बहराइच 04 मार्च। वन्यजीवों के संरक्षण में सहभागिता का सन्देश जन-जन तक पहुॅचायें जाने के उद्देश्य से विश्व वन्य जीव दिवस के अवसर पर कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग एवं विश्व प्रकृति निधि-भारत (डब्ल्यू.डब्ल्यू.एफ.) के संयुक्त तत्वावधान में बुद्धवार को वन विश्राम भवन निशानगाढ़ा से रमपुरवा तक जन-जागरूकता साईकिल मार्च एवं लाॅग रूट पेट्रोलिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
डी.एफ.ओ. कतर्नियाघाट यशवन्त ने वन विश्राम भवन निशानगाढ़ा से हरी झण्डी दिखाकर 21 वनकर्मियों के जागरूकता साईकिल मार्च को रवाना किया। जबकि वन क्षेत्राधिकारी कतर्नियाघाट राम कुमार ने वन विश्राम भवन कतर्नियाघाट से 11 वनकर्मियों के जागरूकता साईकिल मार्च को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। जागरूकता साईकिल मार्च अपने-अपने गन्तव्य से रवाना होकर भारत नेपाल सीमा के निकट स्थित वन विश्राम भवन रमपुरवा पहुॅचें। जहाॅ पर वन्यजीवों के संरक्षण विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए डी.एफ.ओ. कतर्नियाघाट यशवन्त ने बताया कि हिमालय की तराई में अवस्थित घने वनों, कल-कल, छल-छल करती अथाह जलराशि से पूरित नदियों, सुन्दर मनोहारी वन्य जीवों, पशु पक्षियों के कलरव से गुंजित वन प्रभाग लगभग 550 वर्ग कि.मी. भू-भाग पर फैला हुआ है। अनेकों दुर्लभ वन्यजीवों बाघ, हाथी, गैंडा, घड़ियाल एवं गैंगेटिक डॉलफिन का प्राकृतिक आवास होने, सागौन-साल जैसे अनेकों दुर्लभ प्रजातियों के पौधों, विशाल घास के मैदानों तथा अथाह जलराशि से पूरित नदियाॅ एवं नम भूमि के आकार्षण में देशी एवं विदेशी पर्यटक खिचे चले आते हैं, पर्यटकों की संख्या में निरन्तर वृद्धि देखने को मिल रही है।
डी.एफ.ओ. ने बताया कि विश्व वन्य जीव दिवस के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा ‘‘फारेस्ट एण्ड लाइवलीहुड, सस्टेन पीपुल एण्ड प्लानेट’’ थीम निर्धारित की गयी है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के विषय वस्तु के अनुसार ही इस कार्यक्रम को जनजाति समुदाय के बीच में आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वन प्रभाग के आस-पास रहने वाले समुदायों को पर्यटन से जोड़कर रोज़गार देने हेतु सरकार द्वारा अनेकों कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। जिसका मुख्य उद्देश्य यही है कि मानव एवं वन्यजीव एक साथ रहें और मानव और वन्यतीव संघर्ष की घटनाओं को न्यून से न्यूनतम किया जा सके। उन्होंने बताया कि वन क्षेत्रों के आसपास संचालित ईको विकास समितियों को पुनर्जीवित कर अधिक से अधिक लोगों को रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए विभाग दृढ़ संकल्पित है। अपने सम्बोधन के अन्त में उन्होंने लोगों से अपील की कि अग्निकाल के दौरान सभी लोग जंगल को सुरक्षित रखने में सहयोग प्रदान करें।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डब्लू.डब्लू.एफ. के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी दबीर हसन ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा निर्धारित विषय वस्तु के अनुसार स्थानीय समुदाय को वनों पर आधारित आजीविका से जोड़ना है ताकि वनों और वन्यजीवों पर दबाव कम से कम हो सके। उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण मानव समाज की भलाई इसी में है कि हम जल्द से जल्द वनों, वन्यजीवों एवं प्राकृति के साथ सहअस्तित्व में जीना सीख लें।
संगोष्ठी को सेवानिवृत्त प्रभागीय वनाधिकारी राष्ट्रीय चम्बल वन्यजीव विहार आगरा आनंद कुमार, सीमा सुरक्षा बल के जवान अनिल यादव, क्षेत्रीय वनाधिकारी कतर्नियाघाट रामकुमार व निशानगाढ़ा के दयाशंकर सिंह, रमपुरवा निवासी प्रमोद सहित अन्य वक्ताओं ने सम्बोधित कर वन्यजीवों के संरक्षण की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए लोगों से वन एवं वन्यजीवों के संरक्षण में हर संभव सहयोग प्रदान करने की अपील की।
गोष्ठी का संचालन वन दरोगा मनोज पाठक ने किया। इस अवसर पर वन दारोगा पवन शुक्ला व अनिल कुमार, वन रक्षक आनन्द लाल, रामसुख यादव, राम आशीष व फिरोज आलम, एसएसबी इंस्पेक्टर पारसेकर, सुभाष कुलदीप व विकास सिंह, डब्लूडब्लूएफ के फील्ड सहायक मंसूर अली, ग्रामीण मोलाही, दुलारे, राजू सहित विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राएं, एसएसबी के जवानों एंव वनकर्मी तथा बड़ी संख्या में थारू बाहुल्य ग्राम के स्त्री-पुरूष मौजूद रहे।
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