भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्ट गवर्नर विरल आचार्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. आचार्य को दिसंबर 2016 को नियुक्त किया गया था और उनका कार्यकाल छह महीने बाद खत्म होने वाला था. लेकिन उन्होंने मोदी सरकार के बजट से ठीक पहले इस्तीफा दे दिया है. आरबीआई में अब तीन डिप्टी गवर्नर एन एस. विश्वनाथन, बी. पी. कानूनगो और एम. के. जैन बचे हैं. दिसंबर 2018 में आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने सरकार के साथ मतभेदों के कारण कार्यकाल पूरा होने से 9 महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने इसके पीछे 'निजी कारणों' का हवाला दिया था. पटेल ने इस्तीफा ऐसे समय दिया था जब सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच अर्थव्यवस्था में नकदी (लिक्विडिटी) और ऋण (क्रेडिट) की कमी को लेकर खींचातान चल रही थी. इसी दौरान डिप्टी गर्वनर विरल आचार्य ने कहा था कि अगर केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचा तो बाजार की नाराजगी उठानी पड़ सकती है. उन्होंने कहा था, ''सरकारें जो अपने केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता का सम्मान नहीं करतीं, उन्हें जल्दी या देरी में वित्तीय बाजार की नाराजगी का सामना करना होगा.'' तब उनके इस बयान पर आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा था, “रुपया एक डॉलर के मुकाबले 73 से कम पर चल रहा है, कच्चा तेल 73 डॉलर प्रति बैरल है, बाजार सप्ताह के दौरान चार फीसदी ऊपर है और बांड से आय 7.8 फीसदी से नीचे हैं. बाजार की नाराजगी.”
RBI के डिप्ट गवर्नर विरल आचार्य ने सरकार के बजट से ठीक पहले ही दिया अपने पद से इस्तीफा
