बहराइच 13 दिसम्बर। जिला कृषि रक्षा अधिकारी आर.डी. वर्मा द्वारा रबी की प्रमुख फसलों में लगने वाले सामयिक कीट/रोग से बचाव हेतु किसानों हेतु एडवाइज़री जारी की गयी है। श्री वर्मा ने किसानों को सुझाव दिया है कि राई/सरसों की फसल में आरा मक्खी एवं बालदार सूड़ी के नियंत्रण हेतु मैलाथियान 50 प्रति. ई.सी. 1.5 ली. अथवा इमिडाक्लोप्रिड 70 प्रति. डब्लू.एस. की 700 ग्राम मात्रा को प्रति हे. की दर से 600-750 ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
माहू एवं पत्ती सुरंगक कीट के नियंत्रण हेतु सुझाव दिया गया है कि एजाडिरेक्टिन 0.15 प्रति ई.सी. की 2.5 ली. मात्रा को 500-600 ली. पानी में घोलकर छिड़काव करें। रसायनिक नियंत्रण डाईमेथोएट 30 प्रति. ई.सी. अथवा क्लोरोपायरीफास 20 प्रति. ई.सी. की 1.0 ली. मात्रा को 600-750 ली. पानी में घोल बनाकर प्रति हे. की दर से छिड़काव करना चाहिए। अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा, सफेद गेरूई एवं तुलासिता रोग के नियंत्रण हेतु मैनकोजेब 75 प्रति. डब्लू.पी. अथवा जिनेब 75 प्रति. डब्लू.पी. की 2.0 कि.ग्रा. अथवा मेटालेक्सिल 8 प्रति. $ मैकोज़ेब 64 प्रति. डब्लू.पी. की 2.5 कि.ग्रा. मात्रा को प्रति हे. की दर से 600-750 ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
श्री वर्मा ने बताया कि चना/मटर की फसल में कटुआ कीट के नियंत्रण हेतु किसान भाईयों को क्लोरोपायरीफास 20 प्रति. ई.सी. की 2.5 ली. मात्रा को 600-750 ली. पानी में घोल बनाकर प्रति हे. की दर से छिड़काव करना चाहिए। फली बेधक एवं सेमीलूपर कीट के नियंत्रण हेतु 50-60 बर्ड पर्चर लगाना चाहिए तथा बी.टी. 1.0 कि.ग्रा. अथवा एन.पी.वी. 02 प्रति. ए.एस. 250-300 ली. अथवा एज़ाडिरेक्टिन 0.03 प्रति. डब्लू.एस.पी. 2.5-3.0 कि.ग्रा. मात्रा को 500-600 ली. पानी में घोल बनाकर प्रति हे. की दर से छिड़काव करें।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि पत्ती धब्बा एवं तुलासिता रोग के नियंत्रण हेतु मैनेकोज़ेब 75 प्रति. डब्लू.पी. की 2.00 कि.ग्रा. अथवा कापर आक्सीक्लोराइड 50 प्रति की 3.0 कि.ग्रा. मात्रा को 500-600 ली. पानी में घोल बनाकर प्रति हे. की दर से छिड़काव करना चाहिए। जबकि बुकनी रोग नियंत्रण हेतु घुलनशील गंधक 80 प्रति. 2.0 कि.ग्रा. अथवा ट्राइडेमेफान 25 प्रति. डब्लू.पी. 250 ग्राम 500-600 ली. पानी में घोल बनाकर प्रति हे. की दर से छिड़काव करना चाहिए।
श्री वर्मा ने बताया कि मक्का की फसल में फाल आर्मी वर्म के नियंत्रण हेतु अण्ड परजीवी जैसे ट्राइकोग्रामा प्रेटिओसम अथवा टेलीनोमस रेमस के 50000 अण्डे प्रति हे. की दर से प्रयोग करने से इनकी संख्या की बढ़ोत्तरी में रोक लगायी जा सकती हे। यांत्रिक विधि के तौर पर सॉयकाल (07ः00 बजे से 09ः00 बजे तक) से 03 से 04 की संख्या में प्रकाश प्रपंच लगाना चाहिए। इसके अलावा 06 से 08 की संख्या में बर्ड पर्चर प्रति एकड लगाकर तथा 35-40 फेरोमेन ट्रेप प्रति हे. की दर से लगाकर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि 05 प्रति. पौध तथा प्रति हे. 10 प्रति. गोभ क्षति की अवस्था में कीट नियंत्रण हेतु एन.पी.वी. 250 एल.ई. अथवा मेटाराइजियस एनिप्लोसी 05 ग्राम प्रति ली. अथवा बैसिलस थुरिनजैनसिस 02 ग्राम प्रति ली. की दर से प्रयोग करना लाभकारी होता है। इस अवस्था में नीम ऑयल 05 मि.ली. प्रति लीत्र पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से भी कीटोां की संख्या पर नियंत्रण किया जा सकता है।
श्री वर्मा ने बताया कि 10-20 प्रति. क्षति की अवस्था में रासायनिक नियंत्रण प्रभावी होता है। इस हेतु क्लोरेन्ट्रानिलीप्रेल 18.5 प्रति. एम.सी. 0.4 मि.ली. प्रति ली. पानी अथवा इमामेक्टिन बेनजोइट 0.4 ग्राम प्रति लीत्र पानी अथवा स्पादनोसैड 0.3 मि.ली. प्रति ली. पानी अथवा थायामेथाक्सॉम 12.6 प्रति $ लैम्ब्डासायहैलोथ्रिन 9.5 प्रति 0.5 मि.ली. प्रति ली. पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी श्री वर्मा ने कृषक बन्धुओं को सलाह दी है कि इस समय अपने खेत की सतत् निगरानी करते रहें तथा रोग दिखने पर समस्या/सुझाव हेतु रोगग्रस्त फसल/पौधे के फोटो के साथ विभागीय सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली के व्हाट्सएप नम्बर 9452247111 या 9452257111 पर व्हाट्सएप अथवा टेक्स्ट मैसेज के माध्यम से शिकायत कर सकते हैं। श्री वर्मा ने सुझाव दिया है कि किसान भाई समस्या लिखते समय अपना पूरा नाम व पूरा पता ग्राम, ब्लाक एवं तहसील का उल्लेख अवश्य करें। समस्या का समाधान 48 घण्टे में करा दिया जायेगा।
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