रिपोर्ट : बादल सरोज बात 1966 के नवम्बर की है। हिसार जिले के एक गांव में हुक्का गुड़गुड़ाते हुए एक ताऊ बोले कि पंजाब से अलग हो गए ये बहुत अच्छा हुआ!! उनके नाती ने पूछा कि ऐसा क्या बदल जाएगा? ताऊ बोले कि बेटा, पंजाब में ठण्ड बहुत पड़ती थी, अब नहीं पड़ेगी। ताऊ […]
देश
राजेंद्र शर्मा के तीन व्यंग्य 1. हथकड़ियों का डंका!
एक बात माननी पड़ेगी कि मोदी जी जो खुद कहते हैं, वह तो जरूर करते ही करते हैं, वह और भी पक्के से करते हैं, जो भक्त कहते हैं कि मोदी जी कर देंगे। बताइए, मोदी जी ने अपने मुंह से कभी कहा था कि देश तो देश, विदेश तक से घर वापसी कराएंगे। बस […]
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ट्रम्प की हथकड़ी बेड़ी में जकड़ा भारत और मिमियाते हुक्मरान
रिपोर्ट : बादल सरोज 5 फरवरी को भारत ने भारत की जमीन पर भारतियों का जो अपमान देखा, वह इतिहास में शायद ही पहले कभी देखा हो। जानवरों की तरह हथकड़ियों में बंधे, बेड़ियों में जकड़े 104 भारतीय, जिनमे 23 महिलायें, 12 बच्चे और 79 पुरुष थे, अमृतसर के हवाई अड्डे पर अमरीकी सैनिक विमान […]
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जहाँ मज़दूर अदृश्य है!

रिपोर्ट : नंदिता हक्सर अनुवाद : अंजली देशपांडे कई साल पहले, मैं साहित्य उत्सवों के विचार से रोमांचित होती थी और उनमें उत्साही भागीदार हुआ करती थी। मैं अरुंधति रॉय के इस बयान से सहमत नहीं थी कि ये केवल अभिजात वर्गीय उत्सव होते हैं। ऐसे अन्य लेखकों से मिलना, जो खुद उत्पीड़न का […]

अधूरा न्याय : जल रही है संघर्ष की मशाल!
रिपोर्ट : जी सुबर्णा, अनुवाद : संजय पराते आरजी कर मामले में सियालदाह कोर्ट के फैसले ने कोलकाता पुलिस, राज्य प्रशासन और सीबीआई की भूमिका पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। संजय रॉय को हत्या और बलात्कार के मुख्य अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है, […]
संवेदना की मौत का महाकुम्भ : मदद में उठ खड़ा हुआ इलाहाबाद
रिपोर्ट : बादल सरोज दुर्भाग्य से बुरी आशंकाएं सच निकली और इस बार का कुम्भ, जिसे 144 वर्ष बाद पड़ने वाला महाकुम्भ बताया जा रहा है, इतिहास में कुप्रबंधन के महामंडलेश्वरों की जकड़न, अव्यवस्था के महा-अमात्यों की निगरानी और भ्रष्टाचार के पीठाचार्यों की रहनुमाई में संवेदनाओं की मौत के मेले के रूप में दर्ज होकर […]
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आजाद हिंद फौज (आईएनए) की असाधारण विरासत

कैप्टन अब्बास अली की स्मृति में इरफान हबीब का भाषण, अनुवाद : संजय पराते मैं एक स्कूली छात्र था, जब आजाद हिंद फौज (आईएनए) के बारे में भारत में जानकारी पहुंची। भारतीय लोगों को आईएनए के बारे में तभी जानकारी मिली, जब जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया। सविनय अवज्ञा आंदोलन को वापस लेने के […]
इधर धार्मिक नगरी का शिगूफा, उधर मद्य-प्रदेश बनता मध्यप्रदेश!!
रिपोर्ट : बादल सरोज शिगूफेबाजी, झांसेबाजी और पाखण्ड की कोई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता हो, तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी बिना किसी मुश्किल के विश्व विजयी होकर निकलेगी। दिनदहाड़े, खुलेआम, बिना पलक झपकाए झूठ बोलने में इसे जो सिद्धि हासिल है, वह कमाल ही है । सार्वजनिक रूप से खुद उनके अपने […]
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महाकुंभ में त्रासदी : कुंभ के पथ में ‘हिन्दू राष्ट्र’ की पताका?
रिपोर्ट : सुभाष गाताडे एक अदद त्रासदी किसी सियासतदां की समूची करियर को हमेशा के लिए गर्त में ले जा सकती है… या कम से कम उसके कैरियर पर एक गहरा धब्बा हमेशा के लिए चस्पा कर सकती है। ‘दुनिया के सबसे बड़े समागम’ के तौर पर बताए जा रहे महाकुंभ में मौनी अमावस्या के […]
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अमृतकाल के बजट में जीवनामृत नहीं
रिपोर्ट : जे के कर केन्द्र सरकार ने साल 2025-26 का आम बजट पेश कर दिया है। अमृतकाल के इस बजट के स्वास्थ्य बजट में जीवनामृत याने जरूरत के मुताबिक पर्याप्त धन का अभाव है। साल 2024-25 में स्वास्थ्य बजट रिकवरी को छोड़कर (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण+स्वास्थ्य रिसर्च+आयुष) 93471.76 करोड़ रुपयों का था, उसकी तुलना […]
राजेंद्र शर्मा के तीन व्यंग्य 1. बच्चे तीन या ज्यादा ही अच्छे

