Breaking News

आवश्यकता है “बेखौफ खबर” हिन्दी वेब न्यूज़ चैनल को रिपोटर्स और विज्ञापन प्रतिनिधियों की इच्छुक व्यक्ति जुड़ने के लिए सम्पर्क करे –Email : [email protected] , [email protected] whatsapp : 9451304748 * निःशुल्क ज्वाइनिंग शुरू * १- आपको मिलेगा खबरों को तुरंत लाइव करने के लिए user id /password * २- आपकी बेस्ट रिपोर्ट पर मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ३- आपकी रिपोर्ट पर दर्शक हिट्स के अनुसार भी मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ४- आपकी रिपोर्ट पर होगा आपका फोटो और नाम *५- विज्ञापन पर मिलेगा 50 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि *जल्द ही आपकी टेलीविजन स्क्रीन पर होंगी हमारी टीम की “स्पेशल रिपोर्ट”

Monday, October 7, 2024 2:14:02 PM

वीडियो देखें

साहित्यकार भारतेंदु की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दी श्रद्धांजलि, 174 वीं जयंती पर किया याद 

साहित्यकार भारतेंदु की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दी श्रद्धांजलि, 174 वीं जयंती पर किया याद 

अंधाधुंध मच्यो सब देसा, मानहुं राजा रहत विदेसा

 

उनकी जलाई नव जागरण की मशाल को जन जन तक ले जाने की अपील

कोटा। आधुनिक हिंदी और भारतीय नव जागरण के प्रवर्तक भारतेन्दु हरिश्चंद्र के 174 वें जन्मदिन पर कोटा के जन पक्षधर कवि एवं लेखक उनके लाडपुरा स्थित स्मारक पर एकत्रित हुए और उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनकी युग परिवर्तनकारी साहित्यिक, सामाजिक और सांस्कृतिक भूमिका को याद किया। विकल्प जन सांस्कृतिक मंच और जनवादी लेखक संघ की ओर से आयोजित इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में भारतेन्दु हरिश्चंद्र द्वारा प्रज्वलित नव जागरण की मशाल को पुनः प्रज्वलित कर वर्तमान समय के सांस्कृतिक संकट को दूर करने के लिए गांवों और गलियारों तक साहित्य को ले जाने की मुहिम छेड़ने की अपील की गई। साहित्यकार महेंद्र नेह तथा नागेन्द्र कुमावत ने भारतेंदु का जीवन परिचय देते हुए कहा कि उन्होंने हिंदी के अतिरिक्त बांगला, पंजाबी व अनेक स्थानीय भाषाओं में रचनाएं कीं। नाट्यकर्मी नारायण शर्मा ने कहा कि उनके प्रसिद्ध नाटक अंधेर नगरी की पंक्तियां अंधाधुंध मच्यो सब देसा, मानहुं राजा रहत विदेसा आज भी प्रासंगिक है। प्रो. संजय चावला ने शिक्षा तथा साहित्य रचना में निज भाषा के महत्व को रेखांकित किया। जनकवि हंसराज चौधरी ने कहा कि भारतेंदु ने देश की गरीबी, पराधीनता, शासकों के अमानवीय शोषण के चित्रण को ही अपने साहित्य का लक्ष्य बनाया। कार्यक्रम में सत्यनारायण पंचाल, शब्बीर कुमार ने भी अपने विचार रखे।

व्हाट्सएप पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *