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Monday, May 20, 2024 5:48:25 PM

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भाजपा प्रत्याशी बिरला के बड़े भाई के बिगड़े बोल -हार के डर से सड़क छाप और अमर्यादित भाषा पर उतरी बीजेपी

भाजपा प्रत्याशी बिरला के बड़े भाई के बिगड़े बोल -हार के डर से सड़क छाप और अमर्यादित भाषा पर उतरी बीजेपी

पुराने दिन याद दिलाते हुए कांग्रेस प्रत्याशी गुंजल पर साधा निशाना

लोकसभा सीट के लिए ओम बिरला आज करेंगे पर्चा दाखिल

कोटा। लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी ओम बिरला के बड़े भाई हरिकृष्ण बिरला ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आए कांग्रेस उम्मीदवार प्रहलाद गुंजल पर सड़क छाप और अमर्यादित भाषा में निशाना साधा है। 

दरअसल प्रह्लाद गुंजल के बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आने के बाद से भाजपा की बौखलाहट लगातार सामने आ रही है। उसके बाद ओम बिरला के खिलाफ कांग्रेस की तरफ से मैदान में उतरने के बाद उन पर हमलों में काफी तेजी आ गई है। इस पर गुंजल की नामांकन रैली ने जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर हरिकृष्ण बिरला का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें सामने आया है। जिसमें वो कह रहे हैं कि प्रहलाद गुंजल ओम बिरला का मुकाबला करने से पहले अपनी औकात देख ले। टूटी साइकिल पर ओम बिरला को कविता सुनाने के बहाने से आया करता था। इतना ही नहीं वीडियो में हरिकृष्ण बिरला कहते सुने जा रहे हैं कि जाकर गुंजल से पूछो कि ओम बिरला के पुराने कपड़े आल्ट्रेशन करवा कर कौन पहनता था। यहां तक कि उन्होंने अंडर गारमेंट जिसका जिक्र सार्वजनिक रूप से करना संस्कृति के खिलाफ है, उस तक का भी जिक्र कर दिया कि वो ये भी ओम बिरला के ही पहनता था। एक सभा में जिस समय उनका यह भाषण चल रहा था, पार्टी की कई महिला नेत्रियां मंच पर मौजूद थीं। वीडियो जारी होने के बाद कांग्रेस के कई नेता यह कहते सुने जा रहे हैं कि संस्कारी लोग ऐसे ही होते हैं। इतना ही नहीं वीडियो में वो आगे कह रहे हैं कि पहले भाजपा कार्यकर्ताओं ने विपक्षियों को जमीन में गाड़ा था। लोकसभा चुनाव में पाताल में पहुंचा देंगे।

 

क्यों बिगड़ रहे बीजेपी के बोल

 

दरअसल बीजेपी में प्रहलाद गुंजल काफी लंबे समय से उपेक्षित चल रहे थे। वसुंधरा खेमे का होने के कारण उनको लगातार साइड लाइन किया जा रहा था। विधानसभा चुनाव में टिकट फाइनल होने के बावजूद बिरला ने उनका नाम अनाउंस नहीं होने दिया। दिल्ली जाकर पता किया तो वहां ओम बिरला से मिलने के निर्देश दिए गए। हाई कमान ने पूछा कि आपने ओम बिरला से दूरी क्यों बना रखी है। उनसे मिलते क्यों नहीं हो। इसके बाद प्रहलाद गुंजल ने ओम बिरला के घर जाकर दो बार रात में बंद कमरे में मुलाकात की थी। उसके बाद टिकट की घोषणा से पहले ही ‌अपना नामांकन दाखिल कर दिया था। आखिर नामांकन के अंतिम दिन उनके नाम की घोषणा हुई। लेकिन बहुत कम वोटों के अंतर से कांग्रेस के शांति धारीवाल से हार गए थे। अपनी हार के लिए इशारों-इशारों में उन्होंने ओम बिरला को ही जिम्मेदार ठहराया था। लोकसभा चुनाव में भी उनको उपेक्षित किया जा रहा था। दरअसल ओम बिरला अभी लोकसभा स्पीकर हैं। यह एक संवैधानिक पद है। जिस पर रहने वाले व्यक्ति का चुनाव लड़ना मूल्यों के खिलाफ माना जाता है। उनको उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें कोटा-बूंदी से मैदान में उतार देगी। लेकिन जब पार्टी ने उन्हें दरकिनार कर दिया तो उन्होंने 20 मार्च को कांग्रेस ज्वाइन कर ली।

