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Tuesday, May 13, 2025 4:57:58 PM

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अमर शहीद महान क्रान्तिकारी सुखदेव की जयंती मौहम्मद जाकिर सैफी के नेतृत्व मनाई गई

अमर शहीद महान क्रान्तिकारी सुखदेव की जयंती  मौहम्मद जाकिर सैफी के नेतृत्व मनाई गई

रिपोर्ट : दीपक कुमार त्यागी स्वतंत्र पत्रकार

गाजियाबाद, 15 मई 2024। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के महान सैनानी अमर शहीद महान क्रान्तिकारी सुखदेव जी की जयंती पर मौ. जाकिर अली सैफी के नेतृत्व में क्षेत्र के सम्मानित लोगों के साथ क्षेत्रीय कार्यालय जस्सीपुरा पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित कर खिराज-ए-अकीदत पेश की गयी। इस मौके पर मौ0 जाकिर अली सैफी ने सम्बोधन मे कहा कि शहीद भगतसिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को हुआ था, शहीद सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को हुआ था, शहीद राजगुरु का जन्म 24 अगस्त, 1908 को हुआ था, भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव भारत के वे सच्चे सपूत थे, जिन्होंने अपनी देशभक्ति और देशप्रेम को अपने प्राणों से भी अधिक महत्व दिया और मातृभूमि के लिए प्राण न्यौछावर कर गए। 23 मार्च 1931 को फ़ासी के फंदे ओर हंसते हुए गले लगा लिए था। उन्होंने कहा कि वर्ष 1926 में लाहौर में ‘नौजवान भारत सभा’ का गठन हुआ। इसके मुख्य योजक सुखदेव, भगत सिंह, यशपाल, भगवती चरण व जयचन्द्र विद्यालंकार थे। ‘असहयोग आन्दोलन’ की विफलता के पश्चात् ‘नौजवान भारत सभा’ ने देश के नवयुवकों का ध्यान आकृष्ट किया। प्रारम्भ में इनके कार्यक्रम नौतिक, साहित्यिक तथा सामाजिक विचारों पर विचार गोष्ठियाँ करना, स्वदेशी वस्तुओं, देश की एकता, सादा जीवन, शारीरिक व्यायाम तथा भारतीय संस्कृति तथा सभ्यता पर विचार आदि करना था। इसके प्रत्येक सदस्य को शपथ लेनी होती थी कि वह देश के हितों को सर्वोपरि स्थान देगा।परन्तु कुछ मतभेदों के कारण इसकी अधिक गतिविधि न हो सकी। अप्रैल, 1928 में इसका पुनर्गठन हुआ तथा इसका नाम ‘नौजवान भारत सभा’ ही रखा गया तथा इसका केन्द्र अमृतसर बनाया गया। अमर क्रांतिकारियों के बारे में आम मनुष्य की वैचारिक टिप्पणी का कोई अर्थ नहीं है। उनके उज्ज्वल चरित्रों को बस याद किया जा सकता है कि ऐसे मानव भी इस दुनिया में हुए हैं, जिनके आचरण किंवदंति हैं।

उन्होंने कहा कि भगतसिंह ने अपने अति संक्षिप्त जीवन में वैचारिक क्रांति की जो मशाल जलाई, उनके बाद अब किसी के लिए संभव न होगी। आदमी को मारा जा सकता है उसके विचार को नहीं। बड़े साम्राज्यों का पतन हो जाता है लेकिन विचार हमेशा जीवित रहते हैं और बहरे हो चुके लोगों को सुनाने के लिए ऊंची आवाज जरूरी है। शहीद सुखदेव जी जैसे महान क्रान्तिकारियों की आवश्यकता है जो देश के युवाओं के लिए देश प्रेम व देश सेवा की प्रेरणा देते रहते है। खिराज-ए-अकीदत पेशगी कार्यक्रम मे माल्यार्पण व पुष्प अर्पित करने वालो मे रमीज़ राजा, सैय्यद समीर, शाहनवाज खान, कपिल शर्मा, विनायक खन्ना, साजिद चौधरी, शाहरुख सैफी, साबिर सैफी, नौमान सैफी, महराज, नासिर चौधरी, राजीव बत्रा, वसीम कुरैशी, फैसल, शाकिर, वाहिद, मोमिन, जाकिर मलिक, नासिर चौधरी, शादाब चौधरी, समीर सलमानी, अंकुश शर्मा, साजिद अहमद, शौकत अली, शकील सैफी, सब्बीर सैफी, हनीफ मलिक, इनायत अली, सब्बीर, शौकीन, जाहिद चौधरी, साजिद, शदाब चौधरी, आकरम कुरैशी, मुस्तफ़ा कुरैशी, सोनू, आदि काफी लोग उपस्थित रहे ।

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