हिंदू साधु-संत भी गुरु निकले। सिर्फ गुुरु ही नहीं विश्व गुरु के भी गुुरु। कुंभ का मौका देखकर भाई लोगों ने हिंदू राष्ट्र बनाने का एलान ही कर दिया है। और हिंदू राष्ट्र कोई यूं ही किसी लप्पे में नहीं बन जाएगा। बकायदा, हिंदू राष्ट्र का संविधान बनाया जाएगा। बनाया क्या जाएगा, संविधान तो बनकर […]
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मध्यम वर्ग के कर-बचत के सहारे अर्थव्यवस्था को खींचने की कोशिश

रिपोर्ट : संजय पराते अंततः मोदी सरकार ने यह मान लिया है कि हमारी अर्थव्यवस्था मंदी में फंस गई है। 8.2% की दर से अर्थव्यवस्था के विकास का जो आंकलन किया गया था, वह भरभराकर गिर गया है और 6.4% पर आकर टिक गया है। इस आंकलन को भी अर्थशास्त्री चुनौती दे रहे हैं, […]
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मध्यम वर्ग के कर-बचत के सहारे अर्थव्यवस्था को खींचने की कोशिश

रिपोर्ट : संजय पराते अंततः मोदी सरकार ने यह मान लिया है कि हमारी अर्थव्यवस्था मंदी में फंस गई है। 8.2% की दर से अर्थव्यवस्था के विकास का जो आंकलन किया गया था, वह भरभराकर गिर गया है और 6.4% पर आकर टिक गया है। इस आंकलन को भी अर्थशास्त्री चुनौती दे रहे हैं, […]
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कॉर्पोरेटपरस्त बजट : बताता कम, छुपाता ज्यादा है!

रिपोर्ट : संजय पराते बजट-पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण ने ‘विकसित भारत’ के नाम पर निजीकरण और कॉर्पोरेटपरस्ती के जिस रास्ते की हिमायत की है, उसकी पूरी झलक आज पेश बजट में है। लेकिन हर बजट जन कल्याण के आवरण में पेश किया जाता है, वहीं कोशिश इस बार भी हुई है, इसलिए यह बजट बताता कम […]
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झूठ का पुलिंदा है राष्ट्रपति का अभिभाषण!

रिपोर्ट : संजय पराते राष्ट्रपति द्वारा संसद में दिया जाने वाला वक्तव्य, जिसे राष्ट्रपति का अभिभाषण कहा जाता है, स्वयं उनके द्वारा लिखा गया वक्तव्य नहीं होता है। यह वक्तव्य उस सत्ताधारी पार्टी द्वारा लिखा जाता है, जिसका वह प्रतिनिधित्व करती है। इसलिए जब अपने अभिभाषण में “मेरी सरकार” कहकर संसद को संबोधित करती है […]
24 में आजादी, 35 में हिन्दू राष्ट्र! इधर सन्निपात, उधर बारह बांट!!

रिपोर्ट : बादल सरोज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने अपने हिसाब से भारत के इतिहास के पुनर्लेखन में एक नया अध्याय जोड़ते हुए, इस देश की आजादी के बारे में अब तक की सारी तथ्य, सत्य, विधिसम्मत, विश्व-स्वीकृत जानकारी को झूठा करार देते हुए स्थापना दी है कि असली आजादी […]
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गणतंत्र @75 : कुछ इशारे!

रिपोर्ट : राजेन्द्र शर्मा बेढब तो है, पर हैरान नहीं करता है कि गणतंत्र की पूर्व-संध्या पर अपने परंपरागत संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने ‘एक देश, एक चुनाव’ का जी भरकर गुणगान किया। उन्होंने इसे अपनी सरकार का ‘साहसपूर्ण दूरदर्शिता’ का प्रयास ही करार नहीं दिया, यह दावा भी किया कि इससे ‘सुशासन को नये […]
चुनाव रणनीति फर्मों को राजनीति आउटसोर्स करने के खतरे

रिपोर्ट : शुभम शर्मा, अनुवाद : संजय पराते प्रशांत किशोर उर्फ पीके, एक अनुभवी चुनाव रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2014 में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में लाने में मदद की थी और वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोर टीम का हिस्सा थे। इससे पहले, उन्होंने 2011 के गुजरात विधानसभा चुनाव अभियान में मोदी की […]
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पुरुषों के लिए त्रिशूल और महिलाओं के लिए खंजर
रिपोर्ट : सुभाष गाताड़े, अनुवाद : संजय पराते “हम दिल्ली से गैर-हिंदू पापियों को बाहर निकालने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” — दिल्ली में एक सभा को संबोधित करते हुए एक विहिप नेता। “..कम खाना खाएँ, सस्ता मोबाइल फोन खरीदें, कुछ भी करें, बस घर में पाँच त्रिशूल रखने का वादा करें।” — दिल्ली में एक […]
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राजेंद्र शर्मा के दो व्यंग्य

1. अब पीओके मुक्ति यज्ञ इन सेकुलर वालों के चक्कर में भारत वर्ष का बहुत कबाड़ा हुआ है। बताइए, जो कुछ संत-महंतों, पंडे-पुजारियों के लिए बांए हाथ का खेल था, उनसे नहीं कराने के चक्कर में देश का इतना सारा टैम बर्बाद कर दिया गया कि पूछो ही मत। अब पाकिस्तान ने कश्मीर का जो […]

हिंदुत्व के समर्थक नहीं, विरोधी थे नेताजी

रिपोर्ट : शुभम शर्मा, अनुवाद : संजय पराते ऐसा लगता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का भारत के उपनिवेशवाद विरोधी राष्ट्रवादी नेतृत्व के प्रति प्यार उमड़ पड़ा हैं। ऐसा नहीं है कि वे साम्राज्यवाद विरोध, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के प्रति प्रतिबद्धता जैसे मूल्यों, जिनके नेताजी हमेशा समर्थक रहे […]
महाकुंभ का महाराजनीतिकरण: क्या होगा अंजाम?

रिपोर्ट : कृष्ण प्रताप सिंह ‘नया इंडिया’ की स्तंभकार श्रुति व्यास ने इस दैनिक में अपने स्तंभ की गुरुवार (16 जनवरी) की कड़ी में महाकुंभ का शाही स्नान कवर करके लौटे एक फोटो पत्रकार के हवाले से लिखा है कि उनके यह पूछने पर कि वहां आस्था का कितना जोश है, उसने बताया : ‘काहे […]
राजेंद्र शर्मा के तीन व्यंग्य 1. यह हुई न विश्व गुरु वाली…

मोदी जी को ट्रम्प के शपथ ग्रहण का न्योता नहीं मिलने पर ताने मारने वाले अब बोलें, क्या कहेंगे? शपथ ग्रहण में नहीं थे, तब तो हर तरफ मोदी जी ही मोदी जी थे। ट्रम्प की चाल में मोदी, ट्रम्प की जुबान पर मोदी, ट्रम्प के हर काम में मोदी। यही तो होती […]
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सावित्री और फातिमा : एक अभिन्न जीवन

रिपोर्ट : संजय पराते सदियों से शक्तिशाली लोगों द्वारा राजनीतिक और वैचारिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ऐतिहासिक घटनाओं और यहां तक कि ऐतिहासिक व्यक्तियों को मिटाने का काम किया जाता रहा है। यह कोई संयोग नहीं है कि प्रथम महान सम्राट अशोक को उनके जन्म के बाद लगभग दो हज़ार साल तक उनकी अपनी […]

एक नया जुर्म : नमाज़ पढ़ना

रोपोर्ट : राजेंद्र शर्मा कुंभ मेला जैसे बड़े पारंपरिक आयोजनों के लिए, जहां भी विशाल संख्या में लोग जुटते हैं, उनकी धार्मिक प्रकृति चाहे जैसी भी हो, तमाम व्यवस्था संबंधी इंतजामात करने और न्यूनतम सुविधाएं जुटाने की जिम्मेदारी से कोई भी शासन बच नहीं सकता है। बेशक, इस महाकुंभ के सिलसिले में भी इस पर […]
मुफ़्त व नि:शुल्क का फ़र्क़ और कल्याणकारी राज्य का दायित्व

रिपोर्ट : मुकुल सरल देश में जब भी कोई चुनाव होते हैं, ‘मुफ़्त की रेवड़ी’ की चर्चा तेज़ हो जाती है। अब दिल्ली चुनाव के संदर्भ में यह बहस इतनी तेज़ है कि मुफ़्त और नि:शुल्क का फ़र्क़ ही मिट गया है, मुफ़्त और लोक कल्याणकारी योजनाओं का फ़र्क़ मिट गया है, राज्य के अनुग्रह […]
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नमाज़ पर आखिर आपत्ति क्यों?
रिपोर्ट : हर्ष मंदर अनुवाद : जफर इकबाल 2022 की शरद ऋतु में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, जिसका पुराना नाम इलाहाबाद है, स्थित एक सार्वजनिक अस्पताल के वॉर्ड के बाहर एक महिला ने नमाज़ पढ़ने के लिए चटाई बिछाई। मुझे नहीं पता कि अस्पताल के वॉर्ड में मरीज़ का कौन था — उसका पति, उसका […]
नफरती एजेंडे की बलिवेदी पर चढ़ा कुंभ का मेला

रिपोर्ट : बादल सरोज एक महीने तक चलने वाले कुंभ मेले का आरम्भ हो गया है। कुंभ, उसमें भी इलाहाबाद – जिसे अब प्रयागराज कहने का हुक्म है — का कुंभ पृथ्वी के इस हिस्से का सबसे बड़ा मेला है। मनुष्यता के असाधारण एकत्रीकरण और समावेश के आकार और जुटान की तादाद को देखते […]
