बीजेपी के ओम बिरला के खिलाफ उतारा मैदान में -बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस में आने का मिला लाभ
समर्थकों व कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल, आतिशबाजी कर मनाई खुशी
कोटा। कांग्रेस ने पिछले एक सप्ताह से जारी कयास आराइयों के अनुसार ही फैसला करते हुए कोटा-बूंदी संसदीय सीट से अभी हाल ही बीजेपी का साथ छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामने वाले हाड़ौती के कद्दावर नेता प्रह्लाद गुंजल को टिकट दिया है।
प्रहलाद गुंजल का मुकाबला बीजेपी के ओम बिरला से होगा। टिकट की घोषणा होते ही समर्थक व कार्यकर्ता गुंजल के आवास पर पहुंच गए। जहां उन्होंने जमकर आतिशबाजी की। फूल मालाओं से गुंजल को लाद दिया। गुंजल कुछ दिन पहले ही बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए है। प्रहलाद गुंजल के चुनावी मैदान में उतरने से दोनों मुख्य पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना जताई जा रही है।
टिकट फाइनल होने के बाद गुंजल ने कहा कि उम्मीदवारी को लेकर दो तीन दिनों से चर्चाएं चल रही थी। तब से शहर का वातावरण बदला हुआ है। सामने वाले के चेहरे की हवाइयां उड़ी हुई हैं। वो माहौल बता रहा है। मेरी उम्मीदवारी समर्थन से ज्यादा सामने वाले का विरोध है। पिछले 10 साल के सांसदके कार्यकाल में कोटा के लोगों को मीठी गोली व झूठे सपने के अलावा कुछ नहीं मिला।
गुंजल ने कहा कि सांसद ने 2014 में कोटा दक्षिण के चुनाव में तलवंडी में जनसभा की थी। जिसमें अगले चुनाव से पहले कोटा में एयरपोर्ट लाने का वादा किया था। कहा था कि सरकार नहीं चलाएगी तो बिरला एयरलाइंस चला दूंगा। नहीं चला पाया तो 2019 का चुनाव नहीं लडूंगा। बिरला एयरलाइंस भी नहीं चली, हवाईअड्डा भी नहीं आया। 2019 का चुनाव भी लड़ लिया। अब 2024 का चुनाव भी लड़ रहे हैं।
कागज के उड़ा रहे हैं हवाई जहाज
उन्होंने कहा कि कोटा में कोचिंग हब है। यहां देशभर से लाखों बच्चे पढ़ने आते हैं। बच्चों व उनके माता पिता को आने-जाने के लिए कोटा में अंतरराष्ट्रीय स्तर का एयरपोर्ट होना चाहिए। बिरलाजी जबसे बीजेपी के उम्मीदवार घोषित हुए हैं, तब से कागज के हवाई जहाज उड़ा रहे हैं। मुझे लगता है इस बार कोटा की जनता करवट लेगी।
40 साल पुराने कार्यकर्ता की नहीं की कद्र
उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति के अहंकार के सामने बीजेपी ने अपने 40 साल पुराने कार्यकर्ता की कद्र नहीं की। कांग्रेस ने सहज ही गले लगा लिया। वार्ड स्तर से संभाग स्तर का एक-एक कार्यकर्ता चुनाव के लिए उत्साहित व लामबंद है। मैं लोगों से कहता हूं कि सामने वालों के पास वोट मांगने का क्या आधार है? जनता प्रहलाद गुंजल को जिताना चाहती है। साथ ही किसी का अहंकार भी समाप्त करना चाहती है। संभाग में चारों तरफ ऐसी हवा है।
4 में से 2 बार विधायक बने प्रहलाद गुंजल
गुंजल कॉलेज के जमाने से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं। साल 89-90 में छात्र संघ अध्यक्ष रहे। उनके पास कार्यकर्ताओं की मजबूत टीम है। साल 2003 में बीजेपी ने पहली बार रामगंजमंडी विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा था। गुंजल चुनाव जीतकर विधायक बनें। गुर्जर आंदोलन के समय उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी। बाद में वापस बीजेपी में शामिल हुए। साल 2013 में बीजेपी के टिकट पर कोटा उत्तर से चुनाव लड़ा। कांग्रेस के दिग्गज नेता शांति धारीवाल को मात दी। साल 2018 के चुनाव में शांति धारीवाल ने गुंजल को शिकस्त दी। साल 2023 के विधानसभा चुनाव में तीसरी बार दोनों दिग्गजों के बीच कड़ा मुकाबला हुआ। जिसमें शांति धारीवाल ने प्रहलाद गुंजल को काफी कम मतों के अंतर से हराया था।
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