कोटा-बूंदी लोकसभा सीट से कांग्रेस ओम बिरला के खिलाफ उतार सकती है मैदान में
लंबे समय से पार्टी में चल रहे थे उपेक्षित, 2018 में कोटा उत्तर से रह चुके हैं विधायक
कोटा। बीजेपी नेता प्रहलाद गुंजल ने आखिर गुरूवार को कांग्रेस ज्वाइन कर ली। वे कोटा-बूंदी सीट से भाजपा प्रत्याशी ओम बिरला के खिलाफ कांग्रेस के प्रत्याशी बनाए जा सकते हैं। इसी के साथ उनके और भवानी सिंह राजावत सहित कई नेताओं के पार्टी छोड़ने को लेकर चल रहा अटकलों का दौर फिलहाल थम गया है। लेकिन माना जा रहा है गुंजल के साथ कई और नेता अभी बीजेपी छोड़ सकते हैं।
गौरतलब है कि प्रहलाद गुंजल हाड़ौती की राजनीति का बड़ा चेहरा हैं। गुर्जर आंदोलन के दौरान एक समय उस तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया से नाराज होकर पार्टी छोड़ने वाले गुंजल वर्तमान में कट्टर सिंधिया समर्थक रहे हैं। मौजूदा मोदी-शाह की बीजेपी में पुराने और कद्दावर नेताओं को साइड लाइन करने की रणनीति के चलते काफी समय से पार्टी में उपेक्षित चल रहे हैं।
नामांकन के आखिरी दिन जारी हुआ था एमएलए का टिकट
गौरतलब है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने टिकट के लिए उनको काफी इंतजार करवाया था। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के विरोधी खेमे का होने के कारण नाम तय होने के बावजूद उनका टिकट रोके रखा गया। जानकारी करने पर आलाकमान की ओर से पूछा गया कि आप स्पीकर ओम बिरला से क्यों नहीं मिलते हो। उनके यहां क्यों नहीं जाते हो। उसके बाद गुंजल ने दो बार रात में स्पीकर बिरला से बंद कमरे में मुलाकात की थी। उसके बाद उनके नाम का ऐलान किया गया था।
हार के पीछे स्पीकर बिरला
प्रहलाद गुंजल ने हालांकि टिकट तो किसी तरह प्राप्त कर लिया था। लेकिन वो कांग्रेस के सीटिंग एमएलए और कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल से मात्र दो ढाई हजार वोटों से चुनाव हार गए थे। जिसके लिए कहीं न कहीं स्पीकर ओम बिरला को जिम्मेदार माना जा रहा था। उन्होंने खुद भी कैमरे के सामने इस तरफ इशारा किया था।
मौजूदा सांप्रदायिक राजनीति से दूर
प्रहलाद गुंजल ने भाजपा की मौजूदा कट्टर सांप्रदायिक राजनीति से दूरी बना कर रखी। यही कारण है कि मुस्लिम समाज के लोगों में भी उनकी काफी स्वीकार्यता है। विधानसभा के चुनाव में शांति धारीवाल से नाराज मुस्लिम समाज के काफी लोगों ने पार्टी उम्मीदवार के बजाए व्यक्तिगत छवि के चलते उनको वोट दिया था।
स्पीकर बिरला पर साधा निशाना
गुंजल ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हाड़ौती में दो भाई साहब हैं, एक बड़े भाई साहब, एक छोटे भाई साहब। एक तरफ खुद्दारी और एक तरफ खरीदारी।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर भी साधा निशाना
गुंजल ने कहा कि मैं बीजेपी में किसी से जूनियर नहीं हूं। मैं जब पहली बार विधायक था तो आज के मुख्यमंत्री सरपंच बनने की दौड़ में भाग रहे थे। जब मैं दूसरी बार विधायक था तो आज के मुख्यमंत्री पंचायत समिति मेंबर बनने के लिए दौड़ धूप कर रहे थे।
किसी की चमचागिरी नहीं कर सकता
गुंजल ने कहा कि मैं किसी नेता के भाइयों की चमचागिरी करने और किसी नेता की दरी-पट्टी बिछाने के लिए राजनीति में नहीं आया। राजनीति का चेहरा मोहरा एक व्यक्ति की दरी पट्टी उठाने तक सीमित हो गया है। जोर और जुल्म राजनीतिक की ताकत बन गई है। सत्ता के बूते खुद्दारी को खरीदने का प्रयास किया जा रहा है।
कोटा की राजनीति में एक व्यक्ति और परिवार का कब्जा
गुंजल ने कहा कोटा की राजनीति में एक व्यक्ति का कब्जा हो गया है। एक व्यक्ति के भी परिवार का कब्जा हो गया। आज भारतीय जनता पार्टी की रीति-नीति और सिद्धांत से जुड़ा हुआ खुद्दार कार्यकर्ता खून के आंसू रो रहा है। वह केवल इस बात का नैतिक साहस नहीं जुटा पा रहा है कि अपने विचारधारा को त्याग कर जुल्म के खिलाफ खड़े हो जाएं, लेकिन मैं इस जुल्म को बर्दाश्त नहीं कर सकता था। मैं 40 साल पुराना भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता था। मैंने सड़कों पर संघर्ष किया। इस लंबी यात्रा के बाद अब यह महसूस होने लगा है की परिस्थितियों ठीक नहीं हैं। जिस प्रकार की परिस्थितियों पैदा हो रही है वह चिंताजनक हैं। सत्ता की ताकत के आगे आम आदमी की आवाज को दबा दिया जा रहा है। यह प्रवृत्ति लोकतंत्र के लिए चुनौती बन गई है।
गुरूवार को जयपुर के लिए हुए रवाना
गुंजल अपने हजारों समर्थकों और कारों के काफिले के साथ कोटा से जयपुर के लिए रवाना हुए। उनके समर्थक लगातार सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल करते रहे।
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments