बार ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर के […]

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इधर के घोड़े क्या गधे थे?

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इधर के घोड़े क्या गधे थे?

पेगासस जासूसी काण्ड में बाकियों को जो बुरा लगा हो सो लगा हो, अपन को तो अपने इधर के घोड़ों का अपमान बिलकुल भी नहीं भाया। पेगासस यूनानी पौराणिक गाथाओं के बड़े जबर घोड़े हैं – उनकी रफ़्तार और ऊंचाई तय करने की क्षमता इतनी है कि सवार को सीधे स्वर्गलोक तक पहुंचाने का माद्दा […]

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बीसीआई की तानाशाही

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बीसीआई की तानाशाही

बीसीआई की तानाशाह ब्रिटिश राजसिंहासन ने भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम, 1861 (आमतौर पर चार्टर अधिनियम के रूप में जाना जाता है) के तहत भारत के उच्च न्यायालयों की स्थापना की. आगे इसमें, उच्च न्यायालयों को वकीलों और वकीलों (सॉलिसिटर) के पंजीकरण के लिए नियम बनाने का अधिकार दिया गए. इसके बाद, कानूनी चिकित्सक अधिनियम, 1979, बॉम्बे प्लीडर अधिनियम, 1920 और भारतीय […]

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शून्य को शून्य में जोड़ने, एक शून्य हटा दूसरी बिठाने से संख्या…

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शून्य को शून्य में जोड़ने, एक शून्य हटा दूसरी बिठाने से संख्या नहीं बढ़ती

पता नहीं क्यूँ पिछले तीन दिनों से सारा मीडिया सारे फ़साने से जिसका कोई रिश्ता तक नहीं, उस मोदी मंत्रिमंडल के पहले फेरबदल पर दीवाना बना हुआ है। जिस मोटा भाई के मंत्रिमण्डल में एक छोटा भाई को छोड़कर कोई दूसरा मंत्री तक नहीं है – उसमें किसने इस्तीफा दिया, किसको लाल बत्ती मिली – […]

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बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सदस्यों द्वारा बार काउंसिल के फैसलों की…

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बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सदस्यों द्वारा बार काउंसिल के फैसलों की आलोचना

️ बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सदस्यों द्वारा बार काउंसिल के फैसलों की ‘आलोचना’ और ‘हमले’ को एक कदाचार और अयोग्यता या निलंबन या बार काउंसिल से किसी सदस्य की सदस्यता को हटाने के लिए आधार बनाने के लिए नियमों में संशोधन किया है। संशोधित नियम, जिसे शुक्रवार (25 जून 2021) को राजपत्र में अधिसूचित […]

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मृत्यु महोत्सव के बाद टीका उत्सव : देश के साथ छल, छद्म…

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मृत्यु महोत्सव के बाद टीका उत्सव : देश के साथ छल, छद्म और कपट की राजनीति

महामारी की तीसरी लहर के आने की आशंकाओं, जिसकी अब डेल्टा वैरिएंट के नाम पर पहचान तथा अधिकृत पुष्टि भी हो गयी है, के बीच जनता को किसी भी तरह की राहत देने से मोदी सरकार ने सीना ठोंक के मना कर दिया है। जो खुद किसी राष्ट्रीय आपदा से कम नहीं है, वह मोदी […]

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भारतीय संविधान खतरे में है या फिर खतरे में है दलित नेता?

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भारतीय संविधान खतरे में है या फिर खतरे में है दलित नेता?

विधानसभा का चुनाव आते ही तालाब में मेंढक की तरह शोर मचाने लगते हैं नेता, विपक्षी पार्टियों पर लगाने लगते हैं आरोप कि भारतीय संविधान खतरे में खतरे में है। संविधान खतरे में नही है,सत्य तो यह है कि बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के नाम पर रोटी सेंकने वाले नेता हमेशा खतरे में रहते है, […]

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तेल के दामों की बहार देखो, अडानी के मुनाफे की धार देखो,…

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तेल के दामों की बहार देखो, अडानी के मुनाफे की धार देखो, शिवराज का गेहूं व्यापार देखो

पूरे देश में सरसों के तेल और उसी अनुपात में बाकी खाद्य तेलों की बेतहाशा तेजी से बढ़ती कीमतों की वजह से पूरा देश स्तब्ध और परेशान है। लम्बी चुप्पी के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मुंह खोला, तो लगा जैसे उनकी तकलीफों का मजाक उड़ाने के लिए बोले हैं। उन्होंने फ़रमाया […]

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शिकार की बजाय शिकारियों के बचाव की पतली गलियां तलाशने का समाजशास्त्र

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शिकार की बजाय शिकारियों के बचाव की पतली गलियां तलाशने का समाजशास्त्र

दो साल पहले वर्ष 2019 के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार देश में बलात्कार के 84 मामले हर रोज दर्ज किये जाते हैं। इन आंकड़ों का रखरखाव करने वाला सरकारी विभाग नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो अपनी रिपोर्ट में इन्हे दुष्कर्म कहता है। पिछले दिनो में भी हर रोज इस तरह के दुष्कर्म (बलात्कार) की घटनाएं घटी […]

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