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Wednesday, May 14, 2025 6:37:21 AM

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भारतीय संविधान खतरे में है या फिर खतरे में है दलित नेता?

भारतीय संविधान खतरे में है या फिर खतरे में है दलित नेता?
से बेखौफ खबर के लिए स्वतंत्र पत्रकार शिव कुमार सिद्धार्थ की रिपोर्ट

विधानसभा का चुनाव आते ही तालाब में मेंढक की तरह शोर मचाने लगते हैं नेता, विपक्षी पार्टियों पर लगाने लगते हैं आरोप कि भारतीय संविधान खतरे में खतरे में है।

संविधान खतरे में नही है,सत्य तो यह है कि बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के नाम पर रोटी सेंकने वाले नेता हमेशा खतरे में रहते है, विधिक तौर पर आप सब को बता देना चाहता हूं कि जब तक केशवानंद भारती का केश, मिनर्वा मिल का केश, इंद्रा साहनी, एस आर बोम्मई आदि केश को किसी बड़ी बेंच द्वारा पलट नही दिया जाता तब तक भारत के संविधान के साथ बदलाव किया जाना असंभव ही नहीं नामुमकिन भी है।

भारतरत्न बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जी ने कहा था कि शिक्षित बनो, संगठित बनो और अपने मौलिक अधिकारों के लिए संघर्ष करो। संगठित होने के लिए कहा था लेकिन यह नहीं कहा था कि संगठन बनाकर अलग-अलग राजनीतिक पार्टियां बना लो।संगठित होने की बात किया था ना कि संगठन बनाने की बात किया था। आज के दौर में बाबा साहब के प्रासंगिक विचारों को लोग मानते तो हैं लेकिन उन्होंने जो कहा था संगठित बनो उस आधार पर भारत के दलित वर्ग के लोग उनके बताए हुए रास्ते पर नहीं चल रहे है। भारत में जितने भी दलित वर्ग के नेता हैं सभी नेता यही कहते हैं कि भारतीय संविधान खतरे में है।

बाबा साहब ने कहा था कि जहां तक मैं इस कारवां को लेकर के आया हूं मेरे इस कारवां को पीछे मत जाने देना।यदि आगे बढ़ा नही सकते हो तो जहां तक है उसको वही तक बचाए रखे रहना। आज दलित पार्टियों में लगभग पच्चास बड़े नेता पैदा हुए हैं लेकिन वह खुद ही संगठित नहीं है तो दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग कैसे संगठित हो सकता है। दलित वर्ग को संगठित करने के लिए बाबा साहब ने बहुत प्रयास किया था लेकिन आज के नेता उनके विचारों से परे जाकर उनके नाम पर रोटियां सेकने का अथक रूप से प्रयास कर रहे हैं।

आपको अवगत कराना है कि भारत में बहुत दलित ,पिछड़े नेता है जो कि अलग-अलग पार्टियों में हैं, यदि वे खुद ही संगठित होकर के एक जगह कार्य करते तो आज दलितों पिछड़ों की सरकार बनती, बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक मान्यवर कांशीराम जी का नारा था कि जिसकी जितनी जनसंख्या उसकी उतनी भागीदारी। लेकिन आज इनका भागीदारी सब नाम मात्र की रह गई है ।दलित वर्ग हो या पिछड़ा वर्ग हो वह आज वह खुद असंगठित वर्ग हैं,इसीलिए इस वर्ग का आज भी शोषण होता है। आज जो नेता एक दूसरे के ऊपर आरोप प्रत्यारोप, लगाकर अपना रोटी सेकना चाहते हैं वे कभी देश का शासक बनाने में सफल नहीं हो सकते हैं।

आज भारत के बड़े नेता राजनीतिक धरातल पर वे अपने बच्चों को बड़े स्कूलों में तो शिक्षा देते हैं फिर भी आरक्षण का लाभ लेते हैं। सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक न्याय की बात करने वाले आज बड़े लोग आरक्षण का मलाई खा रहे है और गरीब थाली चाटने को मजबूर कर रहे हैं।सत्य तो यह है कि संविधान में जिनके लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई थी उनको आज धरातल पर किसी प्रकार का गरीब बच्चों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।

आपसे मैं पूछना चाहता हूं कि क्या वर्तमान राष्ट्रपति पद पर आसीन दलित राष्ट्रपति को भी आरक्षण मिलना चाहिए?
क्या चिराग पासवान को उनके परिवार के बच्चों को आरक्षण मिलना चाहिए? क्या विधायक और सांसद बन चुके हैं उनके बच्चों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए?

धरातल पर जमीनी हकीकत तो यह है कि इन लोगों का कमजोर वर्ग यदि विरोध करता है तो सक्षम वर्ग उसका लाभ उठाता है और आगे बढ़ जाता है। बहुजन समाज से आज मैं निवेदन करता हू कि आज अपने बच्चों को पढ़ाने और आगे बढ़ाना के लिए सही शिक्षा और दिशानिर्देश देने की आवश्यकता है।जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी का पांच साल साथ दिया हो,कांग्रेस पार्टी में रहकर काम किया हो,वे बाबा साहब और कांशीराम के सपनो को साकार नही कर सकता है।

“आज जो दलितों पिछड़ों के हाथो मे पेन है, वो बाबा साहब की देन है।”

“शिक्षित बनो”
“संगठित बनो,
“संविधान पढ़ो” और
अपने मौलिक अधिकारों के लिए संघर्ष करो”
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के बताए गए विचारों को पढ़ो और जानो फिर मानो।

लेखक
अधिवक्ता
शिव कुमार सिद्धार्थ
सिविल कोर्ट
बहराइच

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