बहराइच।वर्तमान में जहां सभी पार्टियों के लोगों द्वारा सरकार बनाने को लेकर एक दूसरे पर सबसे अधिक अपराधियों और माफियाओं की सक्रियता की बात को लेकर ललकारा जा रहा है वहीं दूसरी ओर पूरे यूपी में घूम घूम कर अपराध व तांडव मचाने वाले जनपद बहराइच निवासी देवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ गब्बर का नाम आते ही मानो सभी के होंठ सिल जाते हों।
गब्बर सिंह अपराध की दुनिया में एक ऐसा नाम है जिसने अपराध को लेकर न सिर्फ बाहुबली मुख्तार अंसारी को पीछे छोड़ रखा है बल्कि आश्चर्य यह कि आज तक उसे पुलिस भी नहीं पकड़ पाई।और शायद यही कारण है कि अब उसको पकड़ने के लिए गत दिनों उस पर 50,000/_का इनाम घोषित किया गया है।हालांकि चर्चाओं पर गौर करें तो यह धनराशि बढ़कर सवा लाख की बताई जा रही है।फिर भी दूसरों पर वार करने वाले विभिन्न दलों के नेता गब्बर का नाम सामने आते ही खामोश हो जाते।चाहे सत्ता पक्ष के नेता हों या विपक्ष के कोई भी उसके खिलाफ आवाज उठाते जल्दी नही देखा जाता। और ऐसी हालत में भी पूरी जांबाजी दिखाते हुए बहराइच की पुलिस अधीक्षक सुजाता सिंह द्वारा सबूतों के आधार पर जो भी कार्यवाही गब्बर व उसके गुर्गों पर करवाई गई उसकी जितनी भी तारीफ की जाए शायद कम ही होगी।लेकिन बड़े अधिकारियों से प्रशस्ति पत्र वह मेडल पाने की हकदार उक्त महिला आईपीएस को इनाम तो दूर बल्कि उन्हें जिले से बाहर भेजने से लेकर रास्ते में लगे बैनर पोस्टर को फड़वाने का जिम्मेदार बनाने की कोशिश भी की जाती रही है।जिसका ताजा उदाहरण गत दिनों मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर सत्तापक्ष के विधायक व पुलिस अधीक्षक के बीच हुई तकरार के रूप में भी देखा जा सकता है।बताया यह भी जाता है कि एक साधारण परिवार से फैजाबाद डोगरा रेजीमेंट में तैनात अपने पिता की संतान देवेंद्र प्रताप सिंह फैजाबाद आर्मी स्कूल में पढ़ाई के दौरान से ही दबंगई व मारपीट का शौकीन माना जाता रहा है। जिनकी मां का स्वर्गवास बचपन में ही हो गया था। गब्बर के परिवार में उसके बड़े भाई रविंद्र सिंह व एक बहन भी बताई जाती है। बताया यह भी जाता है कि लखनऊ में पढ़ाई के दौरान ही गब्बर वहां अपराध करने के साथ-साथ फैजाबाद में भी अपनी बादशाहत की छाप छोड़ता रहा। लेकिन जब वहां की पुलिस उसे खोजने लगी तो वह फिर लखनऊ में अपराध करना शुरू कर दिया।जिसमें मुख्य रुप से महानगर की बैंक डकैती भी मानी जाती है जिसमें उसके दो साथियों का शाहिद उर्फ नाटू व एक अन्य का एनकाउंटर होना बताया जाता है।और फिर गब्बर के द्वारा इलाहाबाद अब प्रयागराज में अपनी बादशाहत जमाने का भरसक प्रयास किया गया।जिसमें इलाहाबाद के सिविल एरिया में राणा ज्वैलर्स जो उस समय उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी घटना मानी जा रही थी जिसमें लगभग डेढ़ करोड़ का हीरा व सोना लूट लिया गया था।और जब कई जिले की एसटीएफ गब्बर को खोजने लगी तो वह कभी राजेश उर्फ देवेंद्र,कभी महीप उर्फ देवेंद्र आदि नाम बदल बदल कर पुलिस और एसटीएफ को भी चकमा देता रहा।