जिम्मेदार अधिकारी भी लपेटे में
रिपोर्ट : डी. पी.श्रीवास्तव
बहराइच।अधिकारियों की मिली भगत से उत्तर प्रदेश के साहसिक व तेज तर्रार मुख्यमंत्री की आंखों में बिल्डरों द्वारा खुलेआम धूल झोंककर राजस्व की भारी क्षति पहुंचाई जा रही है। जबकि आला अधिकारी संविधान में नामित नियम और कानून को अपनी जेब में रखकर अतिरिक्त आय का साधन तलाशते नजर आते हैं।अगर नहीं तो जनपद में इतने बड़े-बड़े घोटाले व भ्रष्टाचार आखिर किसके शह पर किए जा रहे हैं?समय समय पर सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा तोड़ फोड़ के नाम पर कई बिल्डिंग मालिकों को नोटिस भेजी तो जाती है लेकिन कार्यवाही क्यूं नहीं की जाती?क्या इसे डराने धमकाने व अतिरिक्त आय का एक सरल साधन माना जाय?इन्हीं अधिकारियों को निर्माण के समय सब कुछ ठीक क्यूं नजर आता?आखिर किसके दबाव में अधिकारी मौन रहते हैं?इन्हीं सब बातों को लेकर जब एक व्यक्ति द्वारा बड़े स्तर पर मामले को उठाया गया तो प्रशासनिक अधिकारियों के बीच हड़कंप मच गया।चूंकि मामला सरकार के राजस्व की हानि से जुड़ा था इसलिए शासन में भी गूंज उठा।सूत्रों की मानें तो प्रशासनिक अधिकारियों की संलिप्तता से बिल्डरों द्वारा किए जा रहे इतने बड़े-बड़े हो रहे खेल को देखते हुए मामले में तत्काल शासन स्तर से जांच व कार्रवाई के आदेश दे दिए गए।
आपको बताते चलें कि मेसर्स रॉयल कांट्रक्शन,पंजीकृत कार्यालय लखनऊ रोड स्थित के डी सी,प्रोपराइटर अजमल सिद्दीकी पुत्र मोहम्मद शीश सिद्दीकी,निवासी मोहल्ला काजीपुरा द्वारा फर्जी स्टांप पर भूखंड का द्वितीय पक्ष बन कई मौलिक अधिकारों का दिखावा करते हुवे बिल्डिंग का निर्माण करवाते हुवे राज्य सरकार को लाखों रुपए के राजस्व की चोरी करने का पर्दाफाश हुआ है।जिसकी शिकायत होने पर प्रशासन द्वारा शासन से अनुमति लेकर विधिक कार्रवाई के सापेक्ष में मेसर्स रॉयल कंट्रक्शन पर स्टांप चोरी के तहत प्रशासनिक स्तर पर मुकदमा दर्ज कर रुपया छह लाख,चालीस हजार,छह सौ नब्बे रुपयों का न सिर्फ जुर्माना ठोंका गया बल्कि ब्याज सहित दस लाख पचास हजार रुपए राजस्व के रूप में अदा करने की बात भी सामने आई है।जो की अब जिलाधिकारी की अदालत में लंबित बताई जा रही है।अब ऐसे में सवाल यह भी उठने लगा है कि जब एक बिल्डिंग से जिले स्तर पर राजस्व की इतनी बड़ी हानि हुई है तो उक्त बिल्डर व कई अन्य बिल्डरों के माध्यम से जनपद में करवाए गए निर्माण से कितने बड़े राजस्व की हानि हुई होगी इसका स्वयं में अनुमान लगाया जा सकता है।कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि इतने बड़े राजस्व की हानि बगैर प्रशासनिक अधिकारियों के मिली भगत के संभव हो ही नहीं सकता।जबकि मामले में अभी जी एस टी व टैक्स चोरी को दर्शाया ही नहीं गया है। ऐसे में बड़ा सवाल यह भी उठता है कि योगी सरकार में अतिरिक्त आय के लोभी प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ सरकार द्वारा कौन से कठोर कदम उठाए जाएंगे?यह भी देखने का विषय होगा।लेकिन यह तो सिर्फ एक जनपद की बात है,कमोबेश यही हाल पूरे उत्तर प्रदेश में भी चल रहा होगा? ऐसे में राजस्व के हो रहे अरबों के नुकसान से भी इनकार नहीं किया जा सकता।और यदि इसमें जीएसटी और इनकम टैक्स की चोरी को भी जोड़ दिया जाए तो राजस्व को हो रही यह भारी क्षति कहां तक पहुंच सकती है सहज ही समझा जा सकता है।फिलहाल बिल्डर अजमल द्वारा किए गए उक्त फ्रॉड से सभी बिल्डरों में हड़कंप मच गया है।सरकार को होने वाले आगामी लाभ के लिए यदि आवाज उठाने वाले व्यक्ति को धमकी देने के बजाय प्रशासन या शासन स्तर पर सम्मानित किया जाए तो शायद गलत नहीं होगा।फिर भी उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की निष्पक्ष और बेदाग छवि को परोक्ष रूप से दाग लगाने को आतुर अधिकारी आखिर किसके संरक्षण में ऐसा दुस्साहस कर रहे हैं इसकी भी जांच करवाई जानी चाहिए।जबकि लगाम बहुत पहले ही लग जाना चाहिए।अब लोगों के मन में बार बार यही सवाल उठ रहा है कि क्या मामले में उक्त अधिकारियों की भी संलिप्तता की जांच करवाई जाएगी?मामला सामने आने पर क्या उन्हें भी सरकार द्वारा दंडित किया जाएगा?कुछ ऐसे ही अभी और सवाल आने वाले कल पर निर्भर है।
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