जयपुर के श्रम विभाग कार्यालय में न्यूनतम मजदूरी सलाहकार मंडल की बैठक संपन्न
जयपुर के श्रम विभाग कार्यालय में श्रम सचिव की अध्यक्षता में न्यूनतम मजदूरी सलाहकार मंडल की बैठक संपन्न हुई।
सीटू महामंत्री मुरारीलाल बैरवा ने बताया कि जयपुर स्थित श्रम आयुक्त कार्यालय में श्रम सचिव की अध्यक्षता में न्यूनतम मजदूरी सलाहकार मंडल की बैठक आयोजित की गई। जिसमें सभी केंद्रीय श्रम संगठनों, नियोक्ताओं के प्रतिनिधियों और सरकारी विभागों के कमेटी के लिए चुने गए प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सभी केंद्रीय श्रम संगठनों ने डेढ़ साल पहले जारी इंटेंशन पर आपत्ति दर्ज करवाई गई। कहा कि 1 जनवरी 2023 से महंगाई भत्ते में हुई वृद्धि के आधार पर बढ़ाई गई राशि 26 रुपए जोड़कर नई मजदूरी की दरों को जारी करने का इंटेंशन जारी किया गया था। जिसे न्यूनतम मजदूरी रिविजन नहीं कहा जा सकता।
सीटू प्रदेश अध्यक्ष भंवर सिंह शेखावत ने कहा कि सरकार द्वारा महंगाई सूचकांक के आधार पर बढ़ाई गई न्यूनतम मजदूरी को न्यूनतम मजदूरी रिविजन नहीं कहा जा सकता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट और 1957 के श्रम सम्मेलन में लिए गए निर्णय डॉक्टर आक्राईड के फार्मूले के अनुसार न्यूनतम वेतन निर्धारण करने के लिए एक उप समिति का गठन श्रम आयुक्त की अध्यक्षता में किया जाए। त्रिपाठी कमेटी द्वारा जो महंगाई सूचकांक आते हैं, उसकी राशि अभी जो एक रुपए कर रखी है उसे कम से कम 5 से गुणा करके और महंगाई भत्ते को जोड़कर नई न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाना चाहिए। साथ ही यह जो इंटेंशन जारी किया जाता है, इसे बंद किया जाना चाहिए। क्योंकि केंद्र सरकार हर 6 माह में महंगाई भत्ते में हुई वृद्धि के आधार पर महंगाई भत्ता जोड़कर न्यूनतम मजदूरी बिना किसी इंटेंशन के बढ़ा देती है। जिसमें कोई इंटेंशन की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए राजस्थान में भी यह प्रथा बंद की जानी चाहिए और केंद्र की तरह महंगाई भत्ते को हर 6 माह में जोड़कर न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि की जानी चाहिए। जिस तरह से दिल्ली में न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने की प्रक्रिया की गई है, इसी तरह राजस्थान में भी यह प्रक्रिया की जानी चाहिए। अभी राजस्थान पूरे देश में नीचे से तीसरे नंबर पर न्यूनतम मजदूरी रखता है। वहीं पिछड़े हुए राज्यों से भी बहुत पिछड़ी हुई मजदूरी राजस्थान में वर्तमान में है। 2 साल बाद जो आज यह 26 रुपए बढ़ाने की बात सरकार कर रही है, इसके खिलाफ भी मालिक लोग हाईकोर्ट में जाकर स्टे लेने की कार्रवाई करते हैं। वहां पर श्रम विभाग द्वारा कोई कैविएट भी नहीं लगाई जाती। जिसके कारण पिछली मजदूरी मजदूरों को मिलती नहीं और 2 साल की यह वृद्धि करोड़ों रुपए में होती है, जिसका आकलन होता है। वह मालिक लोग खा जाते हैं। इस तरह से एक षड्यंत्र के तहत मजदूरों का करोड़ों रुपए का नुकसान किया जाता है। सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि जब से मजदूरी की घोषणा की है, तब से मजदूर को वह मजदूरी मिलनी चाहिए। 1 जनवरी 2023 से 26 रुपए बढ़ाने की बात सरकार कर रही है जो बहुत ही कम है। सरकार न्यूनतम मजदूरी जो वर्तमान में 259 रुपए है में 26 रुपए और जोड़कर यह मजदूरी 285 रुपए प्रतिदिन करना चाहती है। वह भी 26 दिन की मिलेगी। इसे 30 दिन किया जाना चाहिए। महामंत्री मुरारीलाल बैरवा इटावा ने बताया कि सीटू की ओर से इस मीटिंग में प्रदेश अध्यक्ष कामरेड भंवर सिंह शेखावत, एटक की ओर से कामरेड कुणाल रावत, एचएमएस की ओर से कामरेड मुकेश माथुर, इंटक की ओर से जगदीश राज श्रीमाली, आरसीटू की ओर से कामरेड रामपाल सैनी और कमेटी के अन्य संगठनों और श्रम विभाग के अधिकारियों और नियोक्ताओं के प्रतिनिधियों, पीडब्ल्यूडी व अन्य विभागीय अधिकारियों ने भाग लिया। सरकार ने अभी उप समिति बनाने पर निर्णय करने की बात कही है। साथ ही 2 साल का जो महंगाई भत्ता बढ़ा हुआ अभी बकाया है, उसके आधार पर न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने का आश्वासन दिया है। इसके अलावा श्रम संगठनों द्वारा दिए गए संयुक्त सुझावों पर भी सरकार विचार करेगी और हाई कोर्ट में भी कैविएट लगाएगी। जिससे कोई इस आदेश के खिलाफ स्टे लेने की कार्रवाई करे तो पहले सरकार को सुना जाए।
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