और यही कारण है कि शतरंज के माहिर खिलाड़ी और किसी भी प्रकार के नशा से दूर रहने वाले गब्बर को आज तक हिरासत में नहीं लिया जा सका।लेकिन सन 2000 में फैजाबाद में एक हत्या के मामले में अपना एनकाउंटर होने के डर से वह बुर्का पहनकर अदालत में हाजिर हो गया और लगभग 5_6 वर्षों तक फैजाबाद,लखनऊ,इलाहाबाद, अंबेडकरनगर,सुल्तानपुर आदि जेलों में उसके बंद होने की बात बताई जाती है।जो की बाद में अपने निज निवास जनपद बहराइच के पयागपुर तहसील में रहने लगा और तमाम अपराधों के चक्रव्यूह में फंसे गब्बर द्वारा न सिर्फ जिला पंचायत का चुनाव जीता गया बल्कि चिलवरिया चीनी मिल में दबंगई के बल पर अपने लोगों को ठेका पट्टी भी दिलवाने लगा।गब्बर के अपराध में शामिल व संभागीय परिवहन विभाग के अधिकारियों के संरक्षण में विभाग के बड़े दलाल के रूप में जाने,जाने वाले मनीष जायसवाल गब्बर के सबसे खास साथी के रूप में बताए जाते हैं। गब्बर के तमाम अपराधों में उनकी बड़ी सहभागिता बताई जा रही है।कई मामलों में हाईकोर्ट से मुंह की खाने के बाद गब्बर के साथ-साथ मनीष भी अंडर ग्राउंड होकर अपने स्वतंत्रता की तलाश कर रहे हैं।बताया जाता है कि नगर के बंधन मैरिज लान,बंधन होटल, महादेव तालाब,छोटी बाजार में सिन्हा मार्केट,अस्पताल चौराहे से पानी टंकी रोड पर नर्सरी वाली जमीन,विकास भवन के पीछे कर्बला रोड पर 12 बीघे जमीन,कटी चौराहे से अंदर ऑन रोड 4 बीघे जमीन,स्टेशन रोड मजार के पास डेढ़ बीघे जमीन,लखनऊ रोड पराग डेयरी के सामने 6 बीघे जमीन, हजूर पुर रोड पर 2 बीघे जमीन, कैसरगंज गजाधरपुर माझा में 80 बीघे जमीन,पयागपुर चौराहे से इकौना रोड पर 40 बीघे जमीन,पयागपुर चौराहे से पेट्रोल टंकी के पास 1 बीघा जमीन, लखनऊ गोमती नगर विस्तार में 10,000 स्क्वायर फीट जमीन व लखनऊ में 2 फ्लैटों आदि पर अपने व अपने गुर्गों के नाम पर मालिकाना हक जताते हुए बताया जा रहा है।जिसकी कीमत अरबों में मानी जा रही है। लेकिन वर्तमान में अयोध्या के निवासी दिनेश पाठक व बहराइच की श्रीमती सुधा मातनहेलिया,गुरुप्रीत सिंह व कुछ अन्य के मामलों ने गब्बर व उसके गुर्गों के गले में ऐसा फंदा डाला कि उसकी जंजीर से गब्बर व उसके गुर्गों के बच निकल पाने का रास्ता धुंधला दर धुंधला होता जा रहा है।और ऐसे में श्रीमती मातनहेलिया के अपहरण किए गए पति व आज तक उनके बरामदगी न होने को लेकर उनका यह कहना कि गब्बर को तो पुलिस कब का पकड़ चुकी होती लेकिन सत्ता पक्ष के एक विधायक द्वारा उसका साथ दिया जाना हम लोगों की जीत में एक बड़ी बाधा के रूप में सामने खड़ी है।जो कि मामले में तमाम सवाल पैदा करती नजर आ रही है।और शायद यही कारण है कि गब्बर के रसूख व उसके द्वारा पैदा किए गए दमखम की वजह से ही पुलिस के लंबे लंबे हाथ को देवेंद्र प्रताप सिंह द्वारा लगातार बौना साबित किया जाता रहा है।लेकिन अब उस पर इनाम घोषित होने के बाद से उसकी गिरफ्तारी को लेकर चर्चाओं का दौर लगातार जारी है।
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