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Saturday, May 10, 2025 1:31:18 AM

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गोल्डन विवाह वर्ष

गोल्डन विवाह वर्ष

गोल्डन विवाह वर्ष

 

शादी उनन्चास साल हो गए, लगता जैसे अभी हुई।

एक एक कर बीते जो पल, यादें हो गयी आज नई॥

 

आठ मई और सन चौहात्तर, विवाह हेतु हाथरस आये।

ग्राम सोखना के खचेरमल, जो निज पुत्री पूनम लाये॥

 

वह बाबूलाल डाक्टर भाई, और माता थीं राधा देवी।

नौ मई विवाह संपन्न हुआ, और पत्नी बनी पूनम बेबी॥

 

किन्तु विदाई नहीं हुई, तब पूरी बरात रोक ली थी।

थी बड़हार की रस्म अनोखी, जैसा चाहा हो ली थी॥

 

सुबह नास्ता पानी करके, बराती गाँव घूम आये।

रिस्ते नाते बिरादरी में, सबके अपने मन भाए॥

 

दोपहर का खाना खाया, बराती आराम को धाये।

लेकिन खोइया शुरू हो गया, ललमनियाँ साथ लाये॥

 

हुआ नाच गाना भारी, दिखा दिखा के समधी को।

मार पड़ी कोड़े की उनको, गारी गाकर समधी को॥

 

खोइया हुआ तो मिलनी चालू, एक एक रुपया दीना।

जो बराती इससे खुशी हो गए, खुशी हुई टीना मीना॥

 

जब खाड़ कटोरा समधी पाए, गुप्त दान उसमें पाए।

गले मिले फिर दोनों समधी, उसमें ख़ुशी बहुत पाए॥

 

हुआ रात का खाना फिर से, अब सोने की बारी थी।

किन्तु रात में मार करारी, जो अब कोड़े से यारी थी॥

 

पुरुष वेश में आईं महिलायें, और गारी भी वह देतीं थीं

कोई उनका विरोध न करता, कैसी वह रणभेरी थीं॥

 

जब दस मई की सुवह हुई, तो विदाई की तैयारी थी।

रो रो कर दुल्हन चल दीनी, टूटी जो अब तक यारी थी॥

 

संग सहेली छूटीं रोकर, और छूटा रोता मायका था।

नए नए परिवेश में ढलने, नई ससुराल जाने का था॥

 

धीरे धीरे अपना घर हो गया, जो अब तक पराया था।

हसीं खुशीं से अब तक बीता, सबने जो अपनाया था॥

बच्चे भी अब बड़े हो गए, उनके भी परिवार हुए।

प्यारे प्यारे नाती पोते, उनके हम पर अधिकार हुए॥

 

जैसे जैसे समय बीतता, सो यादें बहुत सतातीं हैं।

जो भूले बिछुड़े संगी साथी, उनकी याद करातीं हैं॥

 

कई हो गए भगवान को प्यारे, कई नहीं मिल पाते हैं।

कईयों ने पकड़े हैं बिस्तर, ऐसे ही दिन कट जाते हैं॥

 

अब पचास वां वर्ष शुरू है, हँसी खशी यह बीतेगा।

ऐसे ही आगे भी होगा, हम दोनों का बंधन जीतेगा॥

 

पूनम ने प्रभाकर दिल जीता, अब कोई नहीं प्रेम से रीता।

मिलजुल करके दिन बीते, प्रेम प्रभाकर पल पल प्रीता॥

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