बहराइच 24 मई। जिला कृषि रक्षा अधिकारी प्रियानन्दा ने बताया कि बीज के अच्छे जमाव व भूमि जनित रोगों से बचाव के लिए बीजशोधन/भूमिशोधन का अधिक महत्व है। बीज सोधन से फसलों को रोगों से सुरक्षा प्रदान कर अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने किसानों को सलह दी है कि आगामी खरीफ फसल में बेहतर उत्पादन के लिए बीजशोधन अवश्य करें। बीज शोधन के अभाव में फसलो में कई फफूंदजनित/जीवाणुजनित रोगो का प्रकोप देखा जाता है। रोगकारक फफॅूदी व जीवाणु बीज से लिपटे रहते है या भूमि में पडे़ रहते हैं। जिससे बीज बोने के बाद फफूॅदी अपने स्वभाव के अनुसार नमी प्राप्त होते ही उगते बीज, अंकुर या पौधों के विभिन्न भागों को संक्रमित करके रोग उत्पन्न कर देते हैं। रोगो से फसलो को बचाने के लिए बीज उपचार/बीजशोधन ही एकमात्र सरल सस्ता व सुरक्षात्मक उपाय है।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि बीजशोधन/भूमिशोधन के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए जिले में 16 मई से 15 जून 2023 तक बीजशोधन अभियान चलाया जा रहा है। प्रियानन्दा ने जिले के कृषकों को सुझाव दिया है कि बीजशोधन के लिए फफूँदीनाशक रसायनो जैसे थीरम 75 प्रति अथवा कार्बण्डाजिम 50 प्रति अथवा कार्बाक्सिन 37.5 प्रति को 2-3 ग्राम रसायन प्रति कि.ग्रा बीज की दर से एवं बायोपेस्टीसाइड जैसे ट्राइकोडर्मा हारजेनियम 4 ग्रा./कि.ग्रा. अथवा सूडोमोनास 10ग्रा./कि.ग्रा बीज की दर से उपचारित कर बुवाई करें।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि धान की फसल में जीवाणुजनित झुलसा रोग लगने पर पत्तियाँ नोक से अथवा किनारे से सूख जाती है, सूखे हुए किनारे अनियमित एवं टेढे-मेढे हो जाते हैं, जिससे बचाव हेतु स्टेप्टोमाइसिन सल्फेट 90 प्रति. एवं टेट्रा साइक्लीन 10 प्रति. की 4 ग्रा. मात्रा 25 कि.ग्रा. बीज की दर से बीजशोधन कर बुवाई करना चाहिए। इसी प्रकार झौका रोग में पत्तियो पर आँख की आकृति के धब्बे बन जाते है जो बीच में राख के रंग के तथा किनारे पर गहरे कत्थई रंग के होते है, इनके अतिरिक्त बालियो डण्ठलो पर काले भूरे धब्बे बन जाते है। झौका रोग से बचाव हेतु किसानों को सुझाव दिया गया है बोआई से पूर्व बीज को तीन ग्राम थीरम अथवा 2 ग्राम कार्बण्डाजिम प्रति. कि.ग्रा. बीज की दर से बीजशोधन करना चाहिए। बीजशोधन हेतु ट्राइकोडर्मा हारजेनियम जनपद की समस्त कृषि रक्षा इकाईयो पर एवं कृषि रक्षा रसायन थीरम, कार्बण्डाजिम, ट्राइकोडर्मा हारजेनियम स्टेप्टोमाइसिन सल्फेट आदि सम्बद्व विकासखण्ड के कृषि रक्षा से सम्बन्धित निजी प्रतिष्ठानो पर पर उपलब्ध है।
कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि बीजशोधन हेतु ट्राईकोडर्मा हारजेनियम जिले की समस्त कृषि रक्षा इकाईयों पर एवं कृषि रक्षा रसायन थीरम, कार्बण्डाजिम, ट्राईकोडर्मा हारजेनियम, स्टेप्टोमाइसिन सल्फेट आदि समस्त विकास खण्ड के कृषि रक्षा से सम्बन्धित निजी प्रतिष्ठानों पर उपलब्ध हैं। प्रियानन्दा ने किसानों को यह भी सलाह दी है कि फसलों में कीट/रोग के लगने की दशा में रोगग्रस्त फसल/पौधे के फोटो के साथ विभागीय पी.सी.एस.आर.एस. मो.नं 9452247111 एवं 9452257111 पर व्हाटसएप अथवा मैसेज के माध्यम से शिकायत कर सकते हैं। सभी किसानों से यह भी अपेक्षा की गयी है कि समस्या लिखते समय अपना पूरा नाम व ग्राम, विकास खण्ड एवं तहसील आदि के नाम सहित पूरा पता भी अवश्य अंकित करें। उन्होंने बताया कि समस्या का समाधान 48 घंटे के भीतर कर दिया जायेगा।
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