धारा 107, 116,151 में पुलिस द्वारा चालान किए गए व्यक्ति को एसडीएम द्वारा जेल भेजना उन्हें महंगा पड़ गया है। माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने तत्कालीन एसडीएम नौतनवा प्रमोद कुमार के ऊपर ₹25000 का अर्थदंड लगाया है तथा विभागीय कार्रवाई किए जाने का निर्देश निर्गत किए हैं।
बता दें कि 31 जनवरी को परसा मलिक पुलिस ने ग्राम सभा रहरा निवासी पंकज पांडे को सीआरपीसी की धारा 107, 116, 151 के तहत गिरफ्तार कर तत्कालील एसडीएम नौतनवा प्रमोद कुमार के न्यायालय में पेश किया था।
पंकज ने अपने रिहाई के लिए एसडीएम के समक्ष बंध पत्र दाखिल किया। उसके बावजूद तत्कालीन उप जिलाधिकारी ने पंकज को रिहा करने के बजाए उसे 14 दिन के लिए जेल भेज दिया। उक्त मामले को लेकर पीड़ित पंकज ने माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर न्याय की गुहार लगाई, जिस पर सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने तत्कालीन उपजिलाधिकारी द्वारा पंकज को जेल भेजे जाने के मामले को अवैध ठहराते हुए उनके खिलाफ जिला मजिस्ट्रेट को जांच कमेटी गठित कर विभागीय कार्रवाई किए जाने तथा पंकज पांडे को तत्कालीन एसडीएम प्रमोद कुमार के वेतन से ₹25000 दिए जाने का निर्देश दिया है।माननीय न्यायालय ने यह भी कहा है कि यदि तत्कालीन उप जिला मजिस्ट्रेट माननीय न्यायालय के समक्ष अपनी कोई बात रखना चाहते हैं तो वह 11 अगस्त को उच्च न्यायालय में उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं।
बताते चले की पूर्व में ही प्रमुख सचिव अवनीश अवस्थी द्वारा 107, 116, और 151 के मामले में उत्तर प्रदेश के समस्त डीएम को लिखित रूप से यह निर्देश सरकार की तरफ से दिए जा चुके हैं, कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा 107, 116, और 151 मे शिव कुमार बनाम उत्तर प्रदेश, सरकार के मुकदमे में दिए गए आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराएं तथा अनावश्यक 107, 116, 151 के मामले में यदि गिरफ्तार व्यक्ति बंध पत्र दाखिल करता है तो उसे जेल न भेजा जाए, उसके बावजूद तत्कालीन उप जिला अधिकारी प्रमोद कुमार ने माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के क्रम में प्रमुख सचिव अवनीश अवस्थी द्वारा दिए गए निर्देश के बावजूद पंकज को 31 जनवरी को जेल भेज दिया।
इस संबंध में याची के अधिवक्ता भगवान दत्त पांडे तथा अधिवक्ता डॉ मनीष चौबे ने माननीय उच्च न्यायालय 26 जुलाई 2021 को पारित आदेश की प्रति को दिखाते हुए यह जानकारी दी
इस मामले में जब तत्कालीन उप जिलाधिकारी प्रमोद कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस संबंध में अभी कोई जानकारी हमें नहीं है। जानकारी हुई तो माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन किया जाएगा।
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