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Friday, April 18, 2025 10:00:02 PM

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मासिक तरही नशिस्त का हुआ आयोजन

मासिक तरही नशिस्त का हुआ आयोजन

रिपोर्ट : फिरोज खान पठान/अजवद क़ासमी

 

जौनपुर:- बज़्म ए शीराज़ के तत्वावधान में रविवार की शाम में एक तरही नशिस्त का आयोजन नगर के मोहल्ला शेख़ मुहामिद में स्थित अनवार मंज़िल में किया गया जिसकी अध्यक्षता शायर नादिम जौनपुरी एवं संचालन की ज़िम्मेदारी मज़हर आसिफ़ ने अंजाम दिया। मुख्य अतिथि के रूप में सांसद श्याम सिंह यादव एवं विशिष्ट अतिथि के तौर पर बसपा नेता सलीम खान उपस्थित रहे। प्रोग्राम की शुरुआत यासिर हस्सान ने तिलावत ए क़ुरआन से किया व नात ए नबी हनीफ़ अंसारी ने पेश किया।

 

मिसरा ए तरह ‘काँटो को भी ग़ुलाब समझने लगे हैं लोग’ बज़्म ए शीराज़ के अध्यक्ष शायर अहमद निसार जौनपुरी ने एक माह पूर्व दिया था जिसपर समस्त शायरों एवं कवियों ने तबअ आज़माई करके अपनी अपनी रचनाओं को श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया जिससे श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये और पूरा हाल वाह वाह के स्वर से गूँज उठा।

 

मुख्यातिथि सांसद श्याम सिंह यादव ने अपने उद्बोधन में कहा कि शेर व शायरी लोगों के दिलों को जोड़ने का और अपनी बात सलीके से कहने का एक माध्यम है आज इस नशिस्त का हिस्सा बनके स्वयं को गौरववन्तित महसूस कर रहा हूं और समस्त कवियों की रचनाएँ एक से बढ़कर एक थीं आने वाले महीने में मैं अपने निवास पर एक नशिस्त का आयोजन करूँगा जिसमें समस्त कवि व शायर उपस्थित रहेंगे।

 

चंद पंक्तियां निम्नलिखित हैं

 

इससे ज़्यादा मेरी पेज़ीरायी होगी क्या

मुझको मेरा जवाब समझने लगे हैं लोग

अहमद निसार जौनपुरी

 

ज़िल्लत के जिसने खोल दिए राब्ते कई

इज़्ज़त का उसको बाब समझने लगे हैं लोग

मज़हर आसिफ

 

कुछ देर शम्स अब्र की क्या ज़द मे आ गया

जुगनू को आफ़ताब समझने लगे हैं लोग

अहमद अज़ीज़ ग़ाज़ीपुरी

 

उस जान ए गुफ़्तगू से हुई जबसे गुफ़्तगू

ख़ुशबू का हर खेताब समझने लगे हैं लोग

अकरम जौनपुरी

 

अनवार तुमको शेअर व अदब के जहान में

ख़ुर्शीद व माहताब समझने लगे हैं लोग

अनवारुल हक़ अनवार

 

जबसे हैं गुल की चाक क़बायें निगाह में

कलियों का इज़तीराब समझने लगे हैं लोग

अनवार अहमद क़ासमी

 

आये हुए हैं लोग अयादत के वास्ते

मेरा भी इज़तीराब समझने लगे हैं लोग

क़ारी ज़िया जौनपुरी

 

अपनी ज़बान खोलें मगर एहतियात से

थोड़े को बेहिसाब समझने लगे हैं लोग

मोनिस जौनपुरी

 

है क़हत मोतियों का दयार ए जमाल में

दरिया का सतह ए आब समझने लगे हैं लोग

अहमद हफ़ीज़ जौनपुरी

 

ये जिंदगी जो नेअमत ए परवरदिगार है

फ़िर क्यों उसे अज़ाब समझने लगे हैं लोग

शजर जौनपुरी

 

नादिम जौनपुरी,वसीम जौनपुरी,आरपी सोनकर,ज़ीशान जौनपुरी,शोहरत जौनपुरी,वहदत जौनपुरी,शहज़ाद जौनपुरी,अमृत प्रकाश जौनपुरी,आशिक़ जौनपुरी,नातिक ग़ाज़ीपुरी,हसन फतेहपुरी,हिजाब जौनपुरी ने भी अपनी अपनी रचनायें प्रस्तुत किया। अंत में बज़्म ए शीराज़ के सेक्रेटरी हनीफ़ अंसारी ने सभी का शुक्रिया अदा किया। इस अवसर पर ज़फ़र मसूद, अनवारुल हक़ गुड्डु,इरशाद खान,साजिद अनवार, माजिद अनवार,हामिद अनवार,महंत भारद्वाज आदि उपस्थित रहे।

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