जन भावनाओं के विपरीत उम्मीदवार थोपने पर चौंकाने वाले हो सकते हैं नतीजे
-कर्मवीर नागर प्रमुख
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद सभी दलों की सक्रियता बढ़ गई है। विभिन्न दलों से टिकट की चाह रखने वालों का भी दिन का चैन और रातों की नींद उड़ गई है। सभी अपने अपने राजनीतिक आकाओं के भरोसे टिकट पाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
इस परिप्रेक्ष्य में अगर विशेष तौर दादरी विधानसभा सीट की राजनैतिक स्थिति पर नजर डालें तो इस सीट पर इस बार भाजपा और सपा लोकदल गठबंधन के बीच मुख्य मुकाबला नजर आ रहा है। हांलांकि अभी सभी राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशियों की अधिकृत घोषणा नहीं की है फिर भी सर्वप्रथम घोषित बसपा प्रत्याशी की सक्रियता और मेहनत को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता। बसपा सुप्रीमो मायावती के गृह जनपद की गृह विधानसभा सीट होने के कारण पूर्व में इस सीट पर बसपा का अच्छा खासा दबदबा और प्रभाव रहा है। इस सीट पर सबसे पहले घोषणा का लाभ लेने में बसपा प्रत्याशी पूरी शिद्दत और तन्मयता के साथ जुटा हुआ है। यहां तक कि ग्रेटर नोएडा एक्सटेंशन स्थित हाईराइज हाउसिंग सोसाइटी के निवासियों की बढी हुई जिस मतदाता संख्या के सहारे भाजपा नतीजा अपने पक्ष में आने की संभावना जता रही है वहां बसपा प्रत्याशी ने सेंध लगा दी है। लोगों में तो चर्चाएं यहां तक है कि ऐसी स्थिति में जन भावनाओं के विरुद्ध प्रत्याशी उतारना भाजपा को भारी पड़ सकता है।सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार गौतम बुद्ध नगर में भाजपा की स्थानीय स्तर पर अंतरकलह और आपसी राजनीतिक खींचतान के कारण कुछ राजनेता वर्तमान विधायक को पुनः टिकट दिलाने की भरपूर पैरवी में लगे हों।
ऐसी स्थिति में जन भावनाओं के विरुद्ध अगर उम्मीदवार मैदान में उतारा जाता है तो चर्चाएं आम यह है कि हाईराइज हाउसिंग सोसाइटीज के मतदाताओं में भी वर्तमान विधायक के प्रति अच्छी खासी नाराजगी नज़र आ रही है। जिसको लुभाने में बसपा प्रत्याशी दिन रात मेहनत किये हुए है। वैसे भी बसपा प्रत्याशी हाई राइज हाउसिंग सोसाइटीज के बीच स्थित बिसरख गांव का निवासी होने के नाते इन इमारतों में रहने वाले मतदाताओं में खासी पैठ बनाने में कामयाब होता नज़र आ रहा है। जिससे भाजपा को अच्छा खासा नुकसान होने की संभावना बन रही है।
इसके अतिरिक्त अभी सपा लोकदल गठबंधन और कांग्रेस प्रत्याशियों की घोषणा होना भी शेष है। ऐसे में गठबंधन के उम्मीदवार के साथ मुस्लिम ध्रुवीकरण और वर्तमान विधायक के प्रति लोगों की नाराजगी का ध्रुवीकरण गठबंधन के उम्मीदवार का आधार मजबूत कर सकता है। इसके अतिरिक्त आम आदमी पार्टी से घोषित राजपूत जाति का उम्मीदवार भी भाजपा की राह रोकने में बहुत बड़ा रोड़ा साबित हो सकता है।
