माकमा ने महंगाई व बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ कोटा कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर दिया ज्ञापन
कोटा। लोकलुभावन वादे करके सत्ता में आई बीजेपी सरकार से मात्र 7-8 माह में ही आमजन का मोहभंग हो चुका है। लोगों को राहत देने के बजाय बिजली के एक अगस्त से रेट बढ़ाने और जलदाय विभाग को निजी हाथों में सौंपने, मंहगाई, बेरोजगारी जैसी देश-व्यापी समस्याओं से लोगों की कमर टूट गई है। इन सभी समस्याओं से त्रस्त आमजन में आक्रोश है। ये आक्रोश अब प्रदर्शन की शक्ल में सड़कों पर फूट रहा है।
बुधवार को भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने ज़िला सचिव एवं किसान नेता दुलीचंद बोरदा के नेतृत्व में मज़दूर-किसान, कच्ची बस्ती निवासी दर्जनों महिलाओं के साथ सर्किट हाउस से कलेक्ट्रेट तक रैली निकालकर गेट पर ज़ोरदार प्रदर्शन किया। कलेक्ट्रेट गेट को जाम कर सभा आयोजित की गई। जिसको दुलीचंद बोरदा, जेके श्रमिकों के नेता हबीब ख़ान, माकपा के शहर सचिव कामरेड उमाशंकर, किसान नेता हंसराज चौधरी, महिला समिति ज़िला अध्यक्ष रजनी शर्मा ने संबोधित किया। राज्य-व्यापी समस्याओं के साथ कोटा शहर की समस्याओं पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। रैली में सीटू ज़िला अध्यक्ष राकेश गालव, रवींद्र सिंह, नागेंद्र कुमावत, कालीचरण, आदित्य देव, लटूरलाल, गोपाल शर्मा, योगेश चन्द्र, बद्रीलाल सेन, चतुर्भुज पहाड़िया, पुष्पा यादव आदि ने प्रमुख रूप से शिरकत की।
माकपा के राज्य व्यापी संघर्ष के आह्वान पर कोटा में हुए प्रदर्शन एवं सभा के बाद राज्य के मुख्यमंत्री के नाम 19 सूत्रीय मांग पत्र कोटा कलक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी को सौंपा। ज्ञापन में बिजली पानी के हाल ही बढ़ाए शुल्क और निजीकरण के कदम को वापस लेने की मांग रखी गई। साथ ही प्रधानमंत्री द्वारा चुनाव के दौरान किए वादे को याद दिलाते हुए डीजल व पेट्रोल पर लगाए वेट को कम कर इनके दाम पड़ौसी राज्य हरियाणा के बराबर करने की मांग की गई।
ये हैं प्रमुख मांगें
माकपा के ज़िला सचिव दुलीचंद बोरदा ने बताया कि ज्ञापन में प्रमुख रूप से जेके/अराफात कारख़ाने के हज़ारों श्रमिकों के बकाया देने और इस ज़मीन पर नए उद्योग खोल कर हज़ारों युवाओं को रोज़गार देने का मुद्दा उठाया। भामाशाह मंडी का विस्तार करने, आंवली-रोझडी में पेयजल, सड़क व बिजली की व्यवस्था करने, निर्माण श्रमिकों को शुभशक्ति, छात्रवृत्ति व अन्य सुविधाएं देने, ज़िले में हज़ारों की संख्या में विभिन्न संस्थाओं में ठेके व संविदा पर कार्यरत श्रमिकों को नियमित कर कम से कम 26 हजार रुपए मासिक देने, आदिवादियों को पट्टे देने, ज़मीन नीलामी पर रोक लगाने एवं सोयाबीन, उड़द व मक्का की एमएसपी पर ख़रीद करने की पक्की व्यवस्था करने आदि मांगें रखी गईं।
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