निदेशक व जिलाधिकारी के पत्र से भी नहीं डरते जिम्मेदार
रिपोर्ट : डी. पी.श्रीवास्तव
बहराइच।शासन द्वारा सरकारी विभागों में अटैचमेंट प्रथा समाप्त किए जाने के बाद भी विभागों द्वारा जबरिया इसे जारी कर रखा गया है। चाहे शिक्षा विभाग हो स्वास्थ्य विभाग हो या अन्य कई और।लगभग सभी जगहों पर प्रथा को बेरोकटोक देखा जा रहा है। हाल ही में एक ऐसा मामला राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान बहराइच में भी देखने को मिला।सूत्रों की माने तो इसी क्रम में अमित कुमार पांडे की नियुक्ति इंड्रिस्ट्रियल मैनेजमेंट कमेटी ऑफ गवर्नमेंट के अंतर्गत आईटीआई महसी में सन 2014 में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर हुई थी। लेकिन श्री पांडे पूर्व प्रधानाचार्य की मिलीभगत से आईटीआई बहराइच में ही बने रहते हैं।हालांकि पूर्व में भी जमादार से वरिष्ठ सहायक के पद पर पहुंचे विवादित रमेश कुमार भी कैसरगंज आईटीआई में तैनात होने के बाद भी अधिकारियों की कृपा से बहराइच नोडल ऑफिस में ही रहकर भ्रष्टाचार के नए-नए कीर्तिमान रचते हुवे करोड़ों की अनियमितताओं से घिर चुके हैं। लेकिन सूत्रों की माने तो अब उन्हीं के संरक्षण में श्री पांडे महसी छोड़कर बहराइच में पैठ बनाकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं।कहा तो यहां तक जाता है कि श्री पांडे आईटीआई कैसरगंज में तैनात कर्मचारी रमेश कुमार के सहयोग से अपनी एक फर्म अनुप्रिया इंटरप्राइजेज के नाम से बनाकर सप्लाई का काम करते हुए बहराइच शहर में जमीन की रजिस्ट्री भी करवा चुके हैं।सूत्रों की माने तो कर्मी रमेश कुमार जिन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप खुद विभाग द्वारा सिद्ध किया जा चुका है। बावजूद विभाग द्वारा आज तक श्री रमेश पर एक भी एफआईआर दर्ज नहीं करवाई गई।जिसे लोग अब भी संदेह की नजर से देखते हैं।लोगों की माने तो तमाम लिखा पड़ी होने के बाद भी अब अंदर खाने में ही मामले को सलटाने का प्रयास किया जा रहा है। जिसका सीधा लाभ रमेश कुमार को मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। ऐसे में रमेश कुमार व अमित कुमार पांडे के विरुद्ध जिम्मेदारों द्वारा अब तक कोई भी सार्थक कार्रवाई का न किया जाना भ्रष्टाचार पर मुख्यमंत्री के जीरो टॉलरेंस के मंसूबे को भी पलीता लगाने के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि रमेश कुमार द्वारा की गई करोड़ों की अनियमितताओं के संदर्भ में निदेशक प्रशिक्षण एवं सेवायोजन द्वारा 2 जनवरी 23 व 28 मार्च 24 को आईटीआई कैसरगंज को जेडी देवी पाटन द्वारा साबित किए गए करोड़ों के अनियमितताओं के कार्यवाही के संदर्भ में रिमाइंडर देने के बाद भी कैसरगंज प्रिंसिपल द्वारा मामले में कोई जवाब नहीं दिया गया।जबकि प्रिंसिपल ने बात करने पर बताया कि शिकायत के समय मेरी तैनाती यहां नहीं थी लेकिन मामला संज्ञान में आते ही मैंने माह अप्रैल 2024 में निदेशक प्रशिक्षण एवं सेवायोजन उत्तर प्रदेश को मामले से अवगत करवा दिया है। लेकिन करोड़ों की विभागीय अनियमितताओं को लेकर उक्त पर विभाग द्वारा अब तक एफ आई आर क्यों नहीं दर्ज करवाई गई,यह यक्ष प्रश्न लोगों के बीच आज भी बना हुआ है। जबकि अमित कुमार पांडे से जब मुलाकात की गई तो उन्होंने अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि न तो मैने कोई जमीन रजिस्ट्री करवाई और न ही मेरी फर्म से अभी तक कोई कार्य लिया गया।जबकि ऑफिस में तैनाती को लेकर बताया कि यहां मैं नोडल प्रिंसिपल के लिखित आदेश से कार्य कर रहा हूं जबकि महसी प्रिंसिपल ने पूछने पर बताया कि अभी महसी में काम कम है इसलिए जहां काम अधिक होता है वहां श्री पांडे को अटैच कर लिया जाता है।लेकिन श्री पांडे द्वारा अटैचमेंट व फर्म से काम न करने का झूठ क्यूं बोला यह अब भी जांच का विषय बना हुआ है।जबकि अपने आपको वाइस प्रिंसिपल बता रहीं श्रीमती अनुसुइया श्री पांडे का पक्ष लेती नजर आईं।मालूम करने पर कुछ विभागीय लोगों ने बताया कि यहां ऐसा कोई पद नहीं है।और अधिक जानकारी के लिए जब नोडल प्रिंसिपल से बात करने की कोशिश की गई तो उनका सेल फोन आउट आफ नेटवर्क एरिया ही बताता रहा।जबकि अपर निदेशक मानपाल सिंह से जब बात करने की कोशिश की गई तो बेल जाने पर भी उनका फोन रिसीव नहीं हो सका और कई बार पुनः प्रयास करने पर आउट आफ कवरेज एरिया बताता रहा।संदर्भित उक्त भ्रष्टाचार पर अभी लिखापढ़ी और बातों का दौर जारी है।बताया जाता है की जांच के संदर्भ में जिलाधिकारी के पत्र को भी विभाग द्वारा नजर अंदाज किया जा चुका है।बावजूद सच और झूठ का फैसला होना अभी बाकी है।
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