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Wednesday, April 16, 2025 1:26:31 PM

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श्रम संहिताओं के खिलाफ ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल 20 मई को

श्रम संहिताओं के खिलाफ ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल 20 मई को

केंद्रीय श्रम संगठनों का राज्य स्तरीय श्रमिक सम्मेलन संपन्न

राजस्थान के श्रमिक संगठनों का प्रादेशिक सम्मेलन जयपुर जंक्शन स्थित कार्यालय में रविवार को सम्पन्न हुआ। जिसमें इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, राजस्थान सीटू, एआईसीटीयू से जुड़े लगभग 5 सौ पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
सीटू के मीडिया प्रभारी मुरारीलाल बैरवा ने बताया कि केन्द्र सरकार श्रमिकों को संरक्षण देने वाले पुराने श्रम कानूनों को समाप्त कर नई 4 श्रम संहिताएं लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। साथ ही श्रमिक संगठनों के 17 सूत्रीय मांग चार्टर पर कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं की गई है। जिसरे विरोध में केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने 20 मई को देशव्यापी हड़ताल करने का निर्णय लिया है।
सम्मेलन को श्रमिक नेता जगदीश राज श्रीमाली, कुणाल रावत, मुकेश माथुर, भंवर सिंह शेखावत, रामवतार स्वामी, रामपाल सैनी, डीके छंगाणी, मोहन चेलानी, वीएस राणा, वीरेंद्र चौधरी, रविन्द्र शुक्ला आदि ने संबोधित करते हुए कहा कि सरकार श्रमिकों के हित में फैसले लेने के बजाय कॉरपोरेट घरानों के इशारे पर आर्थिक व श्रम नीतियां बना रही है। श्रमिक बमुश्किल अपने परिवार को पाल रहे हैं। जबकि कॉरपोरेट घरानों का मुनाफा कई गुना बढ़ गया है।
वक्ताओं ने कहा कि आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दिए लगभग 3 माह बीत गए हैं‌। लेकिन अभी तक इसके गठन एवं विषयवस्तु की अधिसूचना जारी नही हुई है। रेलवे, रक्षा, बिजली, इस्पात, डाक, बैंक, पेट्रोलियम, बीमा, बंदरगाह और गोदी आदि क्षेत्रों में निजीकरण अभियान पर रोक लगनी चाहिए। प्रत्येक श्रमिक को सामाजिक सुरक्षा और पेंशन की गारंटी हो। देशभर में सभी श्रमिकों को न्यूनतम वेतन में समानता मिले। अल्पकालिक रोजगार प्रणाली और अग्निपथ योजना समाप्त हो। सभी श्रमिकों के काम के घंटे 8 तक सीमित हों। आंगनबाड़ी, आशा, मध्यान्ह भोजन, आशा किरण आदि योजनाओं में कार्यरत श्रमिकों को श्रमिक का दर्जा प्रदान करने के लिए भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश को लागू किया जाए।

संघर्ष के अलावा कोई विकल्प नहीं

वक्ताओं ने राज्य के श्रम विभाग की श्रमिकों को संरक्षण दिलाने में प्रभावहीन भूमिका पर असंतोष जाहिर किया। उन्होंने कहा कि प्रबंधन के इशारे पर यूनियनों के पंजीयन रद्द किए जा रहे हैं। राज्य में श्रमिक संगठनों के साथ कोई संवाद नहीं है। श्रमिकों से जुड़ी विभिन्न समितियों का गठन लंबित है। श्रमिक संगठनों के पास संघर्ष के अलावा कोई और विकल्प अब नहीं है। सभा का संचालन मुकेश चतुर्वेदी ने किया।

सभा में ये रहे मौजूद

सभा में घासी लाल शर्मा, धर्मवीर चौधरी, केएस अहलावत, हरेन्द्र सिंह, गोपाल मीना राकेश यादव सहित कई पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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