रिपोर्ट : विनय रस्तोगी
शबीना मस्जिद में तकमील ए कुरआन के अवसर पर सभा का आयोजन
बहराइच/शहर के मोहल्ला सालारगंज की शबीना मस्जिद में पवित्र क़ुरआन के तकमील के समापन के अवसर पर एक बैठक हुई, जिसमें मदरसा सुल्तानुल उलूम मीरपुर कस्बा व मदरसा आमिना लिल्बनात मोहल्ला सालारगंज बहराइच के संस्थापक एवं प्रबंधक मौलाना सिराज अहमद मदनी ने संबोधित करते हुए कहा कि हाफ़िज़ ए कुरआन जन्नतियों के माॅनीटर होंगे,
उन्होंने कहा कि हदीस का अर्थ यह है कि “हाफ़िज़ ए कुरआन इस्लाम के ज्ञान का वाहक है, जिसने हाफ़िज़ ए कुरआन का सम्मान किया अल्लाह उसका सम्मान करेगा।” कुरआन ए करीम को सीखने और सिखाने वाले के अंदर दो गुण पाए जाते हैं एक यह है कि वह स्वयं पवित्र क़ुरआन से लाभ प्राप्त करता है, फिर वह ईमानदारी के साथ दूसरों को लाभ वितरित करता है, इसलिए उसे बेहतर और उच्च घोषित किया गया है। हज़रत अली (रजि़यल्लाहू अन्हू) कहते हैं कि अल्लाह के रसूल हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: जिन्होंने पवित्र कुरान को पढ़ा और उसे याद किया और उसके हलाल और हराम को समझा। अल्लाह तआला उसे जन्नत में दाख़िल करेगा और उसके घरवालों में से उन दस लोगों की सिफ़ारिश कुबूल करेगा जिनके लिए जहन्नुम वाजिब हो गयी होगी।
मौलाना सिराज मदनी ने कहा कि रमज़ान में तरावीह की नमाज़ में एक क़ुरआन पढ़ना या सुनना मुस्तहब है उन्होंने कहा कि कुरआन पाक पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के पास 23 सालों में नाजि़ल किया गया और शब ए क़द्र में पूरा क़ुरान नाज़िल हुआ
मौलाना सिराज मदनी ने कहा कि अल्लाह तआला ने पवित्र क़ुरआन की रक्षा की जिम्मेदारी स्वंय ले रखी है और इस पवित्र क़ुरआन का एक बिंदु भी कयामत के दिन तक मिटाया नहीं जा सकता और अल्लाह ने हाफिज़ ए कुरआन को इसकी रक्षा का साधन बनाया है। कुरआन की हिफाज़त का ज़रिया अल्लाह पाक ने हाफि़जों को बनाया है जोकि पवित्र क़ुरआन को अपने सीनों में महफूज़ किए हुए हैं, बहुत से लोगों ने पवित्र क़ुरआन को मिटाने की कोशिश की, लेकिन वह खुद ही मिट गए, पवित्र कुरान दुनिया के अंत तक रहेगा।
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