कोटा कलेक्ट्रेट पर किसानों-मज़दूरों का धरना -राष्ट्रपति के नाम सौंपा 10 सूत्रीय ज्ञापन
कोटा। संयुक्त किसान मोर्चा एवं ट्रेड यूनियनों की समन्वय समिति के आह्वान पर मंगलवार को कोटा कलक्ट्रेट पर विभिन्न समस्याओं को लेकर एक दिवसीय धरना दिया गया। साथ ही अतिरिक्त जिला कलक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू के नाम 10 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा गया।
विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि मण्डल में दुलीचंद बोरदा, नंदलाल धाकड़, फ़तहचंद बागला, बीपी मीणा, महेंद्र पाण्डे, उमाशंकर, नन्दकिशोर शर्मा, शब्बीर भाई शामिल थे। धरने में महेंद्र नेह, हंसराज चौधरी, राकेश गालव, रविंद्रसिंह, नारायण शर्मा आदि वक्ताओं ने भी विचार व्यक्त किए। किसान नेता दुलीचंद बोरदा ने बताया कि ज्ञापन के माध्यम से केंद्र सरकार के किसानों व मज़दूरों के ख़िलाफ़ उठाए जा रहे कदमों की ओर राष्ट्रपति का ध्यान आकर्षित किया गया।
इन मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन
किसान नेता दुलीचंद बोरदा ने बताया कि ज्ञापन में सरकार द्वारा किए गए वादे के अनुरूप स्वामीनाथन फ़ार्मूले के आधार पर सभी फसलों की ख़रीद का क़ानून बनाने, किसानों का क़र्ज माफ़ करने, मज़दूर विरोधी श्रमिक कोड वापस लेने, पेट्रोल- डीजल की क़ीमतें कम करने, निजीकरण पर रोक लगाने, बीमा, बैंक, रेलवे, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सार्वजनिक संस्थानों का निजीकरण करना बंद करने, सरकारी क्षेत्र में रिक्त पदों पर भर्ती करने, कर्मचारियों को OPS लागू करने, मनमाने तरीक़े से भूमि अधिग्रहण और जंगलात भूमि अड़ानी व अन्य कंपनियों को देना बंद करने, स्मार्ट मीटर लगाना बंद करने, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पर रोक लगाने, महिलाओं, दलितों व आदिवासियों पर बढ़ते हमलों पर रोक लगाने आदि मांगें रखी गईं।
जनविरोधी नीतियों की तीखी आलोचना
सभी वक्ताओं ने केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों की तीखी आलोचना करने के साथ ही राज्य में चल रही पर्ची सरकार की थोथी घोषणाओं पर भी तीखा तंज कसा। किसान नेताओं ने कहा कि पहले डीएपी खाद और अब यूरिया की कालाबाज़ारी तथा सिंचाई के लिए टेल क्षेत्र का तरसता किसान राज्य सरकार व ज़िला प्रशासन की अकर्मण्यता का ज्वलंत उदाहरण है।
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments