नई दिल्ली। राजपाल एंड सन्ज़ के स्टॉल पर कथाकार श्याम बिहारी श्यामल के कहानी संग्रह ‘घाम’ का लोकार्पण हुआ।
आलोचक प्रो देवेंद्र चौबे ने लोकार्पण करते हुए कहा कि श्याम बिहारी श्यामल की कहानियों में यथार्थ और कल्पना दोनों का मिश्रण मिलता है। यह पेशे से पत्रकार होने के साथ साथ एक बेहद अच्छे साहित्यकार भी हैं। ये अपनी कहानियों में कथा जीवन के यथार्थ को बनाते हैं। संग्रह की पहली कहानी ‘घाम’ और अंतिम कहानी ‘चना चबेना गंग-जल’ दोनों बेहद मार्मिक कहानियां हैं। इनकी कहानियों में छोटे छोटे विवरण के साथ क्षेत्र विशेष का परिचय मिलता है।
बिहार से आए सहायक आचार्य डॉ. पंकज शर्मा ने कहा कि श्याम बिहारी श्यामल के इस कहानी संग्रह का शीर्षक ही बेहद आकर्षक है। घाम शब्द को समझाया नहीं जा सकता इसे महसूस किया जाता है। उन्होंने घाम, कागज़ पर चिपका समय, गीली मिठास, सीधांत, स्वाद आदि को बेहद मार्मिक कहानियां बताया और कहा कि श्यामल अपनी कहानियों में सूत्र वाक्य का प्रयोग करते हैं। इनकी कहानियों के बारे में पहले से पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। क़स्बे के बदलने की स्थिति इनकी कहानियों में चित्रित है।
श्याम बिहारी श्यामल जी अपने वक्तव्य में कहते हैं कि मैं अपनी कहानियों में असामान्य पात्रों को ही स्थान देता हूँ। यह कहानियां मन के वन की भटकन है। अंत में मीरा जौहरी सभी वक्ताओं का धन्यवाद ज्ञापन देती हैं और श्याम बिहारी शादमल जी को पुस्तक के लिए बधाई अर्पित करती हैं।
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