भ्रामक विज्ञापन जारी करने पर होगी कड़ी कार्यवाही
ब्हराइच 18 मई। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. रंजन वर्मा ने बताया कि आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा 18 अप्रैल 2024 एवं निदेशक आयुर्वेद सेवायें उ.प्र. लखनऊ द्वारा फार्मेसी निर्माताओं के लिए जारी की गयी एडवाइजरी के अनुसार उत्पादों के विज्ञापन में यह उल्लेख करना है कि यह दवा या उत्पाद आयुष मंत्रालय द्वारा अनुमोदित या प्रमाणित है, गलत है। इसी प्रकार उत्पाद पर हरा लोगो प्रदर्शित करना और 100 प्रतिशत का उल्लेख करना भी गलत है। उत्पाद को 100 प्रतिशत गारन्टी उपचार व स्थायी इलाज का दावा भी नहीं किया जा सकता है। उत्पाद से उपचार के स्थाई इलाज का दावा करना भी गलत है।
डॉ. वर्मा ने जनपद बहराइच एवं श्रावस्ती के समस्त फार्मेसी निर्माताओं को निर्देशित किया है कि आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा विज्ञापन के सम्बन्ध में जारी की गई एडवाइजरी का उल्लघंन करने पर सम्बन्धित के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। राज्य एसएलए द्वारा जारी किया गया लाइसेंस औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 और उसके नियमों के तहत निर्धारित शर्तों की पूर्ति के आधार पर निर्माता को विशेष दवा/उत्पाद के ब्रिकी की अनुमति है और औषधि एवं प्रसाधन सामिग्री नियम 1945 के नियम 161,161 ए और 161 बी आयुर्वेद सिद्ध और की-लेबिलिग के लिए विशेष प्रावधान है। अगर किसी फार्मेसी निर्माता द्वारा भ्रामक प्रचार किया जाता है तो उस पर विधिक कार्यवाही की जायेगी। डॉ. वर्मा ने समस्त फार्मेसी निर्माताओं को निर्देशित किया है कि औषधियों के लेबल, प्रिंट अथवा इलैक्टोनिक मीडिया में लाइसेंस प्राप्त आयुष उत्पादों के विज्ञापन में आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी एडवाईज़री का अनुपालन सुनिश्चित करें।
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