अबू आसिम आजमी ने अपना निजी दौरा बताते हुए सियासी काम अंजाम दिया।यह ठीक है कि उनका जो पेशा है।उसके तहत उन्होंने चुनावी नजरिए से अपनी बात कही।
इस दौरे के तहत वो शहर के मदरसा नुरूल उलूम और मदरसा दारूल फिक्र भी गये और दरगाह शरीफ भी गये।
सवाल यह उठता है और मुसलमान यह पूछता है कि क्या इन मदरसो के आलिमो ने अबू आसिम आजमी से यह पूछा कि-
आप और आपकी पार्टी पिछले चार साल तक कहां रही?
मुसलमानो के साथ इतने जुल्म हुए तब आप कहां थे?
भाजपा को हराने की जिम्मेदारी क्या सिर्फ मुसलमानो की है?
संसद मे जब मुस्लिम विरोधी बिल पेश किए जाते है तब आपका रोल क्या होता है?
इस बार भी अगर मुसलमान सपा को वोट करे तो मुसलमानो की क्या हिस्से दारी होगी?
यह कुछ ऐसे अहम सवाल है जिसका जवाब अधिकांश मुसलमान चाहता है तो क्या मोलवियो ने यह सवाल किए या फिर उन्हे इस्तेमाल किया गया?
मेरा अनुरोध है कि जो भी बातचीत हुई है तो उसका खुलासा जरूर किया जाए।
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