Breaking News

आवश्यकता है “बेखौफ खबर” हिन्दी वेब न्यूज़ चैनल को रिपोटर्स और विज्ञापन प्रतिनिधियों की इच्छुक व्यक्ति जुड़ने के लिए सम्पर्क करे –Email : [email protected] , [email protected] whatsapp : 9451304748 * निःशुल्क ज्वाइनिंग शुरू * १- आपको मिलेगा खबरों को तुरंत लाइव करने के लिए user id /password * २- आपकी बेस्ट रिपोर्ट पर मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ३- आपकी रिपोर्ट पर दर्शक हिट्स के अनुसार भी मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ४- आपकी रिपोर्ट पर होगा आपका फोटो और नाम *५- विज्ञापन पर मिलेगा 50 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि *जल्द ही आपकी टेलीविजन स्क्रीन पर होंगी हमारी टीम की “स्पेशल रिपोर्ट”

Saturday, April 19, 2025 8:04:53 PM

वीडियो देखें

सर्व समाज जागृत महिला संस्थान, राजसमंद द्वारा समलैंगिक व्यक्तियों के विवाह को विधि मान्यता देने के विरोध में ज्ञापन

सर्व समाज जागृत महिला संस्थान, राजसमंद द्वारा समलैंगिक व्यक्तियों के विवाह को विधि मान्यता देने के विरोध में ज्ञापन

 

राजसमंद। आज संस्थान के माध्यम से समलैंगिक व्यक्तियों के विवाह को विधि मान्यता दिए जाने के प्रयास के विरोध में जिला कलेक्टर के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति, माननीय प्रधानमंत्री, महामहिम राज्यपाल और संविधान पीठ के पांचों जजों को ज्ञापन भिजवाया गया। इस विरोध प्रदर्शन में एडवोकेट वर्षा जी पालीवाल के नेतृत्व में एडवोकेट राजकुमारी ,प्रेम हाड़ा, सीता राजपूत, पवन देवी शर्मा, शांता चोरडिया, मधु चोरडिया, सुमन जोशी, युक्ता पालीवाल एवम् विभिन्न समाज की कई बहनो ने भाग लिया। वर्षा जी पालीवाल ने बताया कि समलैंगिकता को विधि मान्यता दे कर भारतीय संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। समान लेंगीको के विवाह को विधि मान्यता दिए जाने की मांग उनका मौलिक अधिकार ना होकर वैधानिक अधिकार हो सकता है। जो केवल भारत की संसद द्वारा कानून बनाकर ही संरक्षित किया जा सकता है। वैसे भी हर एक व्यक्ति के अधिकार की देखभाल/ संरक्षण विधायिका द्वारा किया जा रहा है और इसीलिए उक्त कथित समुदाय के व्यक्तियों को यह दावा या मांग करने का मौलिक अधिकार भी नहीं है कि उनके विवाह को विशेष विवाह अधिनियम 1954 के अंतर्गत पंजीकृत एवं मान्यता दी जाए। पूरे विश्व में सबसे पुरातन संस्कृति भारतीय संस्कृति है। भारतीय संस्कृति की सबसे महत्वपूर्ण इकाई परिवार व्यवस्था है। भारत में विवाह का सभ्यतागत महत्व है। यहां शताब्दियों से केवल जैविक पुरुष और जैविक महिला के मध्य विवाह को मान्यता दी है। सभी धर्मों में केवल विपरीत लिंग के दो व्यक्तियों के विवाह का उल्लेख मिलता है। वर्तमान दौर में कुछ समाजविरोधी घटकों द्वारा समलैंगिक विवाह को विधिक मान्यता दिलाए जाने और भारतीय संस्कृति पर कुठाराघात करने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। भारत में समलैंगिकता का विषय उठाया जाना ही दुर्भाग्यपूर्ण है। यह हमारे देश और समाज के लिए अभिशाप है। भारत की महान और पुरातन वैवाहिक संस्था के स्वरूप को विकृत करने के किसी भी दुस्साहस का भारतीय समाज द्वारा मुखर विरोध किया जाना चाहिए। इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक संगठनों की भी कई बहने उपस्थित थी।

 

व्हाट्सएप पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *