थम गया चुनाव प्रचार का शोर, कल ईवीएम में बंद हो जाएगा प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला
कोटा-बूंदी की 8 विधानसभा सीटों पर दोनों मुख्य पार्टियों के पास 4-4
कोटा। लोकसभा चुनाव में दूसरे चरण के शुक्रवार को होने वाले मतदान से 48 घंटे पहले प्रचार का शोर बुधवार शाम को थम गया। प्रचार के अंतिम दिन दोनों मुख्य प्रत्याशियों ने पूरी ताकत झोंक दी।
भाजपा प्रत्याशी ओम बिरला ने अंतिम दिन पांच रैली तो कांग्रेस प्रत्याशी प्रहलाद गुंजल ने जनसंघर्ष यात्रा निकाली। बूंदी के तालेड़ा में सचिन पायलट ने उनके समर्थन में आमसभा की। प्रत्याशियों का जोर अब डोर टू डोर कैंपेन पर रहेगा।
भाजपा प्रत्याशी ओम बिरला ने अंतिम दिन नयागांव, स्टेशन क्षेत्र, डीसीएम चौराहा, छावनी व बापूनगर में रोड शो किए। पंचायतीराज मंत्री मदन दिलावर, विधायक संदीप शर्मा, कल्पनादेवी, भाजपा जिलाध्यक्ष राकेश जैन सहित सैंकड़ों कार्यकर्ता उनके साथ रहे। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी प्रह्लाद गुंजल ने घटोत्कच सर्किल से नयापुरा, विवेकानंद सर्किल तक जनसंघर्ष यात्रा निकाली।
राष्ट्रीय बनाम लोकल मुद्दे
इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी ओम बिरला जहां राष्ट्रीय मुद्दों और पीएम के चेहरे पर चुनाव लड़ रहे हैं वहीं आत्मविश्वास से भरे कांग्रेस के प्रह्लाद गुंजल बिरला को लोकल मुद्दों पर घेरने की कोशिश कर रहे हैं। गुंजल बिरला से पिछले 10 साल का हिसाब मांग रहे हैं वहीं बिरला इसे राष्ट्र निर्माण का चुनाव बताकर लोकल मुद्दों से बचने की कोशिश कर कर रहे हैं। गुंजल लगातार ओम बिरला को अपने चेहरे पर चुनाव लड़ने की चुनौती दे रहे हैं वहीं बिरला पीएम मोदी की गारंटी के सहारे पर हैं। बीजेपी के लिए ये सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है। क्योंकि एक तो कोटा-बूंदी सहित पूरा हाड़ौती क्षेत्र संघ का गढ़ है दूसरे इस सीट से मौजूदा स्पीकर चुनाव लड़ रहे हैं। अगर जैसे कि संकेत मिल रहे हैं अगर बीजेपी ये सीट हारी ये उसकी सबसे बड़ी हार होगी। यही कारण है कि उनके समर्थन में पीएम कोटा में तो सीएम बूंदी में जनसभा व कोटा में रोड़ शो कर चुके हैं। वहीं बिरला की पत्नी डॉ. अमिता बिरला लगातार मंदिरों में धार्मिक आयोजन करवा रही हैं। दूसरी तरफ गुंजल लोकल मुद्दों के साथ देश में चल रहे भय के माहौल का जिक्र कर रहे हैं। साथ ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ मंगलवार रात को गुंजल एसपी कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए। यहां उन्होंने कहा कि सरकारें सुरक्षा की गारंटी होती हैं, भय का नहीं। जब-जब सरकारें भय का कारण बनी हैं तो मशाल हाथ में लेकर जनता सामने आई है। मैं आश्वासन देता हूं यदि मुझ पर विश्वास जताया तो मैं आपका विश्वास टूटने नहीं दूंगा। उनके साथ कांग्रेस जिलाध्यक्ष रवींद्र त्यागी, महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राखी गौतम, नरेश मीणा, शिवकांत नंदवाना, महापौर मंजू मेहरा, क्रांति तिवारी आदि धरने पर मौजूद रहे।
अल्पसंख्यक मतदाताओं में दोनों का प्रभाव
कोटा-बूंदी लोकसभा सीट पर अल्पसंख्यक मतदाताओं की बड़ी तादात है। सबसे दिलचस्प बात ये है कि दोनों ही प्रत्याशियों का अल्पसंख्यक मतदाताओं में काफी प्रभाव है। दोनों के ही बड़ी संख्या में अपने-अपने कार्यकर्ता हैं। दोनों का संबंध बीजेपी से होने के बावजूद दोनों ने ही कभी अपनी पार्टी लाइन के मुताबिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ विवादित बयान नहीं दिया है। जबकि बिरला का संबंध तो आरएसएस से भी रहा है। इतना ही नहीं देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर बैठा हुआ व्यक्ति बहुत निचले स्तर पर उतर कर अपने पद की मर्यादा को तार-तार करते हुए आचार संहिता की धज्जियां उड़ा रहा है, वहीं बिरला की तरफ से ऐसा कोई बयान नहीं आया है। रामगंजमंडी विधायक व शिक्षामंत्री मदन दिलावर जरूर इस मामले में पीएम से कंपीटीशन करने में लगे हुए हैं। लेकिन पीएम, सीएम और शिक्षामंत्री की कोशिशों के बावजूद माहौल ध्रुवीकरण वाला बन नहीं पा रहा है और यही इन चुनावों में बीजेपी और आरएसएस की चिंता का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है।
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