ट्रांसफर पॉलिसी पर चर्चा के लिए स्वास्थ्य विभाग ने 30 संगठनों को किया था आमंत्रित
कोटा। स्वास्थ्य भवन निदेशालय जयपुर में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा ट्रांसफर पॉलिसी बनाने के लिए बैठक आयोजित की गई। जिसमें चिकित्सक संगठनों व अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
समिति सदस्य के तौर पर प्रदेश महासचिव अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ डॉक्टर दुर्गाशंकर सैनी को भी आमंत्रित किया गया था। उन्होंने बताया कि ट्रांसफर पॉलिसी बनाते हुए ना ही राज्य के किसी डॉक्टर से सलाह मशवरा किया और ना ही किसी कमेटी में रखा। बैठक में केवल ड्राफ्ट के कुछ बिंदु स्लाइड पर दिखाए गए। हमें ड्राफ्ट की कॉपी नहीं दी गई। पॉलिसी का अध्ययन कर उपरांत ही इस पर लिखित जवाब प्रस्तुत किया जाएगा। हमने कहा चर्चा करो वो भी नहीं की। हम ड्राफ्ट पढ़कर जनहित में अच्छे सुझाव देना चाहते थे। ताकि आमजन और चिकित्सकों व सरकार के बीच सामंजस्य बन सके।
वर्ष 2011 से 2018 तक 13 वर्षों में राज्य सरकार एवं सेवारत चिकित्सकों के बीच तीन सकारात्मक समझौते हो चुके हैं। लेकिन आज तक उन समझौतों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। ना ही कोई बैठक हुई और नहीं राज्य की चिकित्सकों की प्रमुख मांग केडर बनाने पर कोई चर्चा हुई।
सभी से चर्चा के बाद बने पॉलिसी
सैनी ने कहा कि यदि सरकार किसी प्रकार की ट्रांसफर पॉलिसी लाना चाहती है तो हम उसका स्वागत करते हैं। लेकिन पॉलिसी सभी से चर्चा के बाद लाई जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा दे रहे चिकित्सकों ने राजस्थान को चिकित्सा क्षेत्र में अग्रणी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बिना सलाह मशवरा किए ट्रांसफर पॉलिसी थोपने पर आम ग्रामीण जनता को सुलभ चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पाएंगी। ट्रांसफर पॉलिसी से ग्रामीण जनता में भी विरोध होगा। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सक पीजी में बोनस मार्क के लिए शानदार काम करते हैं।
डॉक्टर दुर्गाशंकर सैनी ने तीनों समझौतों की कॉपी सौंपते हुए निदेशक व राज्य सरकार से मांग की है कि 13 वर्षों से लंबित मांगों पर तत्काल संज्ञान लिया जाए। चिकित्सकों को विश्वास में लेकर ही चिकित्सा विभाग में नवाचार किया जाए।
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