बहराइच 03 अगस्त। जिला कृषि रक्षा अधिकारी आर.डी. वर्मा ने बताया कि वर्तमान समय में वातावरण की नमी और तापमान को देखते हुए धान की फसल में कीट/रोग के प्रकोप के कारण भारी क्षति होती है। इसलिए यह आवश्यक है कि इन रोगों की पहचान करते हुए इनसे होने वाली क्षति से बचाव हेतु निम्नलिखित सुझाव एवं संस्तुतियो पर ध्यान देना चाहिए। धान की फसल में खैरा रोग, झोंका रोग, जीवाणु पत्ती झुलसा, शीथ ब्लाइट रोग व कण्डुआ रोग जैसे किट लग जाते है।
उन्होंने बताया कि खैरा रोग जिंक की कमी के कारण होता है। इसमें धान की पत्तिया पीली पडने लगती है और बाद में कत्थई रंग के धब्बे पड जाते है। इस रोग के नियंत्रण हेतु 05 किग्रा0 जिंक सल्फेट को 20 किग्रा0 यूरिया अथवा 2.50 किग्रा0 बुझे हुए चूने का प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 1000 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए। झोंका रोग जीवाणु से होने वाला रोग है। पौधे का प्रभावित भाग काला हो जाता है और भुरभुरा होकर टूट जाता है। जो पौधो की पत्ती, गॉठ, नेक को प्रभावित करता है। इसी आधार पर क्रमशः लीफ ब्लास्ट, नोड ब्लास्ट एवं नेक ब्लास्ट नाम से पुकारा जाता है। कार्बेण्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लू.पी. 500 ग्रा0 अथवा जिनेब 75 प्रतिशत डब्लू.पी. 2 किग्रा0 अथवा कार्बेण्डाजिम 12 प्रति0$मैनकोजेब 63 प्रतिशत डब्लू.पी. 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करें। जीवाणु पत्ती झुलसा रोग का प्रकोप होने पर पत्ती के सिरे पर पीलापन लिए हुए पटटी दिखाई पडती है, जो कि क्रमशः नीचे की तरफ लम्बाई व चौडाई में बढती जाती है। रोग लगे स्थानो में बैक्टीरियल ऊज निकलता है जो सुबह के समय दूधिया बूंद जैसा दिखाई पडता है। इस रोग के नियंत्रण हेतु लक्षण दिखाई देते ही खेत का यथासम्भव पानी निकालकर स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 15 ग्राम अथवा कॉपर आक्सीक्लोराइड 50 प्रति0 डब्लू.पी. की 500 ग्राम मात्रा को 600-800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करें।
इसी प्रकार शीथ ब्लाइट रोग से धान की पत्ती एवं शीथ पर 1-3 सेमी0 लम्बे अण्डकार हरे धूसर रंग के धब्बे दिखाई पडते है, जिसके किनारे कत्थई रंग के हो जाते है। इस रोग के नियंत्रण हेतु प्रोपीकोनाजोल 25 प्रतिशत ई.सी. 500 मिली प्रति हेक्टेयर अथवा कार्बेण्डाजिम 12 प्रति0$मैनकोजेब 63 प्रतिशत डब्लू.पी. 750 ग्राम प्रति हेक्टेयर 500-750 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें। कण्डुआ रोग रोग की दशा में धान की बाली के दाने नीले और काले रंग के आवरण से ढक जाते है, इनको हाथ से छूने पर पीले एवं काले अथवा हरें रंग के पाउडर जैसे रोग के स्पोर लग जाते है। इस रोग के नियंत्रण हेतु कार्बेण्डाजिम 50 प्रतिशत डबलू.पी. 500 ग्राम प्रति हेक्टर अथवा कॉपर हाइड्राक्साइड 77 प्रति डब्लू.पी 2 किग्रा0 प्रति हेक्टेयर को 500-750 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करना चाहिए। किसान भाई, किसी भी कीट/रोग के लगने की दशा में रोगग्रस्त फसल/पौधे के फोटो के साथ विभागीय सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली (पी0सी0एस0आ0एस0) मोबाइल नम्बर 9452247111 एवं 9452257111 के माध्यम से व्हाटसएप मैसेज अथवा टेक्सट मैसेज कर समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते है।
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