हस्ताक्षर के रजत जयंती अंक का लोकार्पण
दिल्ली। साहित्य चेतना, समाज और अभिव्यक्ति के बदलाव का माध्यम है। आज के दौर में जहां तकनीक और पूंजीवाद इतना हावी हो रहा है ऐसे समय में हस्तलिखित पत्रिका का निकलना किसी प्राकृतिक घटना से कम नहीं है। हिंदू कालेज के हिंदी विभाग की हस्तलिखित पत्रिका हस्ताक्षर के रजत जयंती अंक का लोकार्पण करते हुए प्रसिद्ध कवि और कहानीकार उदय प्रकाश ने कहा कि हमारे आख्यान भी हाथों से लिखे गए थे। उन्होंने यह भी कहा कि साहित्य प्रकृति के सबसे निकटतम होता है। मुक्तिबोध के शब्दों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि साहित्य गहन मानवीय सक्रियता है।
उदय प्रकाश ने बताया कि रामविलास शर्मा भी हस्तलिखित पत्रिका निकालते थे जिसका नाम ‘सचेतक’ था। उन्होंने रामविलास शर्मा, उनकी इस पत्रिका और उनके द्वारा बनाए गए विद्यार्थी संगठन से जुड़े अनेक संस्मरण भी सुनाए।
उदय प्रकाश ने कहा कि युवा लेखक यदि अपने आस-पास की चीजें बहुत ध्यान से देखेंगे तो वे अपनी लेखनी को और उत्कृष्ट बना सकेंगे। प्रेमचंद जैसे लेखक गांव के बैल और हल छू कर उन्हें महसूस कर सकते थे तभी वे इतना यथार्थपरक लिख सके।
व्याख्यान के बाद एक विद्यार्थी के प्रश्र का उत्तर देते हुए उदय प्रकाश ने अपनी रचना पीली छतरी वाली लड़की के संबंध में कहा कि जब हंस पत्रिका के 15 वर्ष पूरे हुए थे तब राजेंद्र यादव के आग्रह और दबाव से यह लिखी गई थी जो एक लंबी कहानी है किंतु लोग आज भी इसे उपन्यास समझते हैं। लेखक ने बताया कि यह कहानी एक 19 वर्षीय युवक और युवती की प्रेम कथा है जो जीवन और समाज की तमाम टकराहटों से जूझते हैं। यह कहानी इतनी चर्चित रही कि 2010 में न्यूयॉर्क रिव्यू ऑफ बुक ने इसे सबसे चर्चित साहित्यिक पुस्तकों की सूची में दूसरे स्थान पर रखा।
इससे पहले औपचारिक स्वागत करते हुए विभाग के वरिष्ठ शिक्षक प्रो. रामेश्वर राय ने कहा कि हाथ से लिखना आदमी होने की बुनियादी प्रतिज्ञाओं,पहचानाें और अभिलाषाओं में से एक है। उन्होंने आज के युग में हस्तलिखित पत्रिका निकालना अदम्य बताते हुए कहा कि यह
आंधी में दिया जलाने जैसा है।और हस्ताक्षर पत्रिका भी उसी आंधी में जलती दिया ही है जो लगातार 25 वर्षों से हिंदी रचना संसार को रौशन कर रहा है। प्रो.राय ने उदय प्रकाश की कहानी वॉरेन हास्टिंग का सांड को इतिहास का रचनात्मक रूपांतरण बताया वहीं उनकी कविता तिब्बत का जिक्र करते हुए कहा कि इस कविता में संस्कृति को कैसे बर्बरता से नष्ट किया गया है उसका नाद सुनाई देता है।
हिंदी विभाग की प्रभारी प्रो.रचना सिंह के मार्गदर्शन में आयोजित लोकार्पण समारोह में कार्यक्रम में विभाग के प्राध्यापक अभय रंजन सहित विभाग के अन्य प्राध्यापक भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में हिंदी साहित्य सभा की कार्यकारणी, हस्ताक्षर पत्रिका का संपूर्ण संपादन मंडल व बड़ी संख्या में अनेक विद्यार्थी और शोधार्थी मौजूद रहे।
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