लोगों में चर्चा- ए- आम है कि अगर दादरी विधानसभा सीट से उम्मीदवार के चयन में भाजपा द्वारा जन भावनाओं को नजरअंदाज करते हुए निर्णय लिया गया तो यह निश्चित ही भाजपा के लिए घाटे का सौदा हो सकता है। क्योंकि दादरी विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की नाराजगी दल विशेष की बजाय व्यक्तिगत तौर पर अधिक नज़र आ रही है। जैसा कि आरडब्लूए के संगठन नेफोवा के अध्यक्ष मनीष द्वारा वर्तमान भाजपा विधायक के विरुद्ध जारी बयानों से भी साफ प्रतीत हो रहा है। हां इसके इतर अगर भाजपा द्वारा फ्रेश उम्मीदवार मैदान में उतारा गया तो शायद मतदाताओं की नाराजगी कुछ कम होने से भाजपा उम्मीदवार सब पर भारी पड़ सकता है।
दादरी क्षेत्र की जन भावनाओं और दादरी क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों में निवास करने वाले कुछ चुनिंदा प्रभावशाली लोगों पर नजर डालें तो अधिकतर लोगों की वर्तमान विधायक से अच्छी खासी नाराजगी नजर आ रही है। यहां तक कि भाजपा के प्रति विशेष लगाव रखने वाला क्षेत्र का युवा मतदाता भी दादरी कॉलेज के मिहिर भोज प्रकरण की वजह से वर्तमान विधायक से व्यक्तिगत तौर पर अच्छा खासा नाराज नजर आ रहा है। शाहबेरी प्रकरण में भी आरोपियों को संरक्षण देने के आरोप प्रत्यारोपों के कारण दादरी के वर्तमान विधायक के प्रति जनता में खासी नाराजगी नज़र आ रही है। इसके अतिरिक्त ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा किसानों की समस्याओं का निराकरण न होना, स्थानीय उद्योगों में युवा बेरोजगारों को भर्ती न किया जाना, स्क्रैप माफियाओं से जुड़े होने के आरोप प्रत्यारोप, वर्तमान विधायक के प्रति मुख्यमंत्री की अखबारों में प्रकाशित नाराजगी की खबरें आदि अन्य कई कारणों से वर्तमान विधायक के प्रति आम जनता में अच्छी खासी नाराजगी नजर आ रही है।
इसके अतिरिक्त बिसरख ब्लॉक की वर्तमान प्रमुख और ओमपाल प्रधान की पत्नी दुजाना निवासी श्रीमती हरप्रीत कौर का प्रमुख पद के चुनाव में खुला विरोध करना, विकासखंड दादरी के ब्लॉक प्रमुख विजेंद्र भाटी का वर्तमान विधायक से मतभेदों के चलते विरोध स्वरूप भाजपा से टिकट मांगना, बिसरख ब्लॉक की पूर्व प्रमुख और ग्रेटर नोएडा के गांव मिलक लच्छी निवासी कर्मवीर नागर प्रमुख की पत्नी श्रीमती सुरेश नागर का वर्तमान विधायक द्वारा क्षेत्र के गांवों और ग्रेटर नोएडा स्थित हाईराइज हाउसिंग सोसाइटी में विकास न कराए जाने से खासा असंतुष्ट होना, इसी तरह जिला पंचायत पद के चुनाव में भाजपा के प्रत्याशियों विरुद्ध भीतरघात के आरोपों की नाराजगी के चलते भी वर्तमान विधायक के प्रति क्षेत्र के अन्य चुनिंदा और प्रभावशाली लोगों में अच्छी खासी नाराजगी नजर आ रही है।
ऐसे में जन भावनाओं का निरादर करते हुए अगर भाजपा ने प्रत्याशी थोपने की गलती की तो भाजपा की सीट माने जाने वाली दादरी विधानसभा के नतीजे आगामी चुनाव में उल्ट भी हो सकते हैं। अगर भाजपा के जिम्मेदार स्थानीय नेताओं ने एक दूसरे पर भारी होने का दिखावा करने की आपसी राजनीतिक प्रतिद्वंदिता में वर्तमान विधायक के प्रति लोगों की नाराजगी और क्षेत्रीय जन भावनाओं से टिकट तय करने वाले शीर्ष नेतृत्व को अवगत नहीं कराया तो वह दिन दूर नहीं कि दादरी विधानसभा का नतीजा सभी के लिए चौंकाने वाले साबित हों जो कि उप्र में फूंक फूंक कर कदम रख रही भाजपा के लिए भी हानिकारक सिद्ध हो सकते हैं।
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