नई दिल्ली। प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में हिंदी प्रकाशक राजपाल एंड संज के स्टाल पर प्रसिद्ध कवि-कथाकार कुमार अम्बुज के नये कहानी संग्रह मज़ाक का लोकार्पण हुआ। हिंदी के तीन प्रतिनिधि युवा कथाकारों मनोज कुमार पांडेय, विमल चन्द्र पांडेय और संदीप मील ने इस संग्रह का लोकार्पण किया। कथाकार मनोज ने इस अवसर पर कहा कि हिंदी में कवि-कथाकारों की अत्यंत सम्मानित परंपरा में कुमार अम्बुज का यह संग्रह रखे जाने योग्य है। उन्होंने अम्बुज की कहानियों को अज्ञेय, मुक्तिबोध और रघुवीर सहाय सरीखे कवि-कथाकारों की कहानी परंपरा का नया सोपान बताया। विमल चन्द्र पांडेय ने कहा कि कुमार अम्बुज जिस ढंग से कहानी की रचना करते हैं वह सिनेमेटोग्राफी जैसा है। उनके कथा संसार के रंग अत्यंत गहरे और प्रभावशाली हैं। मील ने कहा कि विचारधारा और कला के सुंदर संयोजन से कुमार अम्बुज की कहानियां निर्मित होती हैं। चर्चा में जयपुर से आए वरिष्ठ लेखक डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने कहा कि एक दिन मन्ना डे जैसी कहानी कोई विरल प्रतिभा ही लिख सकती है। उन्होंने मज़ाक संग्रह में छपी कुछ कहानियों को अपने समय के भयावह यथार्थ का प्रामाणिक अंकन बताया।
इससे पहले प्रकाशक मीरा जौहरी ने राजपाल एंड संज की सवा सौ साल की पुस्तक यात्रा के बारे में बताते हुए कहा कि कुमार अम्बुज जैसे महत्त्वपूर्ण लेखक की कृति को प्रकाशित करना उनके लिए सम्मान की बात है।
चर्चा का संयोजन कर रहे युवा आलोचक पल्लव ने कहा कि अपनी कविताओं की तरह कहानियों में भी भाव सघनता कुमार अम्बुज को विशिष्ट बनाती है। राजपाल एंड संज के सहयोगी चंद्रशेखर चतुर्वेदी ने अंत में सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
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