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Friday, May 16, 2025 9:03:56 AM

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कविता मनुष्यता की श्रेष्ठ कृति – विष्णु नागर

कविता मनुष्यता की श्रेष्ठ कृति – विष्णु नागर

रिपोर्ट : विवेक निराला

 

इलाहाबाद / 15 अक्टूबर 2024 ‘निराला सम्मान से सम्मानित होकर मैं और अधिक जिम्मेदारी महसूस कर रहा हूँ। निराला के परिवार से सम्मान पाना मेरे लिए ही नहीं, किसी भी रचनाकार के लिए गौरव का विषय होगा। निराला की परंपरा बहुत विस्तीर्ण और व्यापक है, उनके सरोकार बहुत मानवीय हैं। उन्हें किसी छोरी हद में बांधना ठीक नहीं है। हिंदी का हर कवि जीवन- दृष्टि निराला से सीखता है, मैंने भी पाया है। कविका मनुष्यता को सर्वश्रेष्ठ सर्जना है। हर कवि अपनी कविता के माध्यम से इसी मनुष्यता को बचाने का संघर्ष करता है।’ उक्त किया उद्‌गार हिंदी के वरिष्ठ कवि/कथाकार विष्णु नागर ने आज इलाहाबाद में ‘निराला सम्मान’ ग्रहण करते हुए व्यक्त किया। यह सम्मान ‘निराला के निमित’ संस्था की ओर से दिया गया। यह सम्मान व महाकार्य सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की पुण्यतिथि पर दिया जाता है। विष्णु नागर इस सम्मान से सम्मानित होने वाले चौथे साहित्यकार हैं।

सेंट जोसेफ कॉलेज के सभागार- हॉगन हाल में संपन्न हुए इस समारोह का आरंभ महाकवि के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि के साथ हुआ। विष्णु नागर के स्चनाकर्म का परिचय कवयित्री संध्या नवोदिता ने दिया। उन्होंने मानपत्र का वाचन भी किया। मानपत्र, शाल, गुलदस्ता एवं निराला का चित्र भेंटकर कवि विष्णु नागर का सम्मान दिया गया।

विष्णु नागर के रचनाकर्म एवं उनके महत्व का रेखांकन करते हुए कवि-आलोचक बसंत त्रिपाठी ने कहा कि विष्णु जी एक आत्म- सजग, लेखकीय दायित्व के साथ-साथ नागरिक कर्म के प्रति सजग रचनाकार हैं। साठोत्तरी पीढ़ी के बाद समकालीन कविता की पहली पीढ़ी के वे सबसे अलग दिखने वाले रचनाकार हैं। वे इम में अधिक कहने की समता वाले रचनाकार है। उनकी कविता केवल स्मृति की नहीं, जीवन की कविता है। व्यंग्य उनके कविता के केंद्र में है। विट, व्यंग और विडम्बना के वे मास्टर-पोएट है।

कवि हरीशचंद पाण्डे ने अपनी बधाई और शुभकामनाएँ देते हुए विष्णु नागर की एक चर्चित कविता का पाठ किया। कवि विष्णु नागर ने भी अपनी चर्चित कविताओं का पाठ किया।

समारोह का अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए आलोचक प्रणय कृष्ण ने विष्णु नागर को लोकतंत्र के विरूप और विद्रूप को गहरी वैचारिक पक्षधरता के साथ उजागर करने वाले कवि हैं। उनकी कविताएँ हमारे समझे समय के विजडम की कविताएँ हैं। अनुभव के साथ वे विवेक, विचारधारा और पक्षधरता उनके काव्य के अंतर्निहित मूल्य हैं। समारोह का संचालन सूर्य नारायण और धन्यवाद ज्ञापन कनि विनेक निराला ने किया।

समारोह में रमेश ग्रोवर, हेरंब चतुर्वेदी, श्रीप्रकाश मिश्र, अनीता गोवेश, प्रियदर्शन मालवीय, विभु गुप्त, आनंद मालवीय, प्रकर्ष मालवीय, डॉ. मनोज सिंह, अविनाश मिश्र, मनोज कुमार पाण्डेय, सीमा आजाद, पद्‌मा सिंह, उत्पला विश्वविजय, श्री रंग पाण्डेय, अरिंदम घोष अरविंद बिंदु, प्रो० कुमार वीरेंद्र, डॉ. संतोष, सिंह, डा० गाजुला राजू, डॉ. वीरेंद्र मीणा, डॉ. शिव कुमार यादव, डॉमुकेश यादव, कमल चौधरी, डॉ. प्रदीप सिंह सहित भारी संख्या में शिक्षक, छात्र और शोध छात्र उपस्थित थे।

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