रिपोर्ट : डी. पी.श्रीवास्तव
बहराइच। प्रदेश सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद बहराइच जनपद में डग्गा मार वाहनों की भरमार व उप संभागीय परिवहन अधिकारी बहराइच की मिली भगत से राजधानी लखनऊ,गोंडा व बलरामपुर आदि से बहराइच के बीच सैकड़ो की संख्या में धक्का मुक्की के बीच भेंड बकरियों की तरह सफर करने वाले यात्रियों के साथ अभद्रता करने की बात बताई जाती है।
जबकि अवैध वाहनों द्वारा खुलेआम यात्रियों को ढोने के कारण परिवहन विभाग को लाखों रुपए प्रतिदिन की हानि हो रही है,लेकिन उप संभागीय परिवहन अधिकारी एआरटीओ राजीव कुमार के चेहरे पर शिकन तक नहीं देखी जा रही।
एक तरफ बहराइच उप संभागीय परिवहन अधिकारी टू व्हीलर, बैटरी रिक्शा और गरीब वाहन चालकों को परेशान करते देखे जाते हैं, वहीं दूसरी तरफ जर्जर अवस्था में परमिट जारी की हुई बसें खुलेआम सवारियों की जिंदगी से खिलवाड़ करते कभी भी नेपाल और मैंलानी रोड पर देखी जा सकती है।जिसके बारे में पूछने पर जवाब देही से हमेशा बचते नजर आते हैं। जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार समस्त जरूरी चीजों को दलालों से मुक्त करते हुए एक प्लेटफार्म पर निर्धारित कर दिया है कि उपभोक्ताओं को घर बैठे ड्राइविंग लाइसेंस इत्यादि तमाम मूलभूत जरूरी दस्तावेज उपलब्ध हो जाए वहीं दूसरी तरफ अतिरिक्त शुल्क के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की संलिप्तता के कारण आरटीओ ऑफिस के सामने कभी भी दलालों से सजी दुकानो को देखने के साथ साथ कार्यालय में भी खुलेआम दलालों को सरकारी कुर्सियों पर बैठकर संवेदनशील दस्तावेजों का अवलोकन करते देखा जा सकता है।मालूम हो कि नगर की यातायात व्यवस्था बाधित होने के बाद भी धन उगल रहे अवैध टैक्सी स्टैंडों पर कोई कार्यवाही न करते हुवे एक ही नंबर प्लेट पर दो दो गाड़ियों को चलवाने का काम किया जाता है।यही नहीं विभागीय संरक्षण में प्राइवेट नंबर की गाड़ियों को कमर्शियल उपयोग में लिए जाने के बावजूद विभाग मौन साधे बैठा है।जिसका प्रमाण जिले में स्थित टोल प्लाजा से भी लिया जा सकता है।विभाग में कई बार एडीएम,सिटी मजिस्ट्रेट आदि की छापेमारी के दौरान कई दलालों को पकड़े जाने के बावजूद विभागीय अधिकारी दलालों के साथ बैठे देखे जाते हैं।जिले के प्रत्येक थाना कोतवाली से अवैद्य वाहनों के गुजरने के बाद पुलिस भी खामोश बैठी है।इस बारे में जब अधिकारियों से बात की जाती है तो पुलिस विभाग,नगर पालिका व संभागीय परिवहन विभाग एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ने लगते हैं। जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को सुनियोजित तरीके से सालाना करोड़ों की राजस्व क्षति हो रही है।
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