रिपोर्ट : डी. पी.श्रीवास्तव
बहराइच।खनन से उपजाऊ भूमि प्रभावित होने के बाद भी अवैध खनन पर रोक नहीं लग पा रहा है।विभाग से दो_ तीन फीट की मंजूरी मिलने के बाद भी इन दिनों खनन का जनपद में बड़ा खेल चल रहा है।सत्ताधारी नेताओं से लेकर सड़क छाप नेताओं का खनन कार्य सुचारू रूप से चलते रहने के बावजूद बहराइच का खनन विभाग सिर्फ कागजी खाना पूर्ति और छुटभैये खनन कर्मियों को परेशान करके अपनी पीठ थपथपाने में लगा हुआ है।बीते दिनों कई जगहों पर खनन विभाग द्वारा खनन करते तमाम वाहनों को पकड़ा गया लेकिन उसके बारे में तथ्यात्मक जानकारी देने में विभाग पूरी तरह आनाकानी करते देखा गया।इन दिनों हम बात जिले की करें तो सगरा व बरई आदि क्षेत्रों में आठ_आठ,दस_दस फीट तक खोदान होने के बाद भी संबंधित विभाग गहरी नींद में सो रहा है।लोग बताते हैं कि इसी का फायदा उठाकर खनन माफियाओं द्वारा खदान की गई मिट्टी_बालू को चिन्हित स्थानों पर पहुंचाकर राजस्व का भारी क्षति कर अपनी और संबंधित विभागों की जेबें भर रहा है।बात करने पर खनन अधिकारी सही जानकारी तक नहीं दे पाते।उल्टा पत्रकारों से ही स्थान चिन्हित करवाने की बात करते हैं।मालूम हो कि तराई के इस क्षेत्र में रात के अंधेरे से लेकर दिन के उजाले तक खनन कार्य होता रहता।जिसकी तसदीक क्षेत्रीय लोग भी करते रहते। बालू_मिट्टी से लदी हुई ट्रालियों को दौड़ते कभी भी देखा जा सकता है।सूत्र बताते हैं कि उक्त कार्य में पुलिस प्रशासन और खनन अधिकारियों की पूरी मिली भगत रहती है। तराई बेल्ट में हो रहे अथाह खनन के चलते तमाम ऐसे बड़े_बड़े गड्ढे बन चुके हैं जो आने वाली बरसात में जल भराव के बाद तमाम दुर्घटनाओं को अंजाम देते नजर आएंगे।सबसे बड़ी बात यह भी है कि जिले में लगातार धरती के हो रहे खाली गोद के बाद भी उसके मानक का कोई लेखा-जोखा खनन विभाग के पास नहीं है।जहां भी खनन के लाइसेंस है वहां पर भी देखा जा रहा है कि उनके निर्धारित मापदंड से कई गुना अधिक तक खनन किए जाने के बावजूद उस पर खनन या किसी अधिकारी का कोई अंकुश लगता नहीं दिखाई दे रहा है। जिससे समस्याएं दिनों दिन बद से बदतर होती जा रही है।खनन माफियाओं का हौसला दिनों दिन बुलंद होता जा रहा है।खनन अधिकारियों का कोई सकारात्मक जवाब न देना उनकी मिली भगत को पूरी तरह दर्शाता है।और यही कारण है कि खनन पर आवाज उठाने वाले पत्रकारों को धमकाया जाता है,और अपनी खबरें न रोकने पर खनन माफियाओं द्वारा उन्हें मरणासन्न तक कर दिया जाता है।जैसा कि पहले भी देखने को मिल चुका है।आपको बताते चलें कि गत दिनों पड़ोस के जनपद गोंडा में उस समय मिट्टी के अवैध खनन का बड़ा खुलासा हुआ था जब खनन के खिलाफ मुख्यमंत्री के सख्त निर्देशों का पालन करते हुवे जिलाधिकारी नेहा वर्मा द्वारा सत्रह हजार तीन सौ इकतीस घनमीटर मिट्टी के अवैध खनन का पर्दाफाश कर राजस्व को लाभ पहुंचाया गया था।लेकिन बहराइच के खनन माफिया एक कदम आगे बढ़ते हुवे मिट्टी का स्टॉक रखने के बजाए उसे पहले से चिन्हित जरूरत मंदों तक पहुंचाकर अपने बचने का रास्ता बनाते रहते।यहां के खनन माफिया इतने जबर हैं कि निषेधाज्ञा लागू होने के बाद भी खनन करने से बाज नहीं आ रहे। अब सवाल यही उठता है कि जिले में कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ाकर बे रोक टोक लगातार चल रहे अवैध खनन पर जिलाधिकारी मोनिका रानी द्वारा कोई सख्त कदम उठाया जाएगा?या फिर प्रशासनिक अधिकारियों के संरक्षण में उक्त गोरख धंधा ऐसे ही फलता फूलता रहेगा।
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