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Thursday, May 15, 2025 7:14:00 AM

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अंतरराष्ट्रीय अभिलेख दिवस के अवसर पर केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी कल भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार में हमारी भाषा, हमारी विरासत प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगी

अंतरराष्ट्रीय अभिलेख दिवस के अवसर पर केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी कल भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार में हमारी भाषा, हमारी विरासत प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगी

भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार 9 जून, 2023 को अंतर्राष्ट्रीय अभिलेख दिवस मना रहा है। इस महत्वपूर्ण अवसर पर, आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम) के तहत “हमारी भाषा, हमारी विरासत” नामक एक प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी।

भारत सरकार में संस्कृति राज्य मंत्री सुश्री मीनाक्षी लेखी 9 जून, 2023 को सुबह 11:00 बजे इस प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगी।

इस प्रदर्शनी में अभिलेखीय भंडार के इतिहास से निकाली गई मूल पांडुलिपियों को चुनकर प्रस्तुत किया जाएगा (जैसे भोज वृक्ष-छाल वाली गिलगित पांडुलिपियां, तत्त्वार्थ सूत्र, रामायण और श्रीमद भगवद् गीता व अन्य)। इनमें सरकार की आधिकारिक फाइलें, औपनिवेशिक शासन के तहत प्रतिबंधित साहित्य, प्रतिष्ठित व्यक्तियों की निजी पांडुलिपियां और साथ ही भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार पुस्तकालय में रखी दुर्लभ पुस्तकों के समृद्ध संग्रह से भी चुनी हुई कृतियां उपलब्ध होंगी।

इस प्रदर्शनी में दुनिया की सबसे प्राचीन पांडुलिपियों में से एक – गिलगित पांडुलिपियां भी शामिल की जा रही हैं, जो भारत में सबसे पुराना संरक्षित पांडुलिपि संग्रह है। भोज वृक्ष की छाल के बने पृष्ठों (भोज वृक्ष की छाल की आंतरिक परत के टुकड़ों पर लिखे गए दस्तावेज; भोज वृक्ष की छाल क्षय एवं अपघटन की प्रतिरोध क्षमता के लिए जानी जाती है) में प्रामाणिक (पवित्र) और गैर-प्रामाणिक दोनों तरह के बौद्ध रचना कार्य शामिल हैं, जो संस्कृत, चीनी, कोरियाई, जापानी, मंगोलियाई, माचू तथा तिब्बती धार्मिक-दार्शनिक साहित्य के विकास पर प्रकाश डालते हैं।

आम सहमति के अनुसार, ये सभी ग्रंथ 5वीं-6वीं शताब्दी के बीच लिखे गए थे। गिलगित पाण्डुलिपियों को तीन चरणों में नौपुर गांव (गिलगित क्षेत्र) में खोजा गया था और पहली बार 1931 में पुरातत्वविद् सर ऑरेल स्टीन द्वारा प्रदर्शित किया गया था। इस प्रदर्शनी में देश भर में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं से प्राप्त पुरालेख संबंधी अभिलेखों के विशाल कोष पर भी प्रकाश डाला जा रहा है।

यह प्रदर्शनी एक राष्ट्र के रूप में भारत की भाषाई विविधता की बहुमूल्य विरासत को स्मरण करने का उत्कृष्ट प्रयास है। भारत को असाधारण भाषाई विविधता का वरदान प्राप्त है। एक अनुमान के अनुसार वैश्विक स्तर पर बोली जाने वाली 7,111 भाषाओं में से लगभग 788 भाषाएं अकेले भारत में बोली जाती हैं। इस प्रकार भारत, पापा न्यू गिनी, इंडोनेशिया और नाइजीरिया के साथ, दुनिया के चार सबसे अधिक भाषाई विविधता वाले देशों में से एक है।

आम जनता के देखने के लिए प्रदर्शनी 08 जुलाई, 2023 तक शनिवार, रविवार और राष्ट्रीय अवकाश सहित प्रत्येक दिन सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम 5:00 बजे तक खुली रहेगी।

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