हमारे आपके घर जब जेल बन गए थे। स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी सब बंद हो गए। कमाने वाले हाथ सिरहाने रख के लेटने के काम आने लगे। अस्पतालों में दाखिले के लिए मिन्नतें सिफारिशें फेल हो रही थी। दवा, ऑक्सिजन और इंजेक्शन ब्लैक में भी मिल नही रहे थे। तब बीजेपी की सरकार गैस सिलेंडर के दाम बढ़ा रही थी।
ट्रेन बस बन्द होने के कारण यूपी बिहार का मजदूर बम्बई से पैदल ही निकल पड़ा था तब मोदी जी पेट्रोल और डीज़ल के मुनाफे से राजकोष भर रहे थे।
और इस निज़ाम की बदनीयती देखिए कि लॉकडाउन की मार झेल रही जनता को कहा गया कि यह वक्त ‘ आपदा में अवसर ‘ है।
लाखों लोग कोरोना महामारी के दौरान मरे। इसमें से कुछ बीमारी से और बाकी सरकार की असफलता से मरे। हजारों परिजन ऑक्सीजन,दवाई और अस्पताल में बेड के लिए भटकते रहे। पहले कोरोना लहर और अवैज्ञानिक लॉक डाउन के दौर दौरान लाखों लोग इतिहास के सबसे बड़े विस्थापन का शिकार हुए। मोदी सरकार मूकदर्शक बनी रही।
देश के भविष्य ‘ छात्र-युवाओं ‘ पर इसका बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा। देश के करोड़ो बेरोजगार इस अवैज्ञानिक लॉक डाउन से सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक रूप से कमजोर हुए।
कोविड बन्दी, जीएसटी , नोटबन्दी, निजीकरण और मोदी सरकार की अन्य आर्थिक नासमझियों की नीतियों के चलते आज के तारीख में युवा-छात्र रोजगार के लिए तरस रहा है । बेरोजगारी का आंकड़ा 43 वर्षों में सर्वोच्च पर है।
सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मुताबिक, अप्रैल 2021 के दौरान देश में 70 लाख से ज्यादा लोगों को नौकरी गंवानी पड़ी।
दूसरी तरफ SSC, यूपी पुलिस भर्ती,69000 शिक्षक भर्ती में घोटाला हुआ।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के ताजा आंकड़ों के अनुसार अगस्त 2021 में 15 लाख के करीब जॉब अपॉर्चुनिटी घट गई और बेरोजगारी दर जुलाई के 6.96% से बढ़कर अगस्त में 8.32% हो गई।
बीजेपी सरकार यूपी विधानसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में बेरोजगारों की संख्या दो साल में 58% बढ़कर 34 लाख हो गयी है बतलाई है।
सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा में बेरोजगारी दर 35.7%, यह देश में सबसे ज्यादा, राष्ट्रीय औसत से 4 गुना, BJP शासित हरियाणा में हर साल दो लाख बेरोजगार बढ़ रहे है।
ग्रामीण संकट दिन प्रतिदिन गहराता जा रहा है। पहले रोजगार की तलाश में युवा पीढ़ी गांव से शहर की ओर पलायन करती थी। लेकिन पिछले कुछ सालों में वहां भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी है। निवेश की कमी और मंदी के कारण, निजी क्षेत्र नौकरियां देने में सक्षम नहीं है। रीयल स्टेट जो आमतौर पर हमेशा नौकरियां पाने का केन्द्र माना जाता था –वर्तमान में यह सेक्टर नोटबंदी, रेरा और जीएसटी का मारा है।
2019 में ग्रुप डी की भर्ती के लिए एक करोड़ से ज्यादा पढ़े-लिखे युवाओं ने आवेदन किया, ₹500 फीस दी। भर्तियों के फॉर्म निकलते है। प्रति आवेदन के शुल्क को लाखो करोड़ो से गुणा कीजिए तो समंझ आएगा कि सरकार तो भर्तियां निकालकर आपदा में अवसर भुना रही है। और फिर भर्ती को भ्रस्टाचार के हवाले करके नियुक्ति करने से भी बच जा रही है।
सवाल उठता हैं कि ” योगी जी , मोदी जी भर्ती क्या युवाओं से पैसा इकट्ठा करने के लिए निकाली थी। ”
बिहार में वर्ष 2014 में निकली प्रथम इंटर संयुक्त संयुक्त भर्ती आज तक पूरी नहीं हुई । 7 साल से परेशान अभ्यर्थी जब आयोग ऑफिस से लेकर सोशल मीडिया आदि मंचो पर गुहार लगा रहे हैं तो ‘ जबरा मारे और रोने न दे ‘ कि तर्ज पर धमकाया जा रहा है ।
बेरोजगारी देश की सबसे खतरनाक बीमारी है। जिसे मोदी सरकार पालपोस रही है। CMIE का डेटा बताता है कि 2017 में 20-24 साल के स्नातक छात्र-युवाओं में बेरोजगारी दर 42% थी। मोदी सरकार ने इसे बढ़ाकर 2018 में 55.1% तथा वर्ष 2019 में 63.4% कर दिया।
सरकारी भर्तियां हैं जिनमें या तो विज्ञापन नहीं निकलता, या परीक्षा नहीं होती, या धांधली गड़बड़ी हो जाती है, या परिणाम नहीं निकलता या फिर समय पर नियुक्ति नहीं मिलती. लेकिन अफसोस कि बात है कि सरकार इन प्रक्रियायों को सुधारने के प्रति गंभीर नहीं है। उल्टा रोज़गार के अवसरों में कटौती करने की लगातार कोशिशें कर रही है। सारे सरकारी संस्थानों को औने पौने दाम में अपने व्यापारी मित्रों को गिफ्ट दे रही है।
निजिकरण की ये मार दो तरह से नुकसान करेगी। पहला तो रोजगार के कुल अवसरों में व्यापक कमी आएगी। दूसरा आरक्षण को खत्म करने की कोशिश है ये।
मध्यप्रदेश में 7 सालों के लंबे इंतजार के बाद 2018 में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई, 2019 में चयन हो गया लेकिन नियुक्ति होती उससे पहले काँग्रेस सरकार गिर गई और इन शिक्षकों का भविष्य अधर में लटक गया।
पिछले साल देश भर के करोड़ों छात्र-युवाओं ने 17 सितम्बर को सड़क पर निकलकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और मांग किया कि ‘ मोदी सरकार नौकरी दो या गद्दी छोड़ो।’
दुःख की बात है कि तमाम कार्यक्रमों और प्रदर्शन के बावजूद सरकार के कान पर जूं तक नही रेंग रही। भर्तियां निकालना तो दूर, उल्टे रोज किसी संस्थान को अडानी अम्बानी को बेचने की जुगत में रहती है डबल इंजन की भाजपा सरकार।
व्यवस्था सुधारने, नौकरी देने में मोदी सरकार फेल साबित हुई है। आज देश का करोड़ों युवा बेरोजगार संघर्ष कर रहा है। शिक्षा को कमजोर और अतार्किक बनाने की आरएसएस बीजेपी की साज़िश को छात्र युवा नाकाम करेगा। कॉलेज यूनिवर्सिटियो से बंधी मुट्ठियां लहराते हुए सड़को पर निकलेंगी और न केवल इस भ्रष्ट कमजोर झूठी सरकार के घमंड को तोड़ देगी, बल्कि खेत के मजदूरों – किसानों को, उनका हक़ भी दिलाएगी।
दोस्तों, आइये शिक्षा और रोजगार को चौपट करने वाली इस अलोकतांत्रिक तानाशाह सरकार को बता दें कि हम युवा हैं। वो युवा जो वायु का मिरर इमेज होता है। हवा जब सीधी हो तो सुकून देती है , रचना करती है। लेकिन यही हवा जब उलट जाती है तो आंधी लाती है। आइये मिलते है बंधी हुई मुट्ठी और उठे हुए लहराते हाथों के साथ ।
और इसी संघर्ष में आगामी 17 सितम्बर,2021 को देश भर के छात्र-युवा इकठ्ठा होकर प्रदर्शन करेगा। मोदी जी नौकरी दो या गद्दी छोड़ो नारे के साथ अपने हक़ की लड़ाई लड़ेगा।