चारा, पानी, भूसा व उपचार के माकूल बन्दोबस्त करने के दिए गए निर्देश
हीट स्ट्रोक से बचाव के लिए बाड़ों में लगाए जाएगें टाट के पर्दे
बहराइच 23 मई। जिले में निराश्रित गोवंशों के संरक्षण हेतु संचालित वृहद गो संरक्षण केन्द्र तथा अस्थाई गोवंश आश्रय स्थलों की व्यवस्थाओं की समीक्षा हेतु सोमवार की देर शाम कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी मोनिका रानी ने निर्देश दिया कि सहभागिता योजना अन्तर्गत गोदान किये गोवंशों की सूची के अनुसार उनका सत्यापन करा लिया जाए। डीएम ने यह भी निर्देश दिया कि भरण पोषण एवं पोषण मिशन अन्तर्गत कुपोशित बच्चों के अभिभावकों को दान किये गये गोवंशों का जिला कार्यक्रम अधिकारी के माध्यम से सत्यापन कराया जाय।
डीएम मोनिका रानी ने मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को निर्देश दिया कि गोआश्रय स्थलों की की जांच हेतु चेक लिस्ट तैयार कर न्याय पंचायतवार जिला स्तरीय अधिकारियों से सत्यापन करा लिया जाए। सत्यापन के पश्चात ही गोंवशों की संख्या के अनुसार समानुपातिक आधार पर धनराशि का आवंटन किया जाय। जिलाधिकारी ने खण्ड विकास अधिकारियों को निर्देश दिया कि शासन की मंशा के अनुरूप निर्धारित मानक के अनुसार गोआश्रय स्थलों पर चारा, पानी, छावं, भूसा विशेषकर हरा चारे का प्रबन्ध सुनिश्चित किया जाए। डीएम ने यह भी कहा कि ग्रीष्म ऋतु को देखते हुए गोआश्रय स्थलों में पेयजल की विशेष व्यवस्था रखें एवं टाट के पर्दे लगाकर पशुओं को लू से बचाया जाय तथा निरन्तर अन्तराल पर पर्दों की वाटरिंग भी की जाय जिससे पशुओं को तपिश से बचाया जा सके।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि जिले में कुल 118 गोवंश आश्रय स्थल संचालित है जिसमें से 04 वृहद गो संरक्षण केन्द्र, 93 अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल, 02 कान्हा गोशाला तथा जिला पंचायत द्वारा संचालित 19 कांजी हाउस हैं। वर्तमान में जिले में 16664 गोवंश संरक्षित हैं। डॉ. प्रसाद ने बताया कि अब तक 610 गोवंश पोषण मिशन योजना के अन्तर्गत वितरित किये गये हैं। जिसके लिए सम्बन्धित परिवारों को गोवंश के भरण-पोषण हेतु रू. 900=00 प्रतिमाह दिये जा रहे हैं। जबकि मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत अब तक 2308 गोवंश पशुपालकों दिये गये हैं इन्हें भी भरण-पोषण हेतु रू. 900=00 प्रतिमाह दिया जा रहा है।
डॉ. प्रसाद ने बताया कि जिले में निर्माणाधीन 04 वृहद गोसंरक्षण केन्द्र का कार्य पूर्ण हो गया है। यह संरक्षण केन्द्र विभाग को हस्तगत हो गये हैं। इन वृहद गोसंरक्षण केन्द्र में भूसा का संग्रहण करा दिया गया है। गौशालाओं की बाउण्ड्रीवाल का निर्माण कार्य प्रगति पर है। यह कार्य पूर्ण होते ही वृहद गोसंरक्षण केन्द्रों को संचालित करा दिया जाएगा। डॉ. प्रसाद ने बताया कि गोशालाओं में संरक्षित गोवंशों के हरे चारे हेतु अधिकांशतः गोआश्रय स्थलों पर लगभग 100 हेक्टेयर क्षेत्रफल में नैपियर घास की बोआई करा दी गई है।
जिलाधिकारी मोनिका रानी ने जिले के अधिकारियों को निर्देेश दिया कि गोवंशों का संरक्षण मा. मुख्यमंत्री व शासन की शीर्ष प्राथमिकता है इसलिए सभी जिम्मेदार अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि गोआश्रय स्थलों पर चारे, पानी, छांव, भूसा एवं हरे चारे की कमी न रहे। डीएम ने सीवीओ डॉ. प्रसाद को निर्देश दिया कि पशु चिकित्साधिकारियों के माध्यम से संरक्षित गोवंशों का समय समय पर स्वास्थ परीक्षण कर आवश्यकतानुसार उनके उपचार का प्रबन्ध किया जाय। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी कविता, डीसी मनरेगा के.डी. गोस्वामी, जिला विकास अधिकारी महेन्द्र कुमार पाण्डेय, समस्त उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, पशु चिकित्साधिकारी तथा खण्ड विकास अधिकारी मौजूद रहे।
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






