इंटेक के एक प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति श्री योगेश सिंह से मुलाकात की तथा दिल्ली सरकार के 12 शत-प्रतिशत वित्तपोषित कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति एवं अनुदान जारी करने, एनपीएस कर्मचारियों के लिए भी सरकारी अधिसूचना के अनुसार ग्रेच्युटी 2000000 से बढ़ाकर 2500000 करने तथा माइनर डिग्री के लिए जेनेरिक इलेक्टिव पेपर चिह्नित करने के लिए विभागों को जारी किए गए निर्देशों को वापस लेने की समस्याओं पर चर्चा की। प्रतिनिधिमंडल ने कुलपति को भारतीय संविधान की लाल किताब और तिरंगी सूत की माला भेंट की।कुलपति के साथ डीन ऑफ कॉलेजेस श्री बलराम पानी, रजिस्ट्रार श्री विकास गुप्ता और डायरेक्टर साउथ कैंपस श्री श्री प्रकाश सिंह भी मौजूद थे। प्रतिनिधि मंडल में इंटेक के निर्वाचित विद्वत परिषद के सदस्य डा नीलम और डा मेघराज, कार्यकारी परिषद के सदस्य मिस्टर अमन, डूटा के सहसचिव डा त्रिवेंद्र चुम्बक और कई अन्य शिक्षक भी मौजूद थे।
इंटेक के अनुसार लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के पश्चात दिल्ली विश्वविद्यालय ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में लंबित शिक्षण पदों के चयन की प्रक्रिया पुनः शुरू कर दी है। कुछ कॉलेजों में चयन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन 12 शत-प्रतिशत वित्तपोषित दिल्ली सरकार के कॉलेजों में शिक्षण पदों के चयन की प्रक्रिया शुरू होने का कोई संकेत नहीं है। अन्य कॉलेजों की तरह इन कॉलेजों में भी सैकड़ों तदर्थ शिक्षक लंबे समय से कार्यरत हैं, जो स्थायी चयन समिति की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जबकि अन्य कॉलेजों में चयन समितियां हो रही हैं, इन कॉलेजों के एडहॉक शिक्षक अपने भविष्य को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और असुरक्षा उन्हें हताशा की ओर ले जा रही है। दिल्ली सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय के बीच गतिरोध की ऐसी स्थिति ने अनिश्चितता पैदा कर दी है। इस संकट को हल करने और यह सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता है कि इन कॉलेजों में चयन की प्रक्रिया तुरंत शुरू हो। इसके साथ ही वेतन और पदोन्नति के बकाया भुगतान का मुद्दा भी अनसुलझा है और दिल्ली सरकार द्वारा वेतन अनुदान जारी नहीं करने के कारण वेतन का भुगतान भी नहीं हो पा रहा है। माननीय उपराज्यपाल, दिल्ली विश्वविद्यालय और दिल्ली सरकार के बीच कई बैठकों के बावजूद इस मुद्दे पर गतिरोध बना हुआ है और इन कॉलेजों के पूरे स्टाफ को वेतन के भुगतान में अत्यधिक देरी हो रही है, जिससे उन पर वित्तीय बोझ और बाद में परेशानी बढ़ रही है। यहां तक कि अन्य अठारह आंशिक रूप से वित्तपोषित दिल्ली सरकार के कॉलेजों में भी दिल्ली सरकार कई वर्षों से उनके वार्षिक व्यय का 5 प्रतिशत हिस्सा नहीं दे रही है। इंटेक ने मांग की है कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन सभी 28 कॉलेजों को निर्देश दे कि वे पिछले 10 वर्षों में दिल्ली सरकार से प्राप्त अनुदानों का विवरण भेजें और इन कॉलेजों द्वारा मांगे गए अनुदानों का विवरण भी भेजें ताकि इन कॉलेजों को नियंत्रित करने वाले मानदंडों/नियमों/अध्यादेशों के अनुसार अनुदान जारी किया जा सके। विश्वविद्यालय को 26 जुलाई को होने वाली कार्यकारी परिषद की बैठक में इस बारे में एक श्वेत पत्र प्रस्तुत करना चाहिए। इंटेक ने यह भी मांग की है कि बारह 100% वित्तपोषित दिल्ली सरकार के कॉलेजों में नियुक्तियों और वेतन अनुदान आदि के चल रहे संकट को हल करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।
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