 

हार का हो चुका है अहसास

 

हाड़ौती वैसे तो आरएसएस बीजेपी का गढ़ मानी जाती है। लेकिन दो बार के सांसद और मौजूदा लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के खिलाफ जबरदस्त एंटी इनकंबेंसी है। ग्रामीण इलाकों में वोटर इनके काम नहीं करने की बात कहते हुए खुले में नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। यहां तक कि बीजेपी का कट्टर समर्थक भी केंद्र में भले ही बीजेपी को जिताने की बात कर रहा हो, लेकिन कोटा-बूंदी सीट पर खुले आम गुंजल को अपना समर्थन देने की बात कर रहा है। यही कारण है कि बीजेपी को वोटिंग से पहले इस सीट पर हार का अहसास हो गया है, और इसीलिए बीजेपी नेताओं के बोल बिगड़ रहे हैं।

 

गुंजल की बेदाग छवि

 

गुंजल 89-90 में कोटा कॉलेज के छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव जीतने के बाद से ही लगभग 40 वर्षों से राजनीति में हैं। दो बार विधायक भी रहे। लेकिन उन पर अभी तक किसी तरह का कोई आरोप नहीं लगा है। सत्ता मिलने के बाद से संघ और बीजेपी के कई नेताओं में जिस तरह की चारित्रिक गिरावट देखने को मिल रही है, उससे भी गुंजल बचे हुए हैं। वर्तमान में बीजेपी की सांप्रदायिक राजनीति से भी अपने आप को दूर रखा है। यही कारण है कि मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग उनका जबरदस्त समर्थक है। इसके विपरीत कांग्रेस के शांति धारीवाल संघ समर्थक रहे हैं। लेकिन कांग्रेस में होने के कारण अपने आपको सेक्यूलर जताते रहना पड़ता है। पूरे हाड़ौती में ओम बिरला और शांति धारीवाल दो जिस्म एक जान के तौर पर मशहूर हैं। लोग इन्हें ओम शांति के नाम से पुकारते हैं।

 

विधानसभा चुनाव में बिरला को लग चुका है झटका

 

ओम बिरला के खिलाफ उनके समर्थकों और बीजेपी के मतदाताओं में 2023 के विधानसभा चुनाव में भी नाराजगी देखने को मिली थी। उनके खेमे के बूंदी जिले के तीनों प्रत्याशी चुनाव हार गए थे। साथ ही कोटा जिले की पीपल्दा सीट पर भी कांग्रेस ने इनके प्रत्याशी को हरा दिया था। पार्टी पर परिवार के कब्जे का आरोप लगाते हुए संघ और बीजेपी का एक धड़ा इनके खिलाफ है।

 

नामांकन रैली के जरिए आज दिखाएंगे ताकत

 

बुधवार को ओम बिरला अपना नामांकन दाखिल करेंगे। नामांकन रैली के जरिए शक्ति प्रदर्शन भी किया जाएगा। जिसकी लगातार तैयारियां जारी हैं। संघ व बीजेपी के कार्यकर्ता लगातार गांव-गांव ढाणी-ढाणी जाकर नामांकन रैली में लोगों को आने का निमंत्रण दे रहे हैं। बैठकों के जरिए कार्यकर्ताओं का आह्वान किया जा रहा है। दरअसल गुंजल की रैली के बाद से लोगों में यह उत्सुकता है कि बिरला के समर्थन में कितनी भीड़ जुटती है।

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