कोटा। हमारा देश आज पूर्ण तानाशाही के मुहाने पर खड़ा है। देश-विदेश की स्वतंत्र मीडिया ने भी हमारे वर्तमान लोकतंत्र को इलेक्टोरल ऑटोक्रेसी यानी चुने हुए अधिनायकवाद की संज्ञा दी है। संवैधानिक मूल्यों में विश्वास रखने वाले प्रत्येक जागरूक नागरिक का आज पुनीत कर्तव्य है कि देश की बहुदलीय प्रणाली, बहुलतावादी संस्कृति, धार्मिक ताने बाने, नागरिक अधिकारों, स्वतंत्रता और स्वायत्तता को धनबल और बहुबल की ताकत से नष्ट करने के कुत्सित प्रयास करने वाली शक्तियों को आने वाले लोकसभा चुनावों में पुरजोर विरोध करते हुए धूल चटाने के लिए आगे आएं।
यह बात लोकतंत्र बचाओ आन्दोलन समिति द्वारा शनिवार को गुमानपुरा स्थित निजी हॉल में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही गई।
समिति के अध्यक्ष अजय चतुर्वेदी ने समिति के उद्देश्यों के बारे में बताते हुए कहा कि वर्तमान संसदीय चुनाव में संविधान और लोकतंत्र पर मंडरा रहे एक दलीय अधिनायकवादी खतरे के प्रति प्रदेश के नागरिकों विशेषकर कोटा बूंदी लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं को सचेत करने के लिए शहर तथा ग्रामीण क्षेत्रों में जन जागरण अभियान 14 अप्रेल से चलाया जा रहा है। ताकि देश के संविधान द्वारा नागरिकों को दिए गए अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा सके।किसान नेता दुलीचंद बोरदा ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पूर्व में दी गई गारंटियों के खोखलेपन को उजागर करते हुए कहा कि मोदी की सभी गारंटियां चुनावी जुमला ही साबित हुई हैं। साहित्यकार महेंद्र नेह ने कहा कि जन जागरण अभियान के दौरान भाजपा सरकार के भ्रष्ट, मजदूर, किसान, दलित, अल्पसंख्यक, महिला, युवा, छात्र विरोधी चरित्र का खुलासा किया जाएगा। रुपेश चड्डा ने कहा कि पिछले आम चुनाव में भाजपा को 65 प्रतिशत मतदाताओं ने नकार दिया था। ऐसे में लोकतंत्र को बचाने के उद्देश्य से विरोधी दलों द्वारा निर्मित इण्डिया गठबंधन देश हित में उठाया गया एक सार्थक कदम है। कर्मचारी नेता इश्वर सिंह ने कहा कि केंद्र में भाजपा की नहीं बल्कि मोदी सरकार है। छोटे बड़े सभी फैसले केवल दो व्यक्तियों द्वारा तथा पूर्ण रूप से कार्पोरेट हित में लिए जा रहे हैं। यह लोकतान्त्रिक व्यवस्था का घिनौना रूप है। रिजवान खान ने कहा कि इलेक्टोरल बांड अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है, किन्तु खेद का विषय है कि मीडिया में इसकी कोई चर्चा तक नहीं है। स्वतंत्र पत्रकार ओम कटारा ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया की दयनीय स्थिति पर भी अपनी पीड़ा व्यक्त की।
इन प्रमुख विषयों पर उठाएंगे मांग
लोकतंत्र बचाओ समिति जिन प्रमुख विषयों पर अपनी मांग उठाएगी उनमें संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करना, ईवीएम मशीन के बजाय बैलट पेपर से चुनाव करवाना, चुनावी खर्चे में कटौती करना, कार्पोरेट फंड की सीमा 7.5 प्रतिशत को बहाल करना, चुनाव आयोग कमेटी में मुख्य न्यायधीश को पुनः शामिल करना, सूचना के अधिकार को मज़बूत करना, पिछड़े वर्गों को सामाजिक न्याय की गारंटी देना, शिक्षा में बढ़ रहे निजीकरण को रोकना आदि शामिल हैं। समिति सदस्यों ने कहा कि लोकसभा चुनावों के बाद भी यह जन जागरण अभियान जारी रखा जाएगा।
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