समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को राज्य के साथ राष्ट्रीय राजनीति में पटकनी देने के बाद, अब उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी इन दोनों दलों के वोट आधार पर प्रहार करने की योजना बना रही है. छह जुलाई से 10 अगस्त तक चलने वाले पार्टी के सदस्यता अभियान पर चर्चा के लिए बुलाई गई एक बैठक में पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि वे जाटव और यादव मतदाताओं को सदस्य बनाने पर खास तौर से ध्यान दें. राज्य में पार्टी के सदस्यता अभियान के प्रभारी और भाजपा उपाध्यक्ष जेपीएस राठौड़ ने कहा कि बीजेपी अब जाटवों और यादवों को अपने पाले में लाने पर ध्यान केंद्रित करेगी. उन्होंने कहा, “पार्टी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से सीटें हार गई थी, क्योंकि जाटवों ने समर्थन नहीं दिया, जबकि अन्य दलित उप-जातियों ने पार्टी का समर्थन किया था.” पार्टी नेताओं को शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया (प्रसपा-लो) की तरफ यादव वोटों के जाने से रोकने के लिए कहा गया है. बीजेपी को लगता है कि यादवों और जाटवों ने सपा-बसपा गठबंधन को 'खुले दिल' से स्वीकार नहीं किया और पार्टी इस निराशा का इस्तेमाल दोनों वोट बैंकों में घुसपैठ करने के लिए कर सकती